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सुप्रीम कोर्ट के जज ने नोटबंदी पर उठाए सवाल

काला धन को सफेद करने का खेल था

राष्ट्रीय खबर

हैदराबादः अगर नोटबंदी का 98 फीसदी पैसा रिजर्व बैंक में वापस आ गया तो फिर काला धन कहां से बरामद हुआ?सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्न ने आज नरेंद्र मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले का जिक्र किया। हैदराबाद में लॉ यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में जस्टिस नागरत्ना ने आज कहा, उस समय रद्द किए गए नोटों में से 98 फीसदी वापस आ गए थे तो फिर काले धन पर रोक लगाने की बात कहां पहुंची? 2016 में मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट में मामला चला। न्यायमूर्ति नागरत्न ने शीर्ष अदालत की पांच सदस्यीय पीठ में से एक के रूप में मामले की सुनवाई की।

बाद में सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी के फैसले पर मुहर लगा दी लेकिन उस दिन जहां चार जजों ने नोटबंदी के फैसले के पक्ष में फैसला सुनाया, वहीं जस्टिस नागरत्न ने इसका विरोध किया। उन्होंने आज उस फैसले का मुद्दा उठाया। जस्टिस नागरत्न के शब्दों में, उस समय यह महसूस किया गया कि नोटबंदी काले धन को सफेद करने का एक अच्छा तरीका हो सकता है।

क्योंकि, बेहिसाब पैसा सरकारी खाते में आ रहा है। उसके बाद आयकर विभाग ने क्या किया, मुझे नहीं मालूम। और जिस तरह आम लोगों को मुसीबत में पड़ना पड़ा, उसने भी मुझे झकझोर कर रख दिया। इसलिए मैंने उस फैसले का विरोध किया।

वह भी सही नहीं था। इस संबंध में जस्टिस नागरत्न ने टिप्पणी की, यह फैसला बहुत जल्दबाजी में लिया गया। कुछ लोगों का कहना है कि उस समय के वित्त मंत्री को भी इस मामले की जानकारी नहीं थी।

नोटबंदी पर जस्टिस नागरत्न की टिप्पणी के बाद कांग्रेस विरोध पर उतर आई है। एक्स हैंडल ने पार्टी की ओर से कहा, सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्न का कहना है कि नोटबंदी काले धन को सफेद करने का एक तरीका था। उनके शब्दों में, नोट रद्द करने के फैसले के बाद अगर रद्द किए गए पैसे का 98 फीसदी हिस्सा वापस आ गया तो काला धन कहां गया?

न्यायाधीश ने यह भी कहा कि वह नोटबंदी के कारण आम लोगों की दुर्दशा से दुखी हैं। जस्टिस नागरत्न के इस बयान से साफ है कि नोटबंदी असल में मोदी सरकार की साजिश थी। यह एक बड़ा घोटाला है। जिसके जरिए कालेधन को सफेद किया गया है।

हालांकि जस्टिस नागरत्न ने हैदराबाद कार्यक्रम में न सिर्फ नोटबंदी के मुद्दे पर बल्कि राज्यपालों की गतिविधियों पर भी सवाल उठाकर मोदी सरकार को असहज कर दिया। कई राज्य सरकारों ने विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को रोकने से लेकर राज्यपालों के विभिन्न विवादास्पद फैसलों पर सुप्रीम कोर्ट में मामले दायर किए हैं। इस मुद्दे पर चिंता जताते हुए जस्टिस नागरत्न ने कहा, राज्यपालों से मेरा अनुरोध है कि वे संविधान के मुताबिक काम करें। तब अदालत में ऐसे मामलों की संख्या कम की जा सकेगी।

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