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केजरीवाल को नहीं मिली कोई राहत

ईडी को दो अप्रैल तक जवाब दाखिल करने का निर्देश


  • अगली सुनवाई तीन अप्रैल को होगी

  • ईडी मामले में देर कर रही है: सिंघवी

  • इसका पैसा कहां है, यह बताये ईडी


राष्ट्रीय खबर

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर कोई राहत नहीं दी। कोर्ट ने जांच एजेंसी को 2 अप्रैल तक अरविंद केजरीवाल की याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा है। मामले की सुनवाई अब 3 अप्रैल को होगी।

अरविंद केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने आज एजेंसी की देरी करने की रणनीति पर सवाल उठाया और दावा किया कि जांच एजेंसी को दिल्ली के मुख्यमंत्री से पहले पूछताछ किए बिना उन्हें गिरफ्तार करने की कोई जरूरत नहीं है। आप प्रमुख ने अपनी गिरफ्तारी के पीछे राजनीतिक साजिश का आरोप लगाते हुए यह भी दावा किया कि 2 जून को चुनाव खत्म होने के बाद उन्हें रिहा कर दिया जाएगा।

मैंने उनसे प्रश्न पूछने के लिए कहा। मैंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने का प्रस्ताव रखा। अब वे मुझे गिरफ्तार कर रहे हैं और कह रहे हैं कि मैं सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकता था। यदि हां, तो क्या मैं पहले ऐसा नहीं कर सकता था? वास्तव में, ऐसा था गिरफ्तारी की कोई जरूरत नहीं है।

एक प्रेस बयान में, श्री केजरीवाल की पत्नी सुनीता ने सवाल किया कि तथाकथित शराब नीति घोटाले का पैसा कहाँ है। ईडी ने तथाकथित शराब नीति घोटाले में 250 से अधिक छापे मारे हैं। कई छापों में कोई पैसा नहीं मिला। उन्होंने मनीष सिसौदिया, संजय सिंह, सत्येन्द्र जैन और हमारे यहां छापे मारे। इस तथाकथित घोटाले का पैसा कहां है? मेरे पति अदालत में इसके बारे में सच्चाई बताएंगे।

ईडी के वकील जब बहस शुरू करने वाले थे इस बीच केजरीवाल की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने भी दलील देना चाहा तो राजू ने इसका विरोध किया। वह बोले कि अगर ऐसा होगा तो ईडी के लिए भी दस वकील आ जाएंगे। कोर्ट ने भी कहा कि अभी पहले ईडी को सुनेंगे। देसाई चाहे तो अपना नोट लिखकर दे सकते हैं।

ईडी की ओर से एएसजी राजू ने कहा कि मुख्य याचिका के साथ साथ वो अंतरिम याचिका पर भी जवाब दाखिल करने का समय चाहते हैं। अगर उन्हें जवाब दाखिल करने का समय नहीं दिया जाता तो सुना भी ना जाए। उन्हें जवाब देने के लिए समय दिए जाने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है।

केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में दलील दी कि जिस 45 करोड़ के किक बैक के इस्तेमाल का आरोप ईडी ने केजरीवाल पर लगाया है। इस दावे को सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए नकार दिया था। उन्हों ने कहा कि दुर्भाग्यवश ईडी ही संबंधित अपराध का सुपर जांचकर्ता है।

ये उस अपराध की जांच कर रहे हैं, जिसकी जांच सीबीआई कर रही है जबकि केजरीवाल पर अप्रत्यक्ष रूप से आरोप लगाए जा रहे हैं। सिंघवी ने आगे कहा क ियह ऐसा मामला है जिसमें लोकतंत्र की बात हो रही है। बुनियादी ढांचे की बात हो रही है। सभी को समान अवसर देने की बात हो रही है। अगर गिरफ्तारी अवैध है तो एक दिन भी बहुत ज्यादा है। ईडी दिन-ब-दिन समय मांगकर अपना उद्देश्य पूरा कर रही है।

अमेरिकी बयान पर भारत ने जतायी कड़ी नाराजगी

नयी दिल्ली: भारत ने दिल्ली में आबकारी घोटाले के मामले में मुख्यमंत्री एवं आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तारी को लेकर अमेरिका के विदेश विभाग के बयान पर आज कड़ी आपत्ति व्यक्ति की और कहा कि स्वतंत्र न्याय प्रक्रियाओं वाले मित्र लोकतांत्रिक देशों के आंतरिक मामलों में दखलंदाजी अनुचित एवं हानिकारक है।

विदेश मंत्रालय ने बुधवार को अमेरिका के कार्यवाहक मिशन उपप्रमुख ग्लोरिया बर्बेना को तलब करके औपचारिक रूप से आपत्ति दर्ज करायी। बाद में विदेश मंत्रालय ने एक बयान में जारी करके कहा, हम भारत में कुछ कानूनी कार्यवाहियों के बारे में अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता की टिप्पणियों पर कड़ी आपत्ति जताते हैं।

कूटनीति में, देशों से दूसरों की संप्रभुता और आंतरिक मामलों का सम्मान करने की अपेक्षा की जाती है। मित्र लोकतंत्रों के मामले में यह जिम्मेदारी और भी अधिक है। अन्यथा यह अस्वास्थ्यकर मिसाल कायम कर सकता है। विदेश मंत्रालय ने दो टूक शब्दों में कहा, भारत की कानूनी प्रक्रियाएं एक स्वतंत्र न्यायपालिका पर आधारित हैं जो उद्देश्यपूर्ण और समय पर परिणामों के लिए प्रतिबद्ध है। उस पर आक्षेप लगाना अनुचित है। जर्मनी के बाद अमेरिका ने भी श्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के मामले में टिप्पणी की है।

अमेरिका के विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया -हम निष्ज़्पक्ष, समयबद्ध और पारदर्शी कानूनी प्रक्रिया के लिए भारत की सरकार को प्रोत्ज़्साहित करते हैं। अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर हमारी करीबी नजर है। हम मुख्ज़्यमंत्री केजरीवाल के लिए पारदर्शी कानूनी प्रक्रिया की उम्मीद करते हैं।

इससे पहले जर्मनी के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था, हमारा मानना है और उम्मीद करते हैं कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता से जुड़े मानक और मूलभूत लोकतांत्रिक सिद्धांत भी इस मामले में लागू होंगे। इसके बाद भारत ने जर्मनी के दूतावास के डिप्टी चीफ ऑफ मिशन (डीसीएम) को तलब किया था और कहा था कि यह हमारा आंतरिक मामला है, इसमें हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।

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