तमिलनाडु के राज्यपाल पर फिर से नाराज हुआ शीर्ष अदालत
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि को जमकर आड़े हाथों लिया। राज्यपाल ने प्रदेश में सत्तारूढ़ डीएमके के एक नेता को मंत्रिमंडल में शामिल करने से मना कर दिया था। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन अपने मंत्रिमंडल में के पोनमुडी को शामिल करना चाह रहे थे। लेकिन राज्यपाल रवि ने शपथ दिलाने से मना कर दिया।
उनका कहना था कि पोनमुडी आपराधिक मामले में दोषी करार हैं। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें दोषी करार दिए जाने पर रोक लगा दी थी। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। उन्होंने राज्यपाल की खिंचाई करते हुए कहा कि राज्यपाल अपने काम से सर्वोच्च न्यायालय की अवहेलना कर रहे हैं।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि जब अदालत द्वारा दोषसिद्धि पर रोक लगा दी जाती है, तो राज्यपाल ऐसा कैसे कह सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट तमिलनाडु सरकार द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इसमें मांग की गई थी कि अदालत राज्यपाल को ये निर्देश दे कि वे पोनमुडी को मंत्री के रूप में फिर से नियुक्त करने के लिए मुख्यमंत्री एमके स्टालिन द्वारा की गई सिफारिश को स्वीकार करे।
सुप्रीम कोर्ट ने 11 मार्च को आय से अधिक संपत्ति के मामले में पोनमुडी की दोषसिद्धि पर रोक लगा दी थी और तीन साल की जेल की सजा को निलंबित कर दिया था। अब राज्यपाल के रवैये पर चंद्रचूड़ ने कहा, उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि राज्यपाल राज्य में नाम मात्र के प्रमुख हैं, जिनके पास (सरकार को) परामर्श देने की शक्ति के अलावा और कोई शक्ति नहीं है।
बता दें कि एमके स्टालिन वनाम राज्यपाल रवि का विवाद पहले भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था, जिसमें राज्य सरकार की फाइलों को राज्यपाल ने रोक लिया था। उस समय भी सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल को हिदायत देते हुए कहा था यह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है कि वह राज्य सरकार की सिफारिशों को अनंत काल तक रोककर बैठे रहे।