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तालाब खोदने के दौरान दुर्लभ मूर्तियाँ निकलीं

प्रशासन के सुझाव को मानने से इंकार कर प्रतिमाएं स्थापित


  • दोनों बिल्कुल सुरक्षित हालत में हैं

  • तालाब की खुदाई में अचानक आवाज 

  • ग्रामीण मंदिर बनाकर रखना चाहते हैं


राष्ट्रीय खबर

जमुईः तालाब की खुदाई का काम जोरों से चल रहा था। तभी खुदाई के दौरान अचानक खुदाई करने वालों के कानों में एक अजीब धातु जैसी आवाज आई। जेसीबी ऑपरेटर भी घबरा गया। इसके बाद जब उन्होंने फावड़े से मिट्टी हटाई तो मौके पर मौजूद सभी लोग हैरान रह गए। काले पत्थर से बनी भगवान सूर्य की प्राचीन और दुर्लभ मूर्ति निकली। माना जा रहा है कि यह मूर्ति 8वीं शताब्दी पुरानी है। फलस्वरूप स्वाभाविक रूप से इस प्राचीन मूर्ति के बरामद होने की खबर चारों ओर फैल गई और इसे लेकर हंगामा शुरू हो गया है।

सबसे बड़ी बात तो यह है कि जिला प्रशासन ने ग्रामीणों से अनबन शुरू कर दी है। मंगलवार को जमुई जिले के सिजौरी गांव के सीमरा तालाब में खुदाई का काम चल रहा था, लेकिन तालाब की खुदाई के दौरान भगवान सूर्य की प्राचीन मूर्ति बरामद हुई। 8वीं शताब्दी पुरानी यह मूर्ति चमकदार काले पत्थर से बनी है। इसकी लंबाई साढ़े तीन फीट है।

इसमें देखा जा सकता है कि प्रतिमा के दोनों हाथों में कमल के फूल हैं। और दोनों तरफ दो अन्य छोटी मूर्तियां हैं।इतनी दुर्लभ मूर्ति मिलने की खबर इलाके में फैल गई। नतीजा ये हुआ कि इसे देखने के लिए वहां काफी लोग इकट्ठा हो गए। इसके साथ ही ग्रामीणों ने भगवान सूर्य की पूजा शुरू कर दी। दरअसल, मिट्टी की जरूरत के चलते सिजौरी गांव के सिकंदरा इलाके में तालाब खोदा जा रहा था। योजना तालाब की खोदाई कर निकली मिट्टी को जमीन पर गिराने की थी।

खुदाई के दौरान दिहाड़ी मजदूरों की नजर काले पत्थर की मूर्ति पर पड़ी। इसके बाद आगे की खुदाई हुई। फिर धीरे-धीरे पूरी मूर्ति बाहर आ गई। तब ग्रामीणों ने दुर्लभ मूर्ति को ले जाकर मंदिर में रख दिया। यह खबर गांव में फैल गयी और यह खबर सिकंदरा प्रखंड विकास पदाधिकारी अमित कुमार, अंचलाधिकारी कृष्ण कुमार सौरव और पुलिस प्रशासन के कानों तक भी पहुंच गयी।

वहीं, खबर मिलते ही दोनों अधिकारी मौके पर पहुंचे और उन्होंने मूर्ति की जांच भी की। इसके बाद पुरातत्व विभाग के अधिकारियों को भी सूचना दी गई। खबर सुनकर वे गांव पहुंचे और मूर्ति को अपने साथ ले जाने और संग्रहालय में संरक्षित करने की पेशकश की। लेकिन ग्रामीण इस पर अड़े हुए थे। उन्होंने मूर्ति को गांव में रखने की मांग की।

गांव निवासी सचिन कुमार रजक और राजीव कुमार ने प्रस्ताव दिया कि गांव में भगवान सूर्य का मंदिर बनाया जाना चाहिए और दुर्लभ मूर्ति स्थापित की जानी चाहिए। इस संबंध में निर्णय के लिए बैठक भी बुलाई जाती है। सैकड़ों ग्रामीण शामिल हुए। जिस तालाब में खुदाई के दौरान प्राचीन मूर्ति मिली थी, उसके बगल में एक मंदिर बनाकर मूर्ति को वहीं स्थापित करने का निर्णय लिया गया।

फिलहाल दुर्लभ मूर्ति को ठाकुरबाड़ी मंदिर में रखा जाएगा। गांव निवासी हरदेव सिंह ने कहा कि किसी भी हालत में यह प्रतिमा जिला प्रशासन को नहीं सौंपी जायेगी। मूर्ति की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाये जा रहे हैं।

बैठक में सिकंदरा विधायक प्रफुल्ल माझी भी शामिल हुए। वह गांव वालों के समर्थन में बोलते हैं। उनके मुताबिक ये आस्था का मामला है। ग्रामीण मूर्ति को अपने गांव में रखना चाहते हैं। परिणामस्वरूप, इसमें किसी के बाधा डालने का प्रश्न ही नहीं उठता। उस बैठक में निर्णय लिए जाने के बाद ग्रामीण मूर्ति को कंधे पर उठाकर जय श्री राम और सूर्य भगवान की जय का नारा लगाते हुए लोग ठाकुरबाड़ी मंदिर पहुंचे। इसके बाद वहां अष्टनाम जप शुरू हुआ।

पुरातत्ववेत्ता डा रविशंकर कुमार गुप्ता ने कहा कि यह भगवान सूर्य की एक दुर्लभ प्रतिमा है, जिनके सिर पर मुकुट है। करीब 8वीं शताब्दी पुरानी मूर्ति पाल काल की है। सबसे खास बात यह है कि मूर्ति बिल्कुल भी टूटी नहीं है। इसकी दशा उत्तम है। मूर्ति के दोनों हाथों में कमल के फूल और नीचे एक दंड और एक पिंगल है। पहले की खुदाई में भगवान सूर्य की जूते पहने मूर्तियां मिली थीं। इस मामले में वह कोई अपवाद नहीं थे। उधर, एसडीओ अभय कुमार तिवारी ने बताया कि जिला प्रशासन दुर्लभ प्रतिमा को अपने कब्जे में लेकर सुरक्षित स्थान पर रखने को इच्छुक है। लेकिन गांव वाले मंदिर बनाकर मूर्ति की पूजा करना चाहते हैं।

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