उड़ने का मौसम है तो जो जिधर पा रहे हैं उधर उड़ रहा है। चुनावी सीजन में इस घराने से उस घराने तक उड़ जाने की पुरानी परंपरा हमारे यहां है। इसलिए खेमा बदल अब भारतीय राजनीति में मायने नहीं रखती। इसके बीच ही कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जो राजनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण नजर नहीं आने के बाद भी समाज पर अपना गहरा असर छोड़ती है।
झामुमो के नेता हेमंत सोरेन अब जेल में हैं क्योंकि ईडी ने उनके खिलाफ मनी लॉड्रिंग का केस दर्ज किया है। सच क्या है, यह अदालत को देखना है पर हेमंत सोरेन ने सीएनटी और एसपीटी एक्ट के तहत जो बात कही है, उसे याद रखना होगा। उन्होंने कहा है कि यहां के जमीन के प्रकार में एक जमीन भुईहरी होती है, जिसे किसी भी कानून के तहत बेचा ही नहीं जा सकता है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत ने भी एक बड़ा बयान दिया है कि यह शायद भारतीय इतिहास का पहला केस है, जिसमें सिविल नेचर के केस में कोई मुख्यमंत्री जेल जा रहा है। आम तौर पर जमीन के विवादों का निपटारा कोर्ट में होता है और उसमें किसी को जेल नहीं होता है।
उधर राहुल गांधी पाकुड़ होते हुए झारखंड में कदम रख चुके हैं और उनके आने के बाद रास्ते में पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने उनका न सिर्फ स्वागत किया बल्कि उनकी जनसभा में शामिल भी हुए। बिहार में नीतीश कुमार के आने की चर्चा थी पर उससे पहले ही वह खेमा बदल कर गये। लालू और तेजस्वी ईडी के समन पर व्यस्त थे।
ममता बनर्जी ने कांग्रेस के साथ सीटों का समझौता करने से न सिर्फ इंकार कर दिया है बल्कि कहा है कि कांग्रेस शायद चालीस सीटें भी नहीं जीत पायेंगी। इसलिए राहुल के लिए भी अकेले उड़ने की चुनौती है पर इस चुनौती का भाजपा पर असर है, इससे कोई अब इंकार नहीं कर सकता है। हर जगह राहुल के गुजरते वक्त जो भीड़ एकत्रित होती है, वह भाजपा को परेशान करने वाली है। ऊपर से राहुल गांधी चुन चुनकर उन्हीं सवालों को उठा रहे हैं जिनसे भाजपा लगातार भागती है।
इसी बात पर हाल की एक चर्चित फिल्म मेरी कॉम का यह गीत याद आने लगा है। यह फिल्म वर्ष 2014 में रिलीज हुई थी। इस गीत को प्रशांत इंगोले ने लिखा था और संगीत में ढाला था शशि सुमन ने। इसे मोहित चौहान ने अपना स्वर दिया था। गीत के बोल इस तरह हैं।
ए परिन्दे यूँ अबके उड़ा कर तू
जा जला सूरज को जाके आसमान पे तू
ए परिन्दे भर ऐसी उड़ाने तू
हर नज़र ये तुझसे पूछे
आग इतनी क्यूँ
धुल उड़ा जाके मंजिलों पे यूँ
के इन् हवाओ से तेरी यारी है
उड़ जा अब तेरी बारी है उड़ जा उड़ जा
उड़ जा अब तेरी बारी है उड़ जा उड़ जा
उड़ जा अब तेरी बारी है
राहों में जो भी आये वो बादल बनके
मुश्किलों के उनको बता देना रे
परे रहना रे जिन्दा दिलों से
हो अंदाज़ है तेरा बेफिक्र मौज तू
के अब तेरी मुट्ठी में दुनिया सारी है
उड़ जा अब तेरी बारी है उड़ जा उड़ जा
उड़ जा अब तेरी बारी है उड़ जा उड़ जा
उड़ जा अब तेरी बारी है
ए परिन्दे यूँ अबके उड़ा कर तू
जा जला सूरज को जाके आसमान पे तू
ए परिन्दे भर ऐसी उड़ाने तू
हर नज़र ये तुझसे पूछे
आग इतनी क्यूँ
धुल उड़ा जाके मंजिलों पे यूँ
के इन् हवाओ से तेरी यारी है
उड़ जा अब तेरी बारी है उड़ जा उड़ जा
उड़ जा अब तेरी बारी
है उड़ जा उड़ जा
मुट्ठी में दुनिया सारी है
उड़ जा अब तेरी बारी
है उड़ जा उड़ जा उड़ जा अब तेरी बारी
है उड़ जा उड़ जा उड़ जा अब तेरी बारी है
उड़ने की बात पर चंडीगढ़ के मेयर का चुनाव भी याद आ गया। वहां के चुनाव अधिकारी ने यह साबित कर दिया कि अगर इच्छा हो तो कैमरे के सामने भी गड़बड़ी की जा सकती है। अजीब स्थिति यह है कि भाजपा विरोधी मतों को अवैध करार देने के लिए वह खुद उनपर निशान लगाते दिख रहे हैं। अजीब बात यह है कि ऐसा करते वक्त वह कई बार कैमरे की तरफ देख भी रहे हैं।
संसद के शीतकालीन सत्र में नरेंद्र मोदी ने फिर से विपक्ष को नसीहत देते हुए कहा है कि उन्हें सिर्फ हंगामा नहीं करना चाहिए क्योंकि जनता यह पसंद नहीं करती है। एक तरह से श्री मोदी की यह बात सच भी है और आम जनता को टीवी पर ऐसे दृश्य जब नजर आते हैं तो उन्हें महसूस होता है कि उनके पैसों की बर्बादी हो रही है। इसलिए भइया उड़ने का मौसम आ रहा है तो जहां अच्छा लगे और जैसे फायदा हो उसी कायदा में उड़ चलो क्योंकि ठहरे रहने से नेताओं का क्या हाल होता है, इसके उदाहरण को लालकृष्ण आडवाणी है, जिन्हें आज भारत रत्न मिला है।