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वीडियो, हजारीबाग नेशनल पार्क में रॉयल बंगाल टाईगर

वन विभाग ने इतने दिनों की चुप्पी के बाद स्वीकारा सच

  • पंजे का निशान काफी बड़ा है इसका

  • मवेशियों का भी शिकार किया था

  • भीड़ व शोर से बचकर सुनसान में है

राष्ट्रीय खबर

रांचीः हजारीबाग के जंगलों में पन्ना टाईगर रिजर्व का एक बाघ रम गया है। इस बारे में वन विभाग ने लगातार चुप्पी साध रखी थी। इस दौरान इस विशाल आकार के  बाघ ने जंगली जानवरों के अलावा कई घरेलू मवेशियों का शिकार भी किया। इस पर भी विभाग की तरफ से पर्देदारी की गयी। पिछले करीब एक माह से बाघ से वहां होने की अपुष्ट जानकारी ग्रामीणों के द्वारा दी गयी थी। दूसरी तरफ वन विभाग के अधिकारी इस दौरान लगातार इस सूचना को गलत बताते रहे। अब जाकर वन विभाग के एक उच्चाधिकारी ने अपना नाम गुप्त रखने के आग्रह के साथ इस बात को स्वीकार किया कि हजारीबाग नेशनल पार्क में बाघ को विभागीय लोगों ने देखा है। पहली बार हजारीबाग के वाइल्डलाईफ  अधिकारी अवनीश चौधरी ने बताया कि बाघ देखा गया है पर किसी प्राणी को नुकसान अभी तक नहीं पहुंचा है।

देखें हजारीबाग नेशनल पार्क में बाघ का वीडियो

अब धीरे धीरे स्थानीय लोगों से  मिली जानकारी की और पुष्टि होने लगी। सावधानी के तौर पर विभाग को इस खतरे के बारे में आस पास के गांवों के लोगों को आगाह किया जाना चाहिए था, जो नहीं किया गया। स्थानीय लोगों के मुताबिक 31 दिसंबर के आस पास ही यह बाघ हजारीबाग नेशनल पार्क के इलाके में था। उस दौरान नया साल होने की वजह से पार्क में हजारों लोगों की भीड़ भी थी। पुराने लोगों का कहना है कि बाघ आम तौर पर शोर पसंद नहीं करता। इसलिए शायद लोगों की भीड़ और शोरगुल से परेशान  होकर वह और घने जंगलों की तरफ चला गया था, जहां आम तौर पर लोगों का आना जाना नहीं होता। बाघ के पैरों के निशान पहचानने वाले ग्रामीणों ने इसे बरकट्टा के जंगलों में चले जाने का अनुमान व्यक्त किया था। इस दौरान शायद बाघ ने जंगल के अंदर भी कई शिकार किये थे और विभाग ने इस जानकारी को भी छिपाया था। दूसरी तरफ जिनलोगों के मवेशियों को बाघ ने मार डाला था, उनकी भी पहचान हो गयी थी।

अब फिर से अभयारण्य में लौट आने वाले बाघ के बारे में समझा जाता है कि वह नेशनल हाईवे को पार कर दूसरी तरफ के जगंलों से  होते हुए बरकट्ठा के दक्षिण पश्चिम के घने जंगलों तक चला गया था। इस दौरान स्थानीय लोगों ने बताया है कि वन विभाग की तरफ से इस बीच जंगल से गुजरने वाले कई रास्तों को बंद कर दिया था। लोगों का मानना है कि जंगल के अंदर भी निर्माण कार्य जारी होने तथा बीच में कई छोटे गांव होने की वजह से वन विभाग को लोगों को विश्वास में लेना चाहिए था। ग्रामीणों के मुताबिक कई ऐसे जंगली सड़कों और पगडंडियों से होते हुए बच्चे भी स्कूल तक आना जाना करते हैं। इसलिए विभाग की तरफ से लोगों को सतर्क किया जाना चाहिए था।

अब हजारीबाग नेशनल पार्क में ही एक नहीं अनेक लोगों ने बाघ के टहलते हुए देख लिया है। पहले इसे जंगल के बीच झाड़ियों से गुजरते हुए देखा गया था। इस बार वह किसी सड़क पर मदमस्त चाल में आगे बढ़ता हुआ नजर आया है।

इससे पहले गत 9 जनवरी को पहली बार राष्ट्रीय खबर ने इसकी सूचना दी थी। जिसमें यह बताया गया था कि हजारीबाग के जंगल में एक वयस्क बाघ के होने की जानकारी मिली है। गनीमत है कि इस रॉयल बंगाल टाईगर ने अब तक इंसानों पर हमला नहीं किया है और वह घने जंगलों के बीच चुपचाप विचरण कर रहा है। मिल रही जानकारी के मुताबिक अभयारण्य के इलाके में उसके दो दिन होने की सूचना थी।

उसके बाद ग्यारह जनवरी को उसके बरकट्ठा जंगल की तरफ होने की सूचना दी गयी थी। जिसमें यह बताया गया था कि हजारीबाग के इलाके में पहुंचने के पहले यह बाघ पलामू के बाद चतरा होते हुए यहां तक आ पहुंचा है। यह रॉयल बंगाल टाईगर मूल रूप से मध्यप्रदेश के जंगलों से निकला है। वह अपने घूमने की आदत की वजह से बांधवगढ़ नेशनल पार्क भी गया था। मध्यप्रदेश के वन विभाग के मुताबिक अगर यह बाघ आकार में काफी बड़ा है तो वह पन्ना के जंगल का कन्हैया हो सकता है। वहां के अधिकारियों ने इस कन्हैया नामक बाघ को वहां पिछले डेढ़ महीनो से नहीं देखा है।

हजारीबाग के इलाकों में गीली मिट्टी पर इसके पंजों के जो निशान दर्ज किये गये हैं, उसके आधार पर विशेषज्ञ यह मान रहे हैं कि इतने बड़े आकार के रॉयल बंगाल टाईगर देश में बहुत कम ही है। इसके वजन के बारे में अनुमान है कि यह करीब तीन सौ  किलो वजन का है। बाघ के होने की पुष्टि वन विभाग ने अपने कारनामों से ही कर दी थी। विभाग ने वाइल्ड लाइफ सेंचुरी और सालपर्णी में लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी है। वहीं वन विभाग में बाघ की गतिविधियों को कैमरे में कैद करने के लिए 10 ट्रैप कैमरे लगा दिए गए थे। फिर भी बाघ इन कैमरों में कैद नहीं हो सका।

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