Breaking News in Hindi

राज्यपाल के रांची लौटते ही राजनीतिक सरगर्मी बढ़ी

ईडी की समन की चर्चा के बीच अचानक चले गये थे दक्षिण भारत


  • एयरपोर्ट पर कोई बात नहीं की

  • फिर से अटकलबाजी का बाजार गर्म

  • ईडी ने बुलाया है कई लोगों को कार्यालय


राष्ट्रीय खबर

रांचीः फिर से राजभवन में लिफाफे की चर्चा अब चौक चौराहों की बात है। दरअसल ईडी द्वारा हेमंत सोरेन को समन जारी किये जाने के बीच ही अचानक राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन चेन्नई चले गये थे। उनके अचानक चले जाने की वजह से भी अटकलबाजी का दौर प्रारंभ हो गया था। बाद में सब कुछ प्याली में तूफान की कोशिश निकली।

ईडी के समन पर हेमंत सोरेन ने जाने के साफ तौर पर इंकार कर दिया। उसके बाद सत्तारूढ़ पक्ष के विधायकों की बैठक में भी उन्होंने तमाम अटकलबाजियों पर विराम लगाते हुए कहा कि वह इस्तीफा नहीं दे रहे हैं। इसी वजह से कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने की चर्चा भी गलत निकली। वैसे श्री सोरेन ने इसके लिए भाजपा के साथ साथ मीडिया के एक वर्ग को भी जिम्मेदार ठहराया था।

उसके बाद से माहौल शांत हो गया था। अब राज्यपाल सात जनवरी को रांची लौट आए हैं। इधर, राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन गठबंधन दलों के विधायकों और मंत्रियों के साथ रांची में डटे हुए हैं, ताकि किसी भी परिस्थिति का राजनीतिक मुकाबला किया जा सके। इसी वजह से राजभवन से फिर कोई पत्र जारी होता है अथवा नहीं, इस पर कयास लगाये जा रहे हैं।

बताया जाता है कि रविवार को एयरपोर्ट से बाहर निकलते हुए सीपी राधाकृष्णन कार में बैठे-बैठे ही नमस्कार करते हुए राजभवन की ओर बढ़ गए। राजभवन के मुख्यद्वार पर भी पत्रकार मौजूद थे, लेकिन बात नहीं हो पाई। चेन्नई में उन्होंने तमिलनाडु में शराबबंदी से जुड़े पत्रकारों के सवाल पर कहा कि उन्होंने हमेशा पूर्ण शराबबंदी का समर्थन किया है, क्योंकि बिक्री सीमा से अधिक हो रही है और इससे तमिल समाज की आने वाली पीढ़ियों पर बुरा असर होगा। वह इसके खिलाफ हैं।

सियासी नजरिए से देखा जाए तो सत्ता पक्ष गांडेय में छह माह में उपचुनाव को बाध्यता बता कर इसे जल्द कराने की मांग कर रहा है। इस संबंध में झामुमो का प्रतिनिधिमंडल मुख्य निर्वाचन अधिकारी को ज्ञापन भी सौंपा है। कहा गया है कि पंचम विधानसभा का प्रथम सत्र छह जनवरी 2020 को शुरू हुआ था। पंचम झारखंड विधानसभा का कार्यकाल पांच जनवरी 2025 तक है।

जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 151 ए में प्रावधान है कि विधानसभा का कार्यकाल एक वर्ष से अधिक होने की स्थिति में रिक्त सीट पर छह माह के भीतर उपचुनाव कराया जाना चाहिए। भाजपा का कहना है कि गांडेय विधायक का इस्तीफा सरकार का कार्यकाल एक वर्ष से कम बचा होने पर दिया गया है। इस कारण संवैधानिक प्रावधानों के तहत उपचुनाव नहीं हो सकता है। इसलिए सियासी चर्चा गांडेय की रिक्त सीट पर उपचुनाव को लेकर है जबकि सत्तारूढ़ पक्ष साफ कर चुका है कि फिलहाल कल्पना सोरेन को उस सीट से चुनाव लड़ाने की बात कोरी बकवास है।

इस बीच ईडी की तरफ से छापामारी की जद में आये लोगों को क्रमवार तरीके से पूछताछ के लिए कार्यालय बुलाया गया है। इस वजह से ईडी का अगला कदम क्या होगा, इस पर भी लोगों की कड़ी नजर है। दरअसल पहली बार यह बात छनकर बाहर आयी है कि वे जिन इलाकों में छापामारी करने गये थे, वहां भी राज्य के दो वरीय अधिकारियों से संबंधित व्यक्ति के रिश्ते की बात हुई थी। इससे संकेत मिलता है कि ईडी के निशाने पर राज्य के आईएएस संवर्ग के दूसरे अधिकारी भी हैं।

Leave A Reply

Your email address will not be published.