मिजोरम चुनाव परिणाम में एमएनएफ को जोरदार झटका
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8 जोरमथांगा ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया
8 लालदुहोमा राज्य के नये मुख्यमंत्री बनेंगे
8 नये संगठन को किसी का समर्थन नहीं चाहिए
भूपेन गोस्वामी
गुवाहाटी : मिजोरम विधानसभा चुनाव में जोरम पीपुल्स मूवमेंट-जेडपीएम ने पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया है। चालीस सदस्यों की विधानसभा में उसे 27 सीट मिली है। सत्तारूढ मिजो नेशनल फ्रंट ने नौ सीटें जीती हैं और एक पर आगे चल रही है। भारतीय जनता पार्टी को दो सीटों पर विजय मिली है।
कांग्रेस एक सीट पर आगे है।निवर्तमान मुख्यमन्त्री जोरमथंगा चुनाव हार गए हैं। जेडपीएम के लालथन सांगा ने आइजोल पूर्व-वन सीट पर उन्हें 2100 से भी अधिक वोटों से हराया। स्वास्थ्य मंत्री आर लालथंगलियाना भी चुनाव हार गए हैं। जेडपीएम के जेजे लालपेखलुआ ने दक्षिणी तुईपुई सीट पर उन्हें 135 वोटों से मात दी। जेडपीएम के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार लालदूहोमा, सेरछपि सीट से पहले ही जीत चुके हैं। 40 सीटों की मिजोरम विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 21 है।
जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) को 27 सीटों पर विजेता घोषित किया गया है, जो 40 सीटों वाली विधानसभा में बहुमत के आंकड़े को पार कर गया है। जेडपीएम के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार लालदुहोमा ने सेरछिप निर्वाचन क्षेत्र में स्पष्ट जीत हासिल की है। इस बीच, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री और एमएनएफ उम्मीदवार आर लालथंगलियाना को दक्षिण तुईपुई सीट पर जेडपीएम के जेजे लालपेखलुआ के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा। बाद में शाम को मौजूदा मुख्यमंत्री जोरामथंगा ने अपना इस्तीफा दे दिया।
मिजोरम के राजनीतिक परिदृश्य में 1987 में पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद से कांग्रेस और मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) का वर्चस्व रहा है। एमएनएफ के जोरामथंगा 1998 के विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री बने थे और कांग्रेस के 10 साल के शासन का अंत हुआ था। एमएनएफ ने एक दशक तक शासन किया जब तक कि कांग्रेस ने 2008 और 2013 में जीत हासिल नहीं की। 2018 में सत्ता में वापसी करने वाली एमएनएफ का लक्ष्य इस साल 40 सदस्यीय विधानसभा में एक और जीत हासिल करना है।
कांग्रेस का प्रचार मुख्य रूप से भाजपा विरोधी मुद्दे पर केंद्रित था, जिसमें एमएनएफ और जेडपीएम दोनों को ईसाई बहुल राज्य में भाजपा के लिए प्रवेश बिंदु के रूप में चित्रित किया गया था। महज 23 सीटों पर चुनाव लड़कर भाजपा को सरकार गठन में भूमिका निभाने की उम्मीद थी।
कांग्रेस ने भी अपने चुनाव प्रचार में भाजपा के खिलाफ मणिपुर संकट का मुद्दा उठाया था और इसके लिए पूर्वोत्तर में भाजपा के कथित कुप्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया था।सेरचिप सीट से विजेता बने लालडुहोमा ने मीडिया से बात की। उन्होंने कहा, मिजोरम फिलहाल वित्तीय आपदा से जूझ रहा है। निवर्तमान सरकार से हमें यही विरासत में मिलने वाला है। हम अपने वादों को पूरा करने वाले हैं। राज्य में वित्तीय सुधार जरूरी है और इसके लिए हम एक टीम बनाने जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि वह कल या उसके एक दिन बाद वह राज्यपाल से मुलाकात करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि शपथ ग्रहण समारोह इस महीने के आखिर में हो सकता है। बता दें कि इस चुनाव में राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी मिजो नेशनल फ्रंट बुरी तरह से हार गई है। सीएम और डिप्टी सीएम को अपने निर्वाचन क्षेत्रों से हार का सामना करना पड़ा है।
जेडपीएम के लालदुहोमा नए मुख्यमंत्री होंगे और उन्होंने कहा कि मिजोरम में नई सरकार को एनडीए के समर्थन की जरूरत नहीं है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के निर्देशानुसार असम के मुख्यमंत्री और पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन के नेता डॉ. हिमंत बिस्वा शर्मा ने एनडीए के साथ नई सरकार के समर्थन का अनुरोध किया है। लेकिन नई सरकार ने भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के अनुरोध को खारिज कर दिया है।
भाजपा के दो विधायक नई सरकार को समर्थन देने के लिए सहमत हो गए हैं। लेकिन नई, सरकार ने बीजेपी का समर्थन लेने से इनकार कर दिया है। जेडपीएम के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार लालदुहोमा ने कहा, मैं कल या परसों राज्यपाल से मिलूंगा। नई सरकार इसी महीने शपथ लेगी। जेडपीएम ने 40 सदस्यीय मिजोरम विधानसभा में 27 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत हासिल किया। सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट 10 सीटों तक सीमित रह गया है। भाजपा ने दो सीटों पर जीत दर्ज की है। कांग्रेस 1 सीट तक सीमित है।