Breaking News in Hindi

अमित शाह ने बाबूलाल से अलग से बैठक की

  • अलग से करीब 25 मिनट की बैठक

  • लोकसभा टिकट और संगठन का आकलन

  • प्रदेश कार्यसमिति के पुनर्गठन पर अधिक ध्यान

राष्ट्रीय खबर

रांची: केंद्रीय गृह मंत्री की राजनीतिक चाल ने फिर से सुस्त पड़ी झारखंड की राजनीति को गरमा दिया है। दरअसल अमित शाह यहां हजारीबाग में सीमा सुरक्षा बल के कार्यक्रम में भाग लेने आये थे। इस कार्यक्रम से अलग हटकर उन्होंने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी से बात चीत की। दोनों की करीब 25 मिनट की बात चीत ने भाजपा के अंदर और बाहर का राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है। भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह से मुलाकात पर कयासों का दौर शुरू हो चुका है।

दरअसल लोकसभा चुनाव के पूर्व ऐसी बात चीत का एक अर्थ टिकट पाने अथवा कटने से जुड़ा होता है। इसके अलावा प्रदेश संगठन में भी फेरबदल की आहट है। झारखंड भाजपा की नई प्रदेश कार्यसमिति का अब तक गठन नहीं हो पाना भी एक वजह है।। दरअसल, बाबूलाल मरांडी को प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाले करीब पांच माह गुजर चुके हैं। लेकिन अभी तक कार्यसमिति की घोषणा नहीं हुई है।

पिछले माह जोर शोर से चर्चा उठी थी कि बाबूलाल मरांडी, संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह और प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी के बीच इसको लेकर मंथन हुआ है। लेकिन लिस्ट अबतक सामने नहीं आई। खास बात है कि कर्मवीर सिंह को भी संगठन मंत्री के रुप में कार्यभार संभाले करीब एक साल हो चुका है। इसके बावजूद अभी तक पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश वाली कमेटी से ही काम चलाया जा रहा है। हालांकि रघुवर दास को राज्यपाल बनाकर पार्टी से अलग करने और अमर बाउरी को नेता प्रतिपक्ष बनाकर भाजपा ने संकेत दे दिया है कि कार्यसमिति में किसकी चलेगी और इसकी सूरत कैसी होगी।

इसमें कास्ट इक्वेशन खासकर ओबीसी से आदित्य साहू और सामान्य वर्ग से अनंत ओझा और रणधीर सिंह को विशेष तवज्जो दी जा सकती है। वैसे प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभालते ही बाबूलाल मरांडी ने संकल्प यात्रा के जरिए अपने जेवीएम वाले कैडर को भाजपा कैडर के साथ तालमेल बिठाने में बड़ी भूमिका निभाई है। लेकिन नतीजों पर पहुंचने में लगातार विलंब हो रहा है। दूसरी तरफ खुद प्रधानमंत्री मोदी द्वारा आदिवासियों को अपने पाले में करने की कोशिश से भी सभी वाकिफ है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कार्यसमिति के गठन में विलंब क्यों हो रहा है।

इस मुलाकात को लेकर हर किसी का अपना अलग नजरिया है। चुनाव से पहले प्रदेश कार्यसमिति में फेरबदल से पहले हर नाम पर मंथन होता है। आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव को भी देखा जाता है। केंद्रीय नेतृत्व के गाइडलाइन को भी ध्यान में रखना होता है। संभव है कि दिसंबर तक कार्यसमिति बन जानी चाहिए।

जहां तक अमित शाह से मुलाकात की बात है तो वह पार्टी के बड़े नेता हैं। लिहाजा, बाबूलाल मरांडी ने उनको झारखंड की राजनीतिक स्थिति से अवगत कराया होगा। झारखंड में माइनिंग और जमीन घोटाला से जुड़े कई मामले चल रहे हैं। कुछ मामले हाईकोर्ट में भी हैं। लेकिन ईडी की धीमी कार्रवाई पर जरुर चर्चा हुई होगी।

खास बात है कि पार्टी के संविधान और नियम के मुताबिक हर तीन माह पर कार्यकारिणी की बैठक करने का प्रावधान है। लेकिन झारखंड में पूर्व भाजपा अध्यक्ष दीपक प्रकाश के नेतृत्व में जनवरी माह में कार्यकारिणी की बैठक हुई थी। पार्टी नियम के तहत झारखंड को श्रेणी-2 के प्रदेश में रखा गया है। इसके तहत कार्यकारिणी में अध्यक्ष के अलावा अधिक से अधिक 90 सदस्य होंगे। इनमें 30 महिलाएं और सात लोग एसटी और एससी वर्ग के होंगे। इसमें अधिक से अधिक 8 उपाध्यक्ष, तीन महामंत्री, एक महामंत्री संगठन और एक कोषाध्यक्ष होंगे। इन पदाधिकारियों में कम से कम 7 महिलाएं और तीन एसटी-एससी वर्ग के लोग होंगे। प्रदेश अध्यक्ष अपनी कार्यसमिति में कम से कम 25 प्रतिशत नये सदस्यों को जगह देंगे।

उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा।