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म्यांमार में सैन्य शिविर पर विद्रोहियों ने कब्जा जमाया

  • सेना के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष बहुत तेज

  • सेना की तरफ से तेज हुए हवाई हमले

  • पूर्वोत्तर राज्यों में शरणार्थियों का आना शुरू

भूपेन गोस्वामी

गुवाहाटी : पड़ोसी देश म्यांमार के कई हिस्सों से हिंसा की ताजा घटनाओं के सामने आने को लेकर भारत ने गंभीर चिंता जताई है। भारत ने आज भारत-म्यांमार सीमा के पास म्यांमार की सेना और जुंटा विरोधी समूहों के बीच लड़ाई बंद करने का आह्वान किया। हिंसा की वजह से मिजोरम समेत कुछ दूसरे पूर्वोत्तर राज्यों में शरणार्थियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है।

भारत ने म्यांमार में शीघ्रता से शांति स्थापित किए जाने की उम्मीद जताई है और यह भी कहा है कि जो शरणार्थी भारतीय सीमा में घुस आए हैं, उन्हें वापस अपने देश भेजा जा रहा है। भारत की यह प्रतिक्रिया तब आई है जब म्यांमार में हिंसा से प्रभावित वहां के कुछ सैनिकों के भी भारतीय क्षेत्र में घुस आने की सूचना मिली है।

इन सैनिकों को वापस भेज दिया गया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को इस बारे में पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि भारत-म्यांमार सीमा पर जारी हिंसा हमारे लिए काफी गंभीर चिंता का कारण है। मिजोरम राज्य के जोवखाथार के पास म्यांमार सीमा पर स्थित शिन स्टेट के रीख्वादार क्षेत्र में लड़ाई चल रही है।

इसकी वजह से म्यांमार के कुछ नागरिकों के भारतीय क्षेत्र में घुस आने की सूचना है। हम अपनी सीमा के पास इस तरह की घटनाओं से काफी चिंतित हैं। म्यांमार को लेकर हमारी नीति में कोई बदलाव नहीं है। हम इस तरह की हिंसा के जल्द से जल्द समाप्त होने की उम्मीद करते हैं और यह भी उम्मीद करते हैं कि दोनों पक्षों के बीच शांतिपूर्ण तरीके से मुद्दों को सुलझाया जाएगा।

पड़ोसी देश म्यांमार में सैन्य शिविर पर जुंटा विरोधी समूह के कब्जे के बाद 29 और सैनिक वहां से भाग कर मिजोरम पहुचे। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। पीपुल्स डिफेंस फोर्स (पीडीएफ) के साथ हाल में हुई गोलीबारी के बाद म्यांमार के कुल 74 सैन्यकर्मी भाग कर मिजोरम आ चुके हैं। हालांकि, इनमें से कई सैनिकों को वापस भेज दिया गया है।

पुलिस महानिरीक्षक (मुख्यालय) लालबियाकथांगा खियांग्ते ने मीडिया को बताया, ‘‘आज 29 और सैनिकों ने तियाउ नदी के पास चंफाई जिले के सैखुमफई में पुलिस और असम राइफल्स से संपर्क किया, जो भारत और म्यांमार के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कार्य करती है।”

उन्होंने बताया कि वे अंतरराष्ट्रीय सीमा से कुछ किलोमीटर दूर म्यांमार के चिन राज्य के तुईबुअल में स्थित अपने शिविर से भाग कर यहां आये हैं। असम राइफल्स के एक अधिकारी ने कहा कि इन 29 म्यांमार सैनिकों को अब भी उनके देश वापस नहीं भेजा गया है। एक अधिकारी ने बताया कि पड़ोसी मुल्क से भाग कर यहां आने वाले सैनिकों में से 45 को म्यामां की सैन्य सरकार को सौंप दिया गया।

भारत ने बृहस्पतिवार को अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास म्यामांर की सेना और जुंटा विरोधी समूहों के बीच संघर्ष को रोकने का आह्वान किया, जिससे मिजोरम में म्यांमार के लोगों की आवक बढ़ गई है। फरवरी 2021 में सेना द्वारा तख्तापलट कर सत्ता पर कब्जा करने के बाद से म्यामांर में लोकतंत्र की बहाली की मांग को लेकर व्यापक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।

म्यांमार की सेना अपने विरोधियों और सत्तारूढ़ शासन के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष में शामिल लोगों के खिलाफ हवाई हमले कर रही है। म्यामांर भारत के रणनीतिक पड़ोसियों में से एक है और उग्रवाद प्रभावित नगालैंड और मणिपुर सहित कई पूर्वोत्तर राज्यों के साथ 1,640 किलोमीटर की सीमा साझा करता है। म्यांमार में सैन्य शासन द्वारा तख्तापलट करने के बाद फरवरी 2021 से 31,000 से अधिक लोगों ने मिजोरम में शरण ली है।

भारतीय सीमा से लगे म्यांमार स्थित सैन्य बेस पर विद्रोहियों के हमले के बाद यह लोग भारत में सीमा लांघ कर आए हैं। पिछले 72 घंटों में म्यांमार के चिन प्रांत से भारत के मिजोरम में करीब 6000 विद्रोहियों के घुस आने के बाद हजारों अभी भी भारतीय सीमा में घुसपैठ की ताक में हैं।इस बीच, म्यांमार के सैन्य शासक जुंटा ने अपने सैन्य प्रशासन से देश में आपातकाल घोषित करने की तैयारी करने को कहा है। म्यांमारी सेना और विद्रोही गुटों के बीच जारी भीषण युद्ध के चलते भारत के पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम में मिजो विद्रोहियों की घुसपैठ बढ़ती ही जा रही है। पिछले दो-तीन दिनों में ही पांच से छह हजार म्यांमारी आबादी भारत के मिजोरम राज्य के शरणार्थी शिविरों में डेरा डाल चुकी है।

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