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एक एमएलए वाली पार्टी का बहुमत पाने का दावा

  • सीएम जोरमथंगा ने पीएम मोदी के साथ मंच शेयर करने से इनकार

  • जोरम पीपुल्स मूवमेंट ने किसी भी गठबंधन से इनकार किया

  • मणिपुर अशांत था, कांग्रेस ने राजनीति की कोशिश की: राजनाथ

भूपेन गोस्वामी

गुवाहाटी : मिजोरम विधानसभा में सिर्फ एक विधायक वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसे उम्मीद है कि वह पूर्वोत्तर राज्य में अपने दम पर ही अगली सरकार बना लेगी।अगर बहुमत नहीं आता है तो भाजपा सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) या फिर मुख्य विपक्षी दल जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेएडपीएम) से भी गठबंधन के लिए तैयार है। जिसे अधिक सीटें मिलेंगी उसे प्राथमिकता दी जाएगी।

एमएनएफ पहले से ही राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का हिस्सा है।भाजपा सात नवंबर को होने वाले 40 सदस्यीय मिजोरम विधानसभा चुनाव में 23 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। 2018 में हुये पिछले चुनाव में पार्टी ने 39 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन एक ही सीट पर जीत हासिल कर राज्य विधानसभा में उसका पहली बार खाता खुला था।मिजोरम भाजपा अध्यक्ष (प्रभारी) वनुपा जथांग ने यहां एक साक्षात्कार में कहा, हमारा प्रचार बहुत अच्छा चल रहा है।

लोग विभिन्न मुद्दों पर हमारे रुख को स्वीकार कर रहे हैं और हमारी नीतियों को समझ रहे हैं। हमें उम्मीद है कि इस बार हम अपने दम पर सरकार बनाएंगे।उन्होंने दावा किया कि भाजपा को ईसाई विरोधी पार्टी बताने वाला विपक्ष का दुष्प्रचार’’ काम नहीं आया है।जथांग ने कहा, हमने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) और संविधान के अनुच्छेद 371जी पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है।

यूसीसी अभी विधि आयोग के पास है। हमें इस पर और कुछ नहीं कहना है।अनुच्छेद 371जी को कमजोर करने के विपक्ष के आरोप पर उन्होंने कहा कि पार्टी ने लोगों को मिजोरम के लिए विशेष प्रावधान के बारे में बताया है और यह एक स्थायी शर्त है, जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की तरह अस्थायी नहीं है।भारतीय संविधान का अनुच्छेद 371जी मिजोरम के लिए एक विशेष प्रावधान है।

इसमें कहा गया है कि धार्मिक या सामाजिक प्रथाओं, प्रथागत कानून तथा प्रक्रिया और भूमि के स्वामित्व तथा हस्तांतरण से संबंधित कोई भी केंद्रीय कानून तब तक लागू नहीं होगा जब तक कि मिजोरम विधानसभा इसकी मंजूरी नहीं दे देती।यह पूछे जाने पर कि अगर बहुमत हासिल नहीं होता है, तो भाजपा का अगला कदम क्या होगा, उन्होंने कहा, इस तरह की स्थिति में, अगर एमएनएफ राजग के साथ रहती है तो हम उसका समर्थन करेंगे।

अगर जेडपीएम को एमएनएफ से अधिक सीटें मिलती हैं, तो भाजपा को उनके साथ जाने में कोई परहेज नहीं होगा।हालांकि, उन्होंने तीनों गैर-कांग्रेसी दल-भाजपा, एमएनएफ और जेडपीएम की गठबंधन सरकार से इनकार कर दिया।उत्तर-पूर्व के मिजोरम ने बड़ी पार्टियों की सियासी बेचैनी बढ़ा दी है। खासकर भाजपा और कांग्रेस की।

चुनावी शोरगुल में राष्ट्रीय चैनल के सिनेरियो से गायब मिजोरम में विधानसभा की 40 सीटें हैं, जहां मुख्य मुकाबला मिजो नेशनल फ्रंट और कांग्रेस गठबंधन के बीच है। मिजोरम की सत्ता में अभी तक भाजपा भी साझेदार थी, लेकिन चुनाव से पहले सहयोगी मिजो नेशनल फ्रंट ने उससे दूरी बना ली।

राज्य के मुख्यमंत्री जोरमथंगा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच शेयर करने से भी इनकार कर दिया है। मुश्किलें कांग्रेस की भी कम नहीं है। पार्टी के सामने 10-10 साल की सत्ता का रिवाज बदलने की चुनौती है। 1986 से ही मिजोरम की जनता राजनीतिक दलों को लगातार 2 बार सत्ता में आने का मौका देती रही है।

कांग्रेस को भी इस परंपरा का फायदा मिल चुका है। जोराम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) के कार्यकारी अध्यक्ष के। सपडांगा ने आइजोल प्रेस क्लब में आज स्पष्ट किया कि पार्टी भाजपा के साथ गठबंधन नहीं करेगी।जेडपीएम अध्यक्ष ने आज मीडिया से कहा कि वे अभी गठबंधन सरकार के बारे में सोचते हैं, क्योंकि पार्टी अपने दम पर मिजोरम में अगली सरकार बनाने के लिए पर्याप्त आश्वस्त है।नेता ने कहा कि अन्य विपक्षी दल जेडपीएम और भाजपा पर भाजपा के मामले में गुप्त समझौता करने का आरोप लगा रहे हैं, जो दृढ़ता से घोषणा कर रही है कि वे अगली सरकार बनाएंगे।

दूसरी ओर, मिजोरम में एक चुनावी जनसभा के दौरान रक्षा मंत्री व दिग्गज भाजपा नेता राजनाथ सिंह ने पूर्वोत्तर की स्थिति का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पिछले 9 वर्षों भारत के ये हिस्सा शांतिपूर्ण रहा। लेकिन जब यहां अशांति थी तो कांग्रेस के राजनेता को मणिपुर जाने से मना किया गया, लेकिन इसके बावजूद वो वहां गए।

रक्षा मंत्री ने कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए कहा कि कांग्रेस ने मणिपुर आशांति के दौरान राजनीति करने की कोशिश की। लेकिन अब हालात सामान्य हो रहे हैं। सिंह ने दावे के साथ कहा कि राज्य हुई हिंसा से लोगों को घाव तभी भरेंगे जब उन्हें राजनीति से दूर रखा जाएगा।चुनावी राज्य मिजोरम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह  भाजपा के अभियान के तहत आयोजित एक जनसभा को संबोधित करने पहुंचे थे। इस दौरान मंच से उन्होंने पूर्वोत्तर में फैली आशांति का जिक्र किया।

उन्होंने कहा कि हिंसाग्रस्त राज्य मणिपुर में लोग अपनों को खोने का दर्द तभी भुला पाएंगे जब उन्हें समस्या या पीड़ा का राजनीतिकरण ना किए जाए।रैली में राजनाथ सिंह ने दावा किया कि मोदी सरकार के कार्यकाल यानी पिछले 9 वर्षों में पूर्वोत्तर के राज्यों में शांति रही। उन्होंने कहा, पिछले नौ वर्षों में, पूर्वोत्तर शांतिपूर्ण रहा, हर राज्य में उग्रवाद या तो समाप्त हो गया या कम हो गया, लेकिन इस साल मणिपुर में जो दुर्भाग्यपूर्ण हिंसा हुई, वह हम सबके लिए बेहद दर्दनाक थी।

मैं ईमानदारी से आपको बताना चाहूंगा कि किसी भी राजनीतिक दल ने इस हिंसा का नेतृत्व नहीं किया। मैं किसी भी राजनीतिक दल पर आरोप नहीं लगाना चाहूंगा। कुछ ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई जिसके कारण यह हिंसा हुई। मणिपुर में दो समुदायों के बीच, कुछ स्थिति और असुरक्षा उत्पन्न हुई जिसके कारण यह हिंसा हुई। इसे समाप्त करने के लिए, मैं मणिपुर में दोनों समुदायों से अनुरोध करूंगा कि वे एक साथ बैठें और इस समस्या का समाधान करें।

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