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देश में बिजली की मांग बढ़ी है
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केंद्र का कोयला आयात का निर्देश
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केजरीवाल ने पहले लगाया था आरोप
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः अडाणी की कंपनी द्वारा इंडोनेशिया से कोयला आयात और अधिक कीमत पर उनकी बिक्री ने बिजली उत्पादन के पूरे गोरखधंधे पर फिर से राजनीतिक बवाल खड़ा कर दिया है। वैसे भी ऊर्जा संबंधी आंकड़े यह बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में भीषण गर्मी के कारण बिजली की मांग काफी बढ़ गई है।
लेकिन आपूर्ति ठीक से नहीं हो पाने के कारण कई स्थान लोड शेडिंग से प्रभावित हैं। समस्या मुख्य रूप से कोयला उत्पादन में संकट और कोयला आयात करने वाले बिजली संयंत्रों के बंद होने से बढ़ी है। जनता के आक्रोश को देखते हुए, केंद्र ने पिछले मार्च में आयातित कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांटों को पूरी क्षमता से संचालित करने का आदेश दिया।
इस बार में बिजली मंत्रालय ने कहा कि यह आदेश अगले जून तक लागू रहेगा। इसके बीच ही अचानक यह राज खुला कि कम कीमत पर आयात करने के बाद कई गुणा अधिक कीमत पर उन्हें देश में बेचा जा रहा है। इसके तथ्य भी सार्वजनिक हो चुके हैं। इसलिए माना जा रहा है कि गर्मी में केंद्र को बिजली की समस्या की आंच महसूस हो सकती है जबकि चुनावी माहौल में भाजपा पहले से ही इस आंच का सामना कर रही है।
सरकार की तरफ से दलील दी गयी है कि कोयले की आपूर्ति पर्याप्त नहीं है। पानी और बिजली की आपूर्ति भी कम हो गई है। आयातित कोयला आधारित संयंत्रों से बिजली की आपूर्ति आवश्यक है। टाटा ट्रॉम्ब, अदानी पावर मुंद्रा, एस्सार पावर गुजरात, जेएसडब्ल्यू रत्नागिरी जैसे केंद्रों को निर्देश दिया गया है।
इस तरफ, वितरण कंपनियां लंबे समय से दावा कर रही हैं कि ग्राहकों को सूचित किए बिना एसी के लिए उपयोग की जाने वाली अतिरिक्त बिजली कई जगहों पर सेवा में व्यवधान पैदा कर रही है। इस बार, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने कहा कि 2050 में, अकेले एसी के लिए भारत की बिजली की मांग अफ्रीका की वर्तमान कुल मांग से अधिक हो जाएगी।
दूसरी तरफ यह मुद्दा फिर से गरमा गया है कि जब आम आदमी पार्टी ने बिजली से अपनी पैठ बनाने का काम प्रारंभ किया था तो उस वक्त बिजली कंपनियों के ऑडिट का मामला जबरन ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। अरविंद केजरीवाल ने उसी वक्त यह कहा था कि फर्जी आंकड़ों के जरिए बिजली कंपनियां अधिक मुनाफा कमाने के बाद भी अपना घाटा बढ़ाकर दर्शा रही है। अब अडाणी कोयला आयात का मामला सामने आने के बाद यह चर्चा का विषय बन चुका है कि इस एक गड़बड़ी की वजह से हर भारतीय उपभोक्ता की जेब से कितनी रकम अधिक वसूली जा रही है।