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कांग्रेस ने कहा सरकार ने महंगाई बढ़ायी

  • लक्ष्य से कम हुई है गेंहू की खरीद

  • और दाम बढ़ा तो सरकार फंसेगी

  • आटा की थोक कीमत भी बढ़ी गयी

राष्ट्रीय खबर

नईदिल्ली: हालांकि देश के थोक बाजार में मूल्य वृद्धि की दर शून्य से नीचे है, लेकिन सवाल उठ रहा है कि इसका असर खुदरा बाजार पर कितना पड़ रहा है। जबकि पिछले महीने खुदरा मूल्य मुद्रास्फीति की दर 6 प्रतिशत से नीचे गिर गई थी, काजू की कीमतें हाल ही में फिर से बढ़ने लगी हैं, जिससे नई चिंताएं बढ़ गई हैं।

इस बार गेहूं की कीमत बढ़ने से आम लोग भी केंद्र को लेकर चिंतित हैं। राजनीतिक हलकों का कहना है कि अगर खाद्यान्न की बढ़ती कीमत पर अंकुश नहीं लगाया गया और गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी का असर आटे पर पड़ा, तो पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार पर काफी दबाव होगा। अब सभी की निगाहें इस पर हैं कि कीमतों को नियंत्रण में लाने के लिए वे क्या कदम उठाते हैं। गेंहू के मुद्दे पर किसान आंदोलन फिर से चर्चा में आ गया है, जिसकी वजह से अंतत: मोदी सरकार को तीनों कृषि कानून वापस लेने पड़े थे।

इधर कांग्रेस ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही गेहूं पर न्यूनतम समर्थन मूल्य-एमएसपी बढ़ाने का श्रेय लेने का प्रयास कर रही है लेकिन सच यह है कि ऐसा करना आवश्यकता थी इसलिए समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की गई है।

कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने गुरुवार को यहां जारी बयान में कहा कि गेहूं की एमएसपी में बड़ी बढ़ोतरी करने का श्रेय लेने की बजाय श्री मोदी को जवाब देना चाहिए कि आखिर मध्य प्रदेश में सोयाबीन एमएसपी से नीचे क्यों बिक रहा है और सरकार सस्ते दाम पर खाद्य तेलों का आयात क्यों कर रही है।

उन्होंने कहा गेहूं के एमएसपी में 150 रुपए प्रति कुंतल बढ़ोतरी की गई है। हमेशा की तरह, प्रधानमंत्री इस बड़ी बढ़ोतरी के लिए श्रेय ले रहे हैं। लेकिन हककत कुछ और ही है। यह सरकार के गेहूं भंडार के एकदम ख़ाली होने के कगार पर पहुंचने के कारण हुआ है।

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के शासनकाल में गेहूं के एमएसपी में 119 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी जबकि नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में सिर्फ 57 प्रतिशत हुई है, लेकिन अभी एमएसपी का बढ़ना, जो कि एक आवश्यकता है, उसे भी प्रधानमंत्री उपकार के रूप में पेश कर रहे हैं।

उन्होंने कहा एमएसपी बढ़ाने का श्रेय लेने से पहले इन सवालों का भी जवाब देना चाहिए कि संयुक्त किसान मोर्चा की एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी की मांग का क्या हुआ। यह तो ऐसे समय में और भी महत्वपूर्ण है जब प्रधानमंत्री के मित्रों द्वारा निजी खरीदारी बढ़ती जा रही है।

दिल्ली में गेहूं मिलों के सूत्रों के मुताबिक, मंगलवार को गेहूं की कीमत 27,390 रुपये प्रति टन थी। सोमवार की तुलना में 1.6 प्रतिशत अधिक। पिछले आठ महीनों में सबसे ज्यादा। पिछले छह महीने में गेहूं की कीमतों में 22 फीसदी का इजाफा हुआ है। संबंधित सूत्रों के अनुसार, त्योहार से पहले उत्पाद की मांग आपूर्ति से अधिक है।

फिर करीब 40 फीसदी आयात शुल्क के कारण भी आयात पर असर पड़ता है। यह सब उत्पाद की कीमत बढ़ाता है। कोलकाता बाजार सूत्रों के अनुसार, आटे की थोक कीमत हाल ही में 3000 टका से बढ़कर 3200 रुपया प्रति क्विंटल हो गई है। खुदरा बाजार पर इसका असर पड़ना अभी बाकी है। लेकिन अगर यही स्थिति जारी रही तो कुल मिलाकर खाद्य उत्पादों की कीमतें बढ़ेंगी

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