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पूर्व जमींदार की संपत्ति है यह मित्रा हाउस
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मात्र अस्सी रुपये किराये पर बिजली विभाग
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वर्ष 2004 से किराया भुगतान भी नहीं हुआ
राष्ट्रीय खबर
रांचीः कोकर में बिजली कार्यालय दरअसल एक ऐसे भवन में संचालित होता रहा है, जिसका मालिकाना पश्चिम बंगाल सरकार के पास है। हाल ही में बंगाल सरकार के दस्तावेजों की पुष्टि के लिए वहां से आये दल ने यह भी खोज निकाला है कि इस कार्यालय के लिए मासिक किराये का भुगतान भी दशकों से नहीं किया गया है। वैसे इस बीच इसी जमीन के कुछ हिस्से पर अवैध अतिक्रमण भी हो चुका है।
यह जमीन दरअसल कोलकाता के निवासी जमींदर सुधींद्रनाथ मित्रा की थी। वह रांची में रहते थे। यह कुल 35 कट्ठा जमीन है। उनका कोई वारिश नहीं होने की वजह से उनकी अपनी वसीयत की वजह से बाद में उनकी तमाम संपत्ति पश्चिम बंगाल सरकार के अधीन चली गयी। उपलब्ध रिकार्ड के मुताबिक 1953 में, यह घर राज्य द्वारा बिहार सरकार को पट्टे पर दिया गया था।
बिहार सरकार ने रांची के कोकर इलाके के उस मित्र हाउस में मात्र 80 रुपये मासिक किराये पर बिजली विभाग का कार्यालय बनाया। लेकिन बिहार के विभाजन और झारखण्ड राज्य के गठन के बाद से बंगाल का लगान भी अनियमित हो गया। 20 साल पहले किराया पूरी तरह बंद कर दिया गया था। अब जब यह बात संज्ञान में आई है तो राज्य सरकार झारखंड सरकार के बिजली विभाग से बकाया किराया और बेदखली वसूलने की पहल करने जा रही है।
कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, पश्चिम बंगाल के महाप्रबंधक और सरकारी ट्रस्टी विभाग को सुधींद्रनाथ मित्रा की सभी संपत्तियों की देखभाल की जिम्मेदारी दी गई है। रांची के अलावा, कलकत्ता और बर्दवान में सुधींद्रनाथ द्वारा वसीयत की गई जमीन राज्य सरकार द्वारा अधिग्रहित कर ली गई। परन्तु बहुत समय तक राज्य ने उस सम्पत्ति पर ध्यान नहीं दिया। हाल ही में उस विभाग के प्रमुख बिप्लब रॉय को रांची की संपत्ति का पता चला।
पुरानी फाइल देखने के बाद देखा कि मार्च 2004 से रांची के मित्रा हाउस का किराया बकाया है। बिप्लब ने हाल ही में रांची जाकर झारखंड सरकार से बात की थी। सरकारी अमीन से जमीन की मापी कराने पर पता चला कि कई हिस्से पर अतिक्रमण हो चुका है। घर के बिना शेष जमीन अभी भी 35 कट्ठा से कुछ अधिक है।
अब बंगाल के ट्रस्टी बिप्लब खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए कानूनी कदम उठाने की सोच रहे हैं। मार्च 2004 से झारखंड सरकार के बिजली विभाग ने किराया देना पूरी तरह बंद कर दिया। हालांकि वे अब भी रांची के मित्र हाउस का इस्तेमाल कर रहे हैं। बंगाल सरकार रांची के उपायुक्त से संपर्क कर चुकी है। झारखंड के बिजली विभाग से भी संपर्क किया गया।
बिप्लब ने कहा, हालांकि घर के पास कुल कितनी जमीन थी, इसका दस्तावेज राज्य सरकार के पास नहीं है। हालांकि, यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए गए हैं कि जमीन न खोए। उस घर के सामने बंगाल सरकार ने अपना बोर्ड लटका दिया। ताकि दलाल उस जमीन का सौदा नहीं कर सकें। बोर्ड में स्पष्ट है कि जमीन बंगाल की है और झारखंड सरकार किरायेदार है। साथ ही उन्होंने कहा कि वे जल्द ही बकाया किराया वसूलने और झारखंड सरकार को मित्र हाउस से बेदखल करने के लिए कानूनी कार्रवाई करेंगे।