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महिला आरक्षण का चुनावी दांव

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक के पारित होने को भारत की संसदीय यात्रा का स्वर्णिम पल करार देते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि मातृशक्ति का भरोसा देश को नई दिशा देगा। अब इस विधेयक को हर स्तर पर मंजूरी भी मिल चुकी है। इसके बाद भी भाजपा ने जिस सोच के साथ इसे पेश किया है, वह कितना चुनावी लाभ देगा, इस पर विचार करने की जरूरत है।

पीएम मोदी ने निचले सदन में इस विधेयक को पारित करने में व्यापक सहयोग के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष के सभी सदस्यों का आभार व्यक्त किया। सदन की कार्यवाही जैसे ही पूर्वाह्न 11 बजे शुरू हुई अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रधानमंत्री को सदन को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया और उन्होंने पूरे सदन का आभार व्यक्त किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकसभा में कल का दिन भारत की संसदीय यात्रा का स्वर्णिम पल था। उन्होंने कहा, इसके हकदार इस सदन के सभी सदस्य हैं, इसके हकदार सभी दल के सदस्य और सभी दल के नेता भी हैं। उन्होंने कहा कि निचले सदन में विधेयक पारित होने से देश की मातृशक्ति में नयी ऊर्जा का संचार हुआ है। उन्होंने कहा कि जब राज्यसभा में महिला आरक्षण विधेयक का अंतिम पड़ाव पूरा कर लेंगे तो देश की मातृशक्ति का भरोसा देश को नयी दिशा देगा।

उन्होंने कहा, मातृशक्ति को नयी ऊर्जा देने में आप सबों ने जो सहयोग दिया है, उसके लिए आप सभी को मैं दिल से अभिनंदन के लिए खड़ा हुआ हूं। लोकसभा ने महिला आरक्षण संबंधी संविधान (128वां संशोधन) विधेयक, 2023 बुधवार को करीब आठ घंटे की चर्चा के बाद 2 के मुकाबले 454 वोट से अपनी स्वीकृति दी। उनके कहने के बाद यह विधेयक तुरंत ही राज्यसभा से भी पारित हो गया। निचले सदन में कांग्रेस, सपा, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों ने का समर्थन किया।

हालांकि असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने विधेयक का विरोध किया। लोकसभा में ओवैसी समेत एआईएमआईएम के दो सदस्य हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव के करीब आने और पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से जोड़कर इसे चुनावी दांव के तौर पर देखा जा रहा है।

दरअसल इस मुद्दे को पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव के परिणामों से जोड़कर देखा जाना चाहिए जहां चुनाव प्रचार के अंतिम तीन दिनों के प्रचार ने राज्य की महिलाओं को अचानक से भाजपा के खिलाफ कर दिया था क्योंकि भाजपा के प्रचार में अपना प्रचार कम और ममता बनर्जी की निंदा का अधिक समावेश था।

प्रचार में ममता के खिलाफ जिस तरीके से शब्द बोले गये, वह वहां की आधी आबादी के बहुमत को पसंद नहीं आया। इसी वजह से प्रशांत किशोर की वह भविष्यवाणी सच साबित हुई कि भाजपा सौ का आंकड़ा भी पूरा नहीं कर पायेगी। बाद में शायद भाजपा को यह बात समझ में आयी और जैसे जैसे उसे अगले चुनाव में जीत का रास्ता कठिन होता नजर आया, उसने यह दांव भी चल दी।

इतना तो साफ हो चुका है कि भाजपा के शासन में निकट भविष्य में यह लागू नहीं हो सकता क्योंकि इसमें सरकार की तरफ से कई शर्त लगे हुए हैं। दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन अब ओबीसी के अलावा महिला आरक्षण पर भी अपनी लोकप्रियता और समर्थन को और ऊपर ले जाना चाहता है। इसी क्रम में तमिलनाडू से भी पलट चाल चली जा चुकी है।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एवं द्रमुक अध्यक्ष एम.के.स्टालिन ने कहा है कि भाजपा को निर्णायक रूप से हराना भारत में हर लोकतांत्रिक ताकत के लिए ऐतिहासिक अनिवार्यता है तथा इंडिया गठबंधन की जीत न केवल महिलाओं बल्कि सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करेगी। द्रमुक की महिला इकाई की ओर से आयोजित महिला अधिकार सम्मेलन में अपने संबोधन में श्री स्टालिन ने संसद में पारित महिला आरक्षण विधेयक के तत्काल कार्यान्वयन की मांग की।

उन्होंने उपस्थित सभी नेताओं से महिलाओं के अधिकारों और देश के लोगों की सुरक्षा के लिए भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए 2019 से दिखाए गए तमिलनाडु मॉडल का अनुसरण करते हुए एकजुट होकर काम करने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि भाजपा के कानून में एक महत्वपूर्ण दोष ओबीसी और अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए आरक्षण का अभाव है।

उन्होंने कहा कि यदि उन्हें आंतरिक आरक्षण दिया जाए तो ही हाशिये पर पड़े और आर्थिक रूप से वंचितों की आवाज विधानसभाओं और संसद में गूंजेगी। उन्होंने कहा,ऐसा लगता है कि भाजपा कुछ और ही पसंद करती है।

उन्होंने कहा, भाजपा विरोधी एकजुट हो सकते हैं और छोटे-मोटे मतभेदों से ऊपर उठ सकते हैं तो हम निश्चित रूप से भाजपा को हरा सकते हैं जो लोगों के हितों के खिलाफ है। इसलिए महिला आरक्षण की चाल का भाजपा को कितना चुनावी लाभ मिलेगा, यह मुद्दा अब सवालों के घेरे में है क्योंकि कांग्रेस की तरफ से सरकार बनाते ही इसे तुरंत लागू करने की बात कही गयी है, जो शायद देश की आधी आबादी को अधिक पसंद आये।

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