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नई दिल्ली: प्रादेशिक सेना (टीए) ने मैंडरीन-प्रशिक्षित अधिकारियों के अपने पहले बैच को शामिल किया है और उन्हें चीनी भाषा, तिब्बती विज्ञान और इसी तरह की अन्य भाषाओं में विशेषज्ञता बढ़ाने के नियमित सेना के अभियान के समर्थन में एलएसी के साथ आगे के क्षेत्रों में तैनात किया है। बता दें क मैडरीन भाषा ही चीन में बोली जाती है।
आम भारतीय इस भाषा में दक्षता नहीं रखता। कई बार भाषा समझ में नहीं आने की वजह से भी बेवजह का तनाव हो जाता है। गलवान घाटी की घटना के बाद भारतीय सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कड़ी नजरदारी के साथ साथ इस विषय पर भी ध्यान दे रही है। पूर्वी लद्दाख में सैन्य टकराव के मद्देनजर ऐसा किया जा रहा है।
टेरिटोरियल आर्मी के एक सूत्र ने कहा, मैंडरीन दक्षता और अधिकारी जैसी गुणवत्ता के आधार पर एक व्यापक चयन प्रक्रिया के बाद अगस्त में पांच चीनी भाषा दुभाषियों को टीए में शामिल किया गया था। अब उन्हें पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के साथ सीमा कर्मियों की बैठकों में मदद करने के लिए आगे के क्षेत्रों में तैनात किया गया है।
टीए का यह कदम, जो नागरिक सैनिकों की सेना की अवधारणा पर आधारित है और नियमित सशस्त्र बलों का समर्थन करता है, मैंडरीन दक्षता, तिब्बती विज्ञान और ऊंचाई पर रहते हुए काम करने की क्षमता का ध्यान रखते हुए नियमित सेना द्वारा उठाए जा रहे कई उपायों को जोड़ता है। चीन के मुद्दे पर भाषा संबंधी परेशानी का उल्लेख पहले भी किया गया था।
सेना पहले से ही अपने उत्तरी, पूर्वी और मध्य कमांड में विभिन्न मैंडरीन पाठ्यक्रम संचालित कर रही है, जबकि बल ने अपने कर्मियों को भाषा में प्रशिक्षण देने के लिए विभिन्न विश्वविद्यालयों के साथ भी समझौता किया है। टीए, जो 9 अक्टूबर को अपना स्थापना दिवस मनाता है, साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों को शामिल करने के लिए भी आगे बढ़ रहा है, जिसके पहले बैच के इस साल के अंत तक शामिल होने की संभावना है।