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नईदिल्लीः केंद्र सरकार की जीवन बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) दबाव में है। एलआईसी को आयकर विभाग द्वारा 84 करोड़ रुपये का जुर्माना झेलना पड़ा। एलआईसी अधिकारियों के मुताबिक, उन्हें आयकर विभाग से 84 करोड़ रुपये का जुर्माना नोटिस मिला है।
केंद्रीय बीमा निगम ने कहा कि यह आयकर नोटिस तीन वित्तीय वर्षों 2012-13, 2018-19 और 2019-20 के लिए आयकर संबंधी मामलों के लिए है। इसमें से वित्तीय वर्ष 2012-13 के लिए 12.61 करोड़, वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए 33.82 करोड़ और वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए 37.58 करोड़ का जुर्माना लगाया गया है। एलआईसी अधिकारियों ने कहा कि यह जुर्माना आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 271(1)सी और 270ए के अनुसार है।
संयोगवश, 1956 में, केंद्र सरकार की जीवन बीमा कंपनी ने केवल पाँच करोड़ रुपया प्रति माह की पूंजी के साथ अपना व्यवसाय शुरू किया। फिलहाल इस संगठन की संपत्ति 45 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है। एलआईसी ने कहा कि वह आयकर विभाग के इस आदेश के खिलाफ अपील करेगी। इससे पहले 22 सितंबर को भारतीय जीवन बीमा निगम को 290 करोड़ रुपये का जीएसटी नोटिस मिला था। उस 290 करोड़ रुपये में से जीएसटी राशि 166.8 करोड़ रुपये, ब्याज राशि 107.1 करोड़ रुपये और जुर्माना 16.7 करोड़ रुपये था।
वैसे समझा जाता है कि आयकर विभाग की यह कार्रवाई भी हिंडनबर्ग रिपोर्ट से प्रभावित है। अडाणी समूह में एलआईसी ने भी निवेश किया है। दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट में जांच के बारे में सेबी खुलकर कुछ बता नहीं पा रही है। दूसरी तरफ अन्य माध्यमों से यह पता चला है कि विदेशी पूंजी निवेश करने वालों की पहचान जानने के कोशिश किसी भी भारतीय जांच एजेंसी ने नहीं की थी। संसद से लेकर सड़क तक राहुल गांधी ने इसे एक बड़ा मुद्दा बना दिया है।