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नईदिल्लीः आज सुबह करीब 3 बजे इसरो ने ट्वीट किया कि आदित्य-एल1 की दूसरी कक्षा परिवर्तन प्रक्रिया सफल रही। अंतरिक्ष यान पृथ्वी से और भी दूर चला गया। उसकी स्पीड भी थोड़ी बढ़ गई। आदित्य-एल1 इसरो का सौर वाहन है जो लक्ष्य पर स्थिर है। वह धीरे-धीरे सूर्य की ओर बढ़ रहा है।
अंतरिक्ष यान को इसरो के बेंगलुरु कार्यालय से नियंत्रित किया जा रहा है। ऑर्बिटर ने मंगलवार को दूसरी बार अपनी कक्षा बदली। सुबह करीब 3 बजे इसरो ने ट्वीट किया कि आदित्य-एल1 की दूसरी कक्षा परिवर्तन प्रक्रिया सफल रही। परिणामस्वरूप, सौर वाहन की गति भी थोड़ी बढ़ गई है। अंतरिक्ष यान पृथ्वी से और भी दूर चला गया।
इसरो ने कहा कि आदित्य-एल1 वर्तमान में 282 किमी X 40,225 किमी की कक्षा में है। इसका मतलब यह है कि जब आदित्य-एल1 अपनी वर्तमान कक्षा में पृथ्वी के सबसे करीब आएगा, तो वह 282 किमी दूर होगा। सबसे दूर की दूरी 40,225 किमी होगी। इसरो के सौर अंतरिक्ष यान ने अभी तक पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण नहीं छोड़ा है।
पृथ्वी के खिंचाव के कारण यह कुल पांच बार अपनी कक्षा बदलेगा। आदित्य-एल1 पांचवीं बार अपनी कक्षा बदलेगा और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण खिंचाव छोड़ेगा। इसमें 15 से 16 दिन लगेंगे। इसके बाद यह सूर्य के निकट लैग्रेंज बिंदु या एल1 बिंदु पर निशाना साधेगा। यह पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर एक ‘प्रभामंडल’ बिंदु है। कहां खड़े होकर सूर्य को करीब से देखना है।
इसरो के मुताबिक, आदित्य-एल1 का सूर्य की ओर अगला कक्षा परिवर्तन 10 सितंबर को दोपहर करीब 2।30 बजे होगा। पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव को छोड़ने के बाद अंतरिक्ष यान को लैग्रेंज बिंदु तक पहुंचने में 110 दिन लगेंगे। यह भारत का पहला सौर अभियान है। भारत ने पहले कभी सूर्य पर अंतरिक्ष यान नहीं भेजा है।