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मणिपुर में निजी बंकरों में हथियारबंद लोग

राष्ट्रीय खबर

नईदिल्लीः मणिपुर के बारे में काफी देर से ही सही पर सही सूचनाएं इस बात का संकेत देती है कि वहां की हिंसा को सरकार का समर्थन प्राप्त है। इसी वजह से अत्याधुनिक हथियारों की लूट के बाद भी वहां इन हथियारों को बरामद करने की दिशा में मणिपुर पुलिस ने कदम रोक रखा है। भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के बंकरों को ध्वस्त करने के दावों के बावजूद, मैतेई और कुकी दोनों क्षेत्रों के ग्रामीणों का कहना है कि वे दूसरे पक्ष के हमले से खुद को बचाने के लिए अस्थायी बंकरों का उपयोग कर रहे हैं।

मणिपुर सरकार द्वारा राज्य भर में कुकी-प्रभुत्व वाली पहाड़ियों और मैतेई-प्रभुत्व वाली घाटी दोनों में सभी बंकरों को हटाने की समय सीमा के दो सप्ताह बाद,  पाया गया कि हालांकि बफर जोन में कई बंकर नष्ट हो गए थे, कई अन्य मौजूद हैं और दोनों में लोग हथियार लेकर तैनात हैं। इम्फाल से चुराचांदपुर की ओर जाने वाली सड़क पर बिष्णुपुर का मैतेई-प्रभुत्व वाला जिला स्थित है।

मुख्य सड़क से लगभग 100 मीटर दूर, एक 17 वर्षीय मैतेई स्वयंसेवक सामान्य़ शिकारी बंदूक के साथ एक बंकर, टिन और बांस की संरचना की रखवाली करता है। उसके नेतृत्व में दो और किशोर लड़के हैं, सभी के पास आग्नेयास्त्र हैं। वे कहते हैं, वे अपने गांव को कुकियों से बचाने के लिए वहां खड़े हैं।

किशोर नेता ने कहा, अस्थायी बंकर जून की शुरुआत में गांव के स्वयंसेवकों द्वारा बनाया गया था। उन्होंने बताया, हम बारी-बारी से कुकी की ओर से किसी भी तरह के हमले – फायरिंग या मोर्टार – से अपने गांव की रक्षा करते हैं और उनके ऐसा करने के बाद ही फायरिंग करते हैं। अपने गांव की रक्षा के लिए अपनी बंदूक का उपयोग करने के अलावा, युवा गार्ड सड़क पर जाने वाले वाहनों की जांच करते समय भी इसे हर समय अपने साथ रखता है। इसका मकसद यह जांचना है कि क्या कोई कुकी आतंकवादी हैं या क्या मौजूद लोग चूड़ाचांदपुर में बड़ी मात्रा में खाद्य आपूर्ति कर रहे हैं। उनका कहना है कि जिले भर में ऐसे कई बंकर हैं, जिनमें स्वयंसेवक अपने गांवों की सुरक्षा करते हैं।

लगभग 50 किलोमीटर दूर, चूड़ाचांदपुर जिले के कुकी-बहुल गांव में, एक 40 वर्षीय ग्राम प्रधान ईंट-गारे से बने आवासीय घर में बंकर में खड़ा है। उनका कहना है कि उनके गांव की सुरक्षा के प्रयासों में बंकर का बहुत महत्व है। गांव के मुखिया कहते हैं, मैतेई लोगों की पहुंच राज्य के शस्त्रागार तक है और उनके उग्रवादी अक्सर मणिपुर पुलिस की वेशभूषा में होते हैं और हमारे गांवों में घुसने की कोशिश करते हैं।

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