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अब चांद के इलाके में प्रवेश करेगा चंद्रयान 3, देखें वीडियो

  • चक्कर काटता हुआ धरती से दूर हुआ

  • चक्कर काटता हुआ ही चांद पर पहुंचेगा

  • वहां पहुंचने के बाद बाहर आयेगा रोवर यान

राष्ट्रीय खबर

नईदिल्लीः पृथ्वी की कक्षा छोड़ने के बाद चंद्रयान 3 सीधे चंद्रमा के लिए उड़ान भर गया। इसरो का यह अंतरिक्ष यान प्रक्षेपण के बाद से ही पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है। चंद्रयान धीरे-धीरे पृथ्वी से दूरी बढ़ा रहा था और कक्षा में ऊपर उठ रहा था और कल रात चंद्रयान 3 पृथ्वी की कक्षा छोड़कर चंद्रमा की कक्षा में पहुंच गया। इसरो की तरफ से चंद्रयान के ट्विटर हैंडल पर यह जानकारी दी गयी कि मैं बिल्कुल ठीक हूं। इसका अर्थ यह बताना था कि यह अंतरिक्ष यान अब तक सही सलामत है और बिल्कुल सही ढंग से काम कर रहा है।

इसरो द्वारा जारी वीडियो 

चंद्रयान 3 की ऑर्बिट का चक्कर लगाने का क्रम पूरा हो गया है। पृथ्वी की परिक्रमा करने के बाद चंद्रयान 3 चंद्रमा की ओर बढ़ चुका है। फिर यह चंद्रमा की परिक्रमा करते हुए चंद्रमा पर उतरेगा। और उम्मीद है कि कुछ ही दिनों में यह अंतरिक्ष यान चंद्रमा की धरती को छूने में सक्षम हो जाएगा। संयोग से, पिछले शुक्रवार को दोपहर 2:35 बजे, चंद्रयान 3 आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से एलवीएम 3-एम 4 रॉकेट के पीछे चंद्रमा के लिए रवाना हुआ। अगर सब कुछ ठीक रहा तो 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला भारत दुनिया का पहला देश होगा। ज्ञात हो कि पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी लगभग 384,400 किमी है।

अनुमान लगाया गया था कि पृथ्वी से चंद्रमा तक पहुंचने में इसे 42 दिन लगेंगे। चंद्रयान 3 उसी दिशा में आगे बढ़ रहा है। इसरो के मुताबिक, चंद्रयान 3 के लैंडर और रोवर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरेंगे। अंतरिक्ष यान को 70 डिग्री देशांतर पर उतरना है। यह क्षेत्र चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से 300 किमी दूर स्थित है।

अब तक चंद्रमा पर कदम रखने वाले तीन देशों में से कोई भी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर नहीं उतरा है। वे चंद्रमा के भूमध्यरेखीय क्षेत्र के पास उतरे। मालूम हो कि चंद्रमा के करीब पहुंचने पर चंद्रयान 3 की गति अलग-अलग चरणों में कम हो जाएगी। जब अंतरिक्ष यान चंद्रमा से 100 किमी दूर होगा, तो प्रणोदन मॉड्यूल के इंजन बंद हो जाएंगे।

इसके बाद प्रज्ञान चांद पर उतरेगा। रोवर चांद की सतह से 30 किलोमीटर की ऊंचाई से पंख की तरह नीचे उतरेगा। इसमें कुल 20 मिनट लगेंगे। इसके चांद के जमीन छूने के बाद दरवाजा खुलेगा। रोवर उस द्वार से बाहर आएगी। इस बीच, नासा का सर्वेयर-7 चंद्रमा के अब तक के सबसे करीब दक्षिणी ध्रुव पर उतरा।

1968 में उस दिन नासा का अंतरिक्ष यान 40 डिग्री देशांतर के पास उतरा था। मालूम हो कि चंद्रयान 3 का रोवर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का चक्कर लगाएगा और विभिन्न प्रयोग करेगा। इस बीच विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की स्वतंत्र जिम्मेदारी वाले राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने दावा किया है कि चंद्रयान 3 का रोवर यह जांच करेगा कि चंद्रमा रहने योग्य है या नहीं।

भारत ने इससे पहले चंद्रयान-2 के जरिए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने का प्रयास किया था। इसरो का अंतरिक्ष यान थोड़ी देर के लिए दक्षिणी ध्रुव पर ठीक से नहीं उतर सका। लेकिन वैज्ञानिकों के मुताबिक चंद्रयान 2 को असफल नहीं कहा जा सकता। क्योंकि उस मिशन का 90 फीसदी हिस्सा पूरा हो चुका था। भले ही अंतरिक्ष यान अंतिम समय में नष्ट हो गया, लेकिन इस मिशन से वैज्ञानिकों को चंद्रमा से बहुत सारी जानकारी मिली। उस मिशन के अनुभव का उपयोग करते हुए वैज्ञानिक चंद्रयान-3 मिशन पर निकले हैं।

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