Breaking News in Hindi

हरिद्वार और राजस्थान में आबादी के बीच मगरमच्छ दिखे

  • सहयोगी नदियों से निकलकर आ रहे हैं वे

  • दोबारा पकड़कर सुरक्षित छोड़ा जा रहा है

  • राजस्थान के अधिक इलाकों से शिकायत

राष्ट्रीय खबर

नईदिल्लीः अधिक बारिश और बाढ़ की वजह से हरिद्वार और राजस्थान के कई इलाकों से नई किस्म की परेशानियों की सूचना मिल रही है। दरअसल नदियों के उफान पर होने की वजह से आबादी वाले इलाकों में अब मगरमच्छ चले आये हैं। वन विभाग को सूचना मिलने के बाद इन मगरमच्छों को सुरक्षित निकालकर उन्हें सुरक्षित इलाकों तक छोड़ना पड़ रहा है। इसके बाद भी किसी एक इलाके में एक बार मगरमच्छ नजर आने की वजह से वहां के लोग आतंकित हो रहे हैं।

मिली जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के लक्सर और खानपुर क्षेत्रों में लोगों को एक नए डर का सामना करना पड़ रहा है। मगरमच्छों ने उफनती गंगा और उसकी सहायक नदियों से भरे रिहायशी इलाकों में अपना रास्ता बनाना शुरू कर दिया है। वन विभाग गंगा और उसकी सहायक नदियों – बाण गंगा और सोनाली नदियों के बाढ़ के पानी के साथ आने वाले इन सरीसृपों को पकड़ रहा है और उन्हें वापस नदियों में छोड़ रहा है।

विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि अब तक मुख्य नदियों के किनारे आबादी वाले इलाकों से करीब एक दर्जन मगरमच्छ पकड़े जा चुके हैं। विभाग ने मगरमच्छों को पकड़ने के लिए लक्सर और खानपुर क्षेत्र में 25 कर्मचारियों की टीम तैनात की है। पिछले सप्ताह भारी बारिश के कारण गंगा का जल स्तर बढ़ गया है, जिससे लक्सर और खानपुर क्षेत्रों में बाढ़ आ गई है, जबकि सोनाली नदी पर बांध टूटने से बाढ़ की स्थिति और खराब हो गई है।

पिछले हफ्ते उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रभावित गांवों का निरीक्षण किया था। सोमवार को लक्सर के कुछ इलाकों में जलस्तर कम हुआ, लेकिन मंगलवार को हुई भारी बारिश से पानी फिर बढ़ गया। स्थानीय निवासी अमित गिरी ने कहा कि खानपुर के खेड़ीकलां गांव में एक बड़े मगरमच्छ ने बाथरूम में शरण ली थी और वन विभाग की टीम ने उसे पकड़ लिया और वापस नदी में छोड़ दिया।

हरिद्वार के प्रभागीय वनाधिकारी नीरज शर्मा ने बताया कि बाण गंगा और सोनाली नदियों में काफी संख्या में मगरमच्छ पाए जाते हैं, जो बाढ़ के पानी के साथ आबादी वाले इलाकों तक पहुंच गए हैं। उन्होंने कहा कि जब जल स्तर थोड़ा कम हुआ, तो अधिकांश मगरमच्छ नदियों में लौट आए, लेकिन कुछ आवासीय क्षेत्रों में भटक गए। लक्सर नगर पालिका के चेयरमैन अंबरीश गर्ग ने कहा कि मगरमच्छ ज्यादातर सोनाली और बाण गंगा नदियों के जरिए ग्रामीण इलाकों के नालों और तालाबों में आते हैं। उन्होंने कहा कि इस बार मगरमच्छों के आबादी वाले इलाकों में घुसने की कई घटनाएं सामने आई हैं।

दूसरी तरफ राजस्थान के कई इलाकों से एक जैसी शिकायतें मिली हैं। लगातार बारिश और उसके कारण आई बाढ़ के कारण राजस्थान के कोटा में लोगों में मगरमच्छ का नया डर पैदा हो गया है। रिपोर्टों के अनुसार, शहर में असामान्य बारिश के कारण सरीसृप रिहायशी इलाकों में अपना रास्ता बना रहे हैं, जिससे इलाके के लोगों में दहशत का माहौल पैदा हो गया है।

हाल ही में देखे गए 4 फीट लंबे मगरमच्छ को सोशल वीडियो पर व्यापक रूप से साझा किया गया है। तलवंडी इलाके में मुख्य सड़क पर देर रात सरीसृप को सड़क पार करते हुए फिल्माया गया था। बाद में इसे सड़क किनारे एक बड़े नाले में जाता देखा गया। मानसून के दौरान कोटा में मगरमच्छ का दिखना एक वार्षिक मामला बन गया है। पिछले साल प्रगति नगर के एक रिहायशी इलाके में सात फुट लंबा मगरमच्छ देखा गया था। बाद में सरीसृप को बचा लिया गया।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले साल वन्यजीव विभाग द्वारा दो दर्जन से अधिक मगरमच्छों को रिहायशी इलाकों से बचाया गया और नदियों में छोड़ा गया। पंद्रह जिलों अजमेर, बाड़मेर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, जयपुर, जालौर, जोधपुर, नागौर, पाली, राजसमंद, सवाई माधोपुर, सीकर, सिरोही, टोंक और उदयपुर में असामान्य वर्षा (60 प्रतिशत या अधिक) दर्ज की गई है, जबकि अलवर, भरतपुर, बीकानेर, चूरू, दौसा, धौलपुर, गंगानगर, झुंझुनू, करौली, कोटा और प्रतापगढ़ के 11 जिलों में वर्षा 20 प्रतिशत से 59 प्रतिशत तक कम है। बांसवाड़ा, बारां, बूंदी, डूंगरपुर, हनुमानगढ़ और झालावाड़ में सामान्य वर्षा (19 प्रतिशत से -19 प्रतिशत) है जबकि कम वर्षा (-20 प्रतिशत से -59 प्रतिशत) वाला कोई जिला नहीं है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.