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बनई नदी में जलस्तर बेहतर बनाने की पहल
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अब श्रद्धालुओं के लिए पानी की कमी नहीं
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देखते ही देखते वहां पर भर गया पर्याप्त पानी
राष्ट्रीय खबर
खूंटीः सावन की पहली सोमवार में अब महज दो दिन शेष हैं। प्रत्येक सोमवारी को रांची, खूंटी, चाईबासा, जमशेदपुर समेत अन्य स्थानों से लगभग 15 से 20 हजार भक्त पहले बनई नदी पहुंचते हैं। जहां स्नान-पूजन के उपरांत पवित्र जल उठाकर पैदल तीन किमी दूर आम्रेश्वरधाम पहुंचकर भोले बाबा को जलाभिषेक करते हैं। लेकिन इस वर्ष सावन के चार दिन बीत जाने के बाद अल्पवृष्टि के कारण बनई नदी में पानी का बहाव काफी कम था। जिससे भक्तों को पानी की कमी का सामना करना पड़ता। भक्तों की परेशानी को ध्यान में रखकर शुक्रवार को बनई नदी पर सामुदायिक प्रयास से बोरीबांध का निर्माण किया गया। अब नदी में इतना पानी जमा हो गया है कि भोले के भक्तों को नहाने-धोने और जलाभिषेक के लिए जल उठाने में कोई परेशानी नहीं होगी।
सीआरपीएफ और अन्य ने मिलकर बनाया बांध
बोरीबांध निर्माण में जिला प्रशासन, सीआरपीएफ 94 बटालियन, सेवा वेलफेयर सोसाइटी, ग्रामसभा पेलौल, झामुमो, भाजपा, समेत पंचायत प्रतिनिधि व अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं का योगदान रहा। सबसे अहम योगदान सीआरपीएफ 94 बटालियन का रहा। भोले के भक्तों को जलाभिषेक के लिए जल की कमी ना हो, इसके लिए लोग जाति-धर्म और दलगत भावनाओं से उपर उठकर बोरीबांध निर्माण में अपना योगदान दिया।
सावन के महीने में बनई नदी में पानी का बहाव काफी कम था। जिसे देखते हुए झाविमो के पूर्व जिलाध्यक्ष दिलीप मिश्रा ने बनई नदी पर बोरीबांध बनाने का सुझाव दिया था। जिसके बाद नदी बचाओ अभियान के तहत बोरीबांध बनाने का निर्णय लिया गया।
शुक्रवार की सुबह पौने सात बजे ही सीआरपीएफ के द्वितीय कमान अधिकारी पीआर मिश्रा, मृत्युंजय कुमार, उप कमांडेंट अंजन कुमार मंडल, संतोष कुमार, सूबेदार मेजर संजीव कुमार एवं राजेश कुमार सिंह समेत लगभग 100 जवानों के साथ बनईनदी तट पर पहुंचे।
पेलौल ग्रामसभा के सचिव प्रफुल्ल तिडू, शंकर तिडू, लक्ष्मण महतो, मुखिया नरगिस प्रियंका तिडू, झाविमो के पूर्व जिलाध्यक्ष दिलीप मिश्रा, भाजयुमो के जिलाध्यक्ष राजेश महतो, झामुमो केंद्रीय समिति के सदस्य सुदीप गुड़िया, झामुमो तोरपा प्रखंण्ड अध्यक्ष रोबिन तोपनो, उप प्रमुख संतोष कर, प्रखंण्ड उपाध्यक्ष जयदीप तोपनो, सिंगराय कन्डुलना, जेम्स तोपनो, देवनीश तोपनो समेत सेवा वेलफेयर सोसाईटी के लोगों ने श्रमदान किया।
बनई नदी के बीच में एक पतली सी धार बह रही थी। लेकिन बोरीबांध बनने के बाद सूखी नदी में जान आ गई। पूरी नदी ने झील का रूप ले लिया। बोरीबांध निर्माण में सीआरपीएफ 94 बटालियन के जवानों का उत्साह देखते ही बन रहा था। सीआरपीएफ द्वारा श्रमदान करने वाले सभी लोगों के लिए नास्ते की व्यवस्था की गई थी।