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सभी सुरक्षा बलों को सेना के अधीन रखा जाए
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आफस्पा से सेना को त्वरित कार्रवाई का अधिकार
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मजिस्ट्रेट नहीं मिलने से अभियान में होती है देर
राष्ट्रीय खबर
अगरतलाः मणिपुर में जारी हिंसा के बीच हर रोज कुछ न कुछ अप्रिय सूचनाओँ के बीच यह जानकारी सामने आयी है कि अब भारतीय सेना ने वहां आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर एक्ट( आफस्पा) लागू करने की बात कही है। वर्तमान में राज्य में सेना और असम राइफल्स को मिलाकर 123 टुकड़ियां तैनात हैं। उनका मानना है कि विधि व्यवस्था में बाधा होने की वजह से उन्हें त्वरित कार्रवाई करने में दिक्कत हो रही है।
वर्तमान में यह अधिकार राज्य प्रशासन के पास है। इस मांग से साफ हो गया है कि राज्य सरकार के काम काज के तौर तरीकों से भारतीय सेना संतुष्ट नहीं है। वर्तमान में सेना कोई कार्रवाई करती है तो मजिस्ट्रेट की मौजूदगी जरूरी है, लेकिन इस समय के हालात में मजिस्ट्रेट मिलना मुश्किल हैं।
63 टुकड़ियां जो अभी मणिपुर की वैली में तैनात हैं, उनके लिये मजिस्ट्रेट की मौजूदगी संभव नहीं है। हालत ऐसे हैं कि पिछले 2 महीने से चाइना बॉर्डर वाली रिज़र्व फ़ोर्स को भी मणिपुर में तैनात किया गया है। रोड ब्लॉक हैं और रोड पर बंकर बना रखा हैं। जगह-जगह आर्मी मूवमेंट को रोका जा रहा है। मणिपुर के हालात पर सीनियर अधिकारियों ने बताया कि जवाबदेही तय होनी चाहिए।
लूटे हुए हथियार वापस हों या फिर उनके लिये ऑपरेशन हो ये साफ करना होगा। कुकी या मेयती, मीरबाइपी, वालंटियर या उग्रवादी जो स्टेट के विरुद्ध जाएं उसपर कार्यवाही हो या फिर तय सीमा के भीतर हथियार लौटाने के लिए कहा जाए। अधिकारियों ने कहा कि स्पीयर कॉर्प्स को पूरी पॉवर देते हुए उनके ओप्स कमांड में सभी सुरक्षा बलों को लाया जाये।
उल्लेखनीय है कि एक स्थान पर स्थानीय पुलिस के साथ भारतीय सेना की हल्की झड़प का वीडियो भी सोशल मीडिया में वायरल हो गया था। सेना की मांग है कि कॉर्प्स कमांडर को असम की तर्ज़ पर पूरी पॉवर दी जाये। कुकी के पहाड़ी इलाको में आफस्पा लगता है लेकिन उन्होंने सस्पेंशन ऑफ़ एग्रीमेंट साइन कर रखा है, इसीलिए आफस्पा की ज़्यादा ज़रूरत इस समय वैली में है। मिली जानकारी के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्री को इसकी सूचना दे दी गयी है।
मणिपुर में नेशनल हाईवे 102, 202, 2 और 37 हैं। इसमें से सिर्फ़ नेशनल हाईवे 37 चल रहा है और बाकी जगह ब्लॉक है। स्टेट पुलिस और राज्य की आर्मोरी से कुल मिलाकर 5300 हथियार लूटे गये हैं। इसमें से केवल 1100 के लगभग वापस मिलें हैं। इसी बीच भारतीय सेना और असम राइफल ने एक बड़ा ऑपरेशन लॉन्च किया जिसमें 4 जून 2015 में हुए ऐम्बुश, जिसमें हमारे 6 डोगरा के 20 जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे, उसके मेन मास्टरमाइंड को हथियार के साथ पकड़ा था।
इसका नाम सेल्फ स्टाइल लेफ़्ट कर्नल सुजीत है जो एक उग्रवादी है। इसके अलावा 12 उग्रवादियों को भी पकड़ा था, लेकिन महिलाओँ ने ढाल बनकर सेना से उन्हें छुड़ा लिया और सेना भी रक्तपात रोकने की सोच की वजह से पीछे हट गयी। एक दूसरे ऑपरेशन में 4 उग्रवादियों को पुलिस स्टेशन से छुड़वाया गया। पिछले 2 महीनों से ये मीराबाइपी रोड पर हैं और रास्ता बंद हैं। यहां तक कि पिछले 2 महीने से सेना का काफिला भी नहीं आ पाया। दिन में रोड पर ब्लॉक और रात में मशाल जलाते हुए गाड़ियों की चेकिंग करते हैं।