-
बहुमत के करीब नहीं कोई भी दल
-
शेष 12 विधायकों का रुख स्पष्ट नहीं
-
मेरी तस्वीर के अलावा उधर कुछ नहीः शरद
राष्ट्रीय खबर
मुंबईः राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दोनों परस्पर विरोधी गुटों की अलग अलग बैठक में शक्तिप्रदर्शन तो हुआ। इसमें साफ हो गया कि उपमुख्यमंत्री बने अजीत पवार के पास अब भी आवश्यक 34 विधायकों का समर्थन नहीं है। उनकी पहल पर बुलायी गयी बैठक में पार्टी के 53 में से 29 विधायक ही उपस्थित हुए। इसके अलावा चार विधान पार्षदों को भी वहां देखा गया।
दूसरी तरफ शरद पवार की आक्रामक राजनीति के बाद भी उनके द्वारा आयोजित बैठक में सिर्फ 13 विधायक मौजूद थे। पार्टी के शेष 12 विधायक दोनों ही बैठकों से अनुपस्थित रहे। वैसे यह एक दर्जन विधायक भी अगर शरद पवार की बैठक में जाते तब भी संख्या बल में उनकी उपस्थिति अजीत पवार खेमा से कम होती।
लेकिन दल तोड़ने के कानून के मुताबिक आवश्यक 34 विधायकों का समर्थन नहीं होने की वजह से महाराष्ट्र का यह राजनीतिक नाटक अब भी रोचक स्थिति में है। समझा जाता है कि जो एक दर्जन विधायक दोनों बैठकों से गायब थे, वे भी हार जीत की संभावना को तौल रहे हैं। अजित पवार की बैठक में मौजूद लोगों में से आठ विधायक वे हैं, जिन्होंने रविवार को पवार के साथ राज्य मंत्रिमंडल में शपथ ली थी।
29 विधायकों और 4 एमएलसी ने बुधवार को मुंबई एजुकेशन ट्रस्ट में महाराष्ट्र के नवनियुक्त मुख्यमंत्री अजीत पवार की बैठक में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस बैठक में मौजूद विधायकों की सूची भी जारी की गयी है।
इसके तहत अजीत पवार खेमा की बैठक में अजीत पवार, छगन भुजबल, हसन मुश्रीफ, नरहरि झिरवाल, दिलीप मोहिते, अनिल पाटिल, माणिकराव कोकाटे, दिलीप वाल्से पाटिल, अदिति तटकरे, राजेश पाटिल, धनंजय मुंडे, धर्मराव अत्राम, अन्ना बंसोड़, नीलेश लंके, इंद्रनील नाइक, सुनील शेलके, दत्तात्रय भरणे, संजय बंसोड, संग्राम जगताप, दिलीप बनकर, सुनील टिंगरे, सुनील शेलके, बालासाहेब अजाबे, दीपक चव्हाण, यशवंत माने, नितिन पवार, शेखर निकम, संजय शिंदे (निर्दलीय), राजू कोरमारे उपस्थित थे। इसके अलावा, एनसीपी के आठ में से चार एमएलसी अमोल मिटकारी, रामराजे निंबालकर, अनिकेत तटकरे, विक्रम काले भी बांद्रा में बैठक में मौजूद थे।
डिप्टी सीएम पवार ने पार्टी के अन्य नेताओं के साथ एमईटी में राकांपा का झंडा फहराया। उपस्थित लोगों में से, आठ विधायक छगन भुजबल, हसन मुश्रीफ, धनंजय मुंडे, दिलीप वलसे पाटिल, धर्मराव बाबा अत्राम, अदिति तटकरे, अनिल पाटिल और संजय बनसोडे वे लोग हैं, जिन्होंने रविवार को पवार के साथ राज्य मंत्रिमंडल में शपथ ली थी।
दोनों तरफ अपनी अपनी दावेदारी में पिछड़ गये जबकि अपनी बैठक में आक्रामक रवैया अख्तियार करने वाले शरद पवार ने कहा कि उनके (अजीत पवार गुट) पास मेरी तस्वीर के अलावा कुछ नहीं है। ऐसा विश्वासघात मेरे साथ पहले भी हो चुका है लेकिन इतिहास गवाह है कि उस वक्त भी मेरे साथ गद्दारी करने वालों का बाद में क्या नतीजा हुआ था।
उन्होंने कहा कि शपथ ग्रहण के पहले ही चुनाव आयोग को पत्र लिखना यह साबित कर देता है कि यह एक सोची समझी साजिश है और इसके पीछे भारतीय जनता पार्टी का ही हाथ है। उन्होंने यह भी कहा कि अब जो लोग चले गये हैं, उनमें से शपथ ग्रहण करने वालों के अलावा दूसरे अगर चाहें तो लौट सकते हैं। एक बार पार्टी का दरवाजा उनके लिए बंद हो जाने के बाद क्या होगा, इसका फैसला खुद विधायकों को ही करना है।