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शानदार और बेदाग पारी खेलकर सेवानिवृत्त हो रहे अरविंद पांडेय

  • दोस्तों के दोस्त और अपराधियों के दुश्मन थे अरविंद पांडे

  • रांची में ही लोकप्रियता के शिखर को प्राप्त कर लिया था

  • सहरसा के डीएम के खिलाफ भी दर्ज की प्राथमिकी

दीपक नौरंगी

 भागलपुर: उत्तर प्रदेश के निवासी आइपीएस अधिकारी अरविंद पांडे ने करीब तीन दशक तक बिहार और झारखंड को अपनी सेवा दी। एसपी कार्य से ही चर्चा में आए अरविंद पांडे पुलिस महानिदेशक के रूप में भी चर्चा में बने रहे। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जहां कहीं से भी उनका तबादला होता है जनता सड़क पर उतर आती।

अरविंद पांडे मित्रों के लिए मित्र थे तो अपराधियों के लिए दुश्मन।  जानकारी के अनुसार रांची में कई पदों पर रहते हुए उन्होंने कई अपराधियों से लोहा लिया और उन्हें मुख्य मार्ग पर आने को मजबूर किया। रांची में उनके योगदान के वक्त अपराधियों का बोलबाला था। उनकी निरंतर सक्रियता की वजह से यह खौफ कम हुआ जबकि मारे जाने के डर से कई अपराधी शहर छोड़कर चले गये।

हालांकि इस दौरान पांडे को सत्ता के करीब रहने वाले अपराधियों से थोड़ा बहुत नुकसान भी हुआ, लेकिन वह अपने कर्तव्य पथ पर अडिग रहे। नामी-गिरामी नेता भी उन पर गलत काम करने का दबाव डालने से परहेज करते थे। अपनी सुरक्षा का प्रवाह किए बिना वे लोगों की सुरक्षा के लिए खतरे से भी खेलने में बाज नहीं आते थे।

साहबगंज में एसपी के पद पर पोस्टिंग के दौरान एक बहुचर्चित लता बलात्कार कांड हुआ था। श्री पांडे ने पुलिस पदाधिकारी रहते हुए अपनी संवेदनशील भावना को सामने रखकर पीड़ित परिवारों को मदद की। इस दौरान साहबगंज के प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस पदाधिकारियों के बीच मतभेद उत्पन्न हो गया।

तत्कालीन डीसी आलोक वर्धन चतुर्वेदी के लाख विरोध के बावजूद अरविंद पांडे कानूनी कार्रवाई करने में पीछे नहीं हटे। फिर उन्हें बिहार के सबसे अशांत जिला खगड़िया में तैनात किया गया। उस वक्त खगड़िया में अपराधियों के कई गिरोह सक्रिय थे। किसानों को अपने खेतों पर चढ़ना मुश्किल था। अपराधी जो चाहते थे, वही होता था।

अरविंद पांडे के एसपी बनते ही खगड़िया में स्थिति बदलने लगी। लोगों का भरोसा जो कानून से उठ गया था, फिर से कायम होने लगा। इस दौरान कुछ अपराधी मुठभेड़ में मारे भी गए। आईपीएस अरविंद पांडे के बारे में यह बात आईएएस और आईपीएस में कमरे में काफी चर्चा में रहती है कि अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया बिहार में सीनियर आईपीएस अधिकारी में अरविंद पांडे की कार्यशैली भी बिहार के कई आईपीएस अधिकारी को याद रहेगी।

अरविंद पांडे की सबसे बड़ी खासियत यह है कि कानून की नजर में चाहे बड़ा व्यक्ति हो या छोटा, उन्हें किए गए अपराध की सजा हर हाल में मिले। अरविंद पांडे जब सहरसा में एसपी के रूप में तैनात किए गए तब वहां के कलेक्टर चोंग्थू हुआ करते थे, चोंग्थू ने राबड़ी की तरह हथियार के लाइसेंस को सहरसा में बांट दिया था।

एसपी रहते हुए अरविंद पांडे ने इसकी जांच करवाई और मुकदमा दर्ज करवाया। वे भले ही आज सेवानिवृत्त हो रहे हैं, लेकिन आज भी सहरसा न्यायालय में यह मुकदमा जीवित है। बाद में उन्हें डीआइजी, आइजी बनाया गया। आर्थिक अपराध इकाई में एसपी रहते हुए भी उन्होंने कई भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर किया था।

डालडा घोटाला, केरोसिन तेल की कालाबाजारी पर उन्होंने पूरी तरह नकेल कस दी थी। कमजोर वर्ग में भी उनकी तैनाती डीआइजी के पद पर की गई। यहां भी उन्होंने कानून के दायरे में रहकर कई लोगों के कुकृत को समाप्त करवाया और सजा दिलवाई। फिलहाल वे सिविल डिफेंस के महानिदेशक के पद पर तैनात थे। उन्हें संगीत से भी दोहरा लगा था। इंटरनेट मीडिया पर भी वे बहुत एक्टिव रहते हैं।

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