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खतरे की पूर्व चेतावनी चार माह पहले दी गयी थी

  • रेलवे सिग्नलिंग की गड़बड़ी का पता था

  • हरिशंकर वर्मा ने दी थी यह खास रिपोर्ट

  • अब जांच के नाम पर बयान से भाग रहे

राष्ट्रीय खबर

कोलकाताः बालासोर के रेल हादसे के बाद से लगातार केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव वहां मौजूद रहे। उनकी मौजूदगी में उस पटरी पर फिर से रेल यातायात चालू भी कर लिया गया। इसके बीच ही उन्होंने इस मामले की सीबीआई जांच कराने की बात कही। इस बीच यह सूचना बाहर निकल कर आयी है कि ऐसा हादसा हो सकता है, इसकी पूर्व चेतावनी चार माह पहले ही दी गयी थी।

करीब चार महीने पहले, दक्षिण पश्चिम रेलवे के प्रधान मुख्य परिचालन प्रबंधक, हरिशंकर वर्मा ने चेतावनी दी थी कि आने वाले दिनों में किसी भी समय सिग्नलिंग प्रणाली में इस तरह की गड़बड़ी की कीमत चुकानी पड़ सकती है। जोन के महाप्रबंधक को लिखे पत्र में उन्होंने सिगनल और प्वाइंट में तालमेल नहीं होने के कारण निकट चूक का भी ब्योरा दिया है।

नतीजतन, अब स्वाभाविक रूप से यह सवाल उठता है कि अगर समय पर चेतावनी पर ध्यान नहीं दिया गया होता तो क्या इतने लोगों की जान चली जाती। यह सवाल सामने आने के बाद रेलवे के उच्चाधिकारी सीबीआई जांच के नाम पर आगे टिप्पणी करने से  बच रहे हैं।

श्री बर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक, 12649 अप रसक्रांति एक्सप्रेस मैसूर मंडल में 8 फरवरी को होसदुर्ग स्टेशन से निकलने के बाद ड्राइवर को अप लाइन जाने का सिग्नल मिला लेकिन थोड़ा आगे जाने के बाद पता चला कि अप लाइन जाने के लिए सिग्नल हरा है, डाउन लाइन की ओर प्वाइंट खुला है। उस दिन रिश्ते के ड्राइवर ने ऐसी हालत देखकर ट्रेन रोक दी।

इस मामले में ट्रेन की धीमी गति और चालक की सतर्कता के कारण पटरी से नीचे जाने से रोकना संभव था। संयोग से उस लाइन पर कुछ मिनट बाद एक मालगाड़ी आने वाली थी। यानी अगर उस दिन ड्राइवर सावधान नहीं होता तो आज से चार महीने पहले पूरे देश में कोरोमंडल एक्सप्रेस जैसा भयानक हादसा होता।

मेन लाइन पर अप करमंडल एक्सप्रेस के लिए शुक्रवार शाम को जहां हरी झंडी दी गई, वहीं लूप लाइन की ओर प्वाइंट खुले थे। जहां यह घुसा, वहीं लाइन पर पहले से खड़ी लौह अयस्क से लदी एक मालगाड़ी से टकरा गया। नयीदिल्ली में इस रिपोर्ट के आधार पर कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, चार महीने पहले चेतावनी मिलने के बावजूद रेलवे ने कोई कार्रवाई नहीं की! रेल मंत्री को जवाब देना होगा कि रिपोर्ट क्यों छोड़ी गई। अगर रेल मंत्रालय ने इस मामले को महत्व दिया होता तो आज इतने लोगों की जान नहीं जाती।

अपनी रिपोर्ट में वर्मा ने पाया कि जिस तरह से प्वाइंट अपने आप गलत दिशा में चला गया, उससे संकेत मिलता है कि सिग्नलिंग और प्वाइंट इंटरलॉकिंग सिस्टम में कहीं न कहीं बड़ी गड़बड़ी है। क्योंकि एक लाइन पर सिग्नल दिखाना और और प्वाइंट को दूसरी लाइन पर ले जाना इंटरलॉकिंग सिस्टम के खिलाफ है। वर्मा ने कहा, अगर इस समस्या के कारणों की जल्द पहचान नहीं की गई तो आने वाले दिनों में बड़े पैमाने पर दुर्घटनाएं हो सकती हैं। वह डर सच हो गया।

रेलवे बोर्ड के सदस्य (ऑपरेशन) जया वर्मा सिन्हा ने करमंडल दुर्घटना के मामले में सिग्नलिंग सिस्टम की त्रुटि को स्वीकार किया। उन्होंने कहा, शुरुआती सूचना में सिग्नलिंग सिस्टम में कुछ गड़बड़ियां पाई गई हैं। वह त्रुटि विभिन्न कारणों से हो सकती है। इसमें शॉर्ट सर्किट, एक बिंदु से जुड़े केबलों के नेटवर्क को नुकसान शामिल है। कुछ लोगों की पहचान हो गई है। अभी जांच के लिहाज से इससे ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता है। यह पूछे जाने पर कि क्या हिट एंड रन की संभावना थी, जया वर्मा ने कहा, फिलहाल किसी भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

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