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गंगा तट पर बालू के नीचे से निकल रहे शव

कोरोना का सच इतने दिनों बाद उभरकर आने लगा है

  • सरकार ने किया था ऐसी घटना से इंकार

  • पहले एक शव किखा तो लोगों का ध्यान गया

  • यहां दबी लाशें बारिश में जल प्रदूषण फैलायेंगी

राष्ट्रीय खबर

नईदिल्लीः इलाहाबाद यानी प्रयागराज अब फिर से मोदी एवं योगी सरकार को असहज बना रहा है। कोरोना महामारी के दौरान जिस सच्चाई से दोनों सरकारों ने इंकार किया था, वह सच खुद ब खुद सामने आ गया है। वहां के गंगा तट पर बालू के नीचे से एक के बाद एक शव निकलते गए। कुछ प्लास्टिक दिखा रहा है, कुछ लाशें फिर निकली हैं।

और ये नजारा एक बार फिर उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गंगा किनारे देखने को मिला है, जो सोशल मीडिया में वायरल हो गया है। कोरोना महामारी की दूसरी लहर में वह दृश्य जिसने स्मृतियों को जगा दिया। वह दृश्य जिसने उत्तर प्रदेश सरकार पर कई सवाल और आलोचनाएँ ला दीं। हाल ही में उस फाफामऊ घाट में फिर से ऐसा ही नजारा देखने को मिला है।

जिसे लेकर एक बार फिर से चर्चा शुरू हो गई है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार इस घाट में शवों को गाड़ने की प्रथा बहुत पुरानी है। इस घाट पर कोविड के दौरान सैकड़ों शवों को दफनाया गया था। लेकिन जिस दर पर प्रशासन को आलोचना का सामना करना पड़ा, उसके बाद से जिला प्रशासन ने उस घाट पर दफनाने पर रोक लगा दी।

लेकिन उसके बाद भी दफनाना बंद नहीं हुआ। रेत के नीचे से शव के फिर से बाहर आने से प्रशासन चिंतित है। जिला प्रशासन के सूत्रों ने दावा किया है कि इस घाट में जिस तरह से रिवाज के नाम पर शवों को दफनाया जा रहा है, वह बेहद चिंता का विषय है। इस संबंध में प्रयागराज के मेयर ने कहा कि जनता को जागरूक किया जा रहा है कि गंगा किनारे बालू के नीचे शव न दबें।

लेकिन उसके बाद भी अगर ऐसी कोई घटना होती है तो उन शवों के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी नगर निगम की होगी। मेयर ने यह भी कहा कि बारिश का मौसम आगे है। गंगा के किनारे दबे शवों को गंगा का पानी बढ़ने पर धोया जा सकता है। नतीजतन, गंगा के पानी के प्रदूषित होने की संभावना बढ़ जाएगी। लिहाजा नगर निगम ने उन शवों के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी लेने का फैसला किया है।

2021 में, कोविड की दूसरी लहर ने देश भर में मौत का तांडव देखा। उस वक्त कोविड-19 से मरने वालों के परिजनों ने प्रयागराज के इसी फाफामऊ घाट पर शवों को दफनाया था। सैकड़ों शव गंगा के किनारे बालू के नीचे दबे थे। लेकिन मानसून के दौरान, जब बालू बह जाता है तो शरीर उजागर हो जाते हैं। यह तस्वीर पूरे देश में वायरल हो गई। फिर ऐसा ही एक दृश्य सामने आया और संयोग से उस प्रयागराज में। जिसको लेकर प्रशासन फिर सवालों के घेरे में है।

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