-
राज्यसभा में भाजपा को हराने की बात कही
-
संभावित गठबंधन पर किसी ने कुछ नहीं कहा
-
कई और आप नेता भी केजरीवाल के साथ आये
राष्ट्रीय खबर
कोलकाताः असली बिसात को वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव की है। इसके बीच ही दिल्ली पर उपराज्यपाल के जरिए कब्जा की कोशिश ने भाजपा के खिलाफ विरोधियों को फिर से एकजुट होने का एक और मौका दे दिया है।
इसी मुद्दे पर मुख्यमंत्री कार्यालय नबान्नो में तीन मुख्यमंत्रियों की बैठक के बाद ममता बनर्जी ने एक बार फिर विपक्षी एकता का संदेश दिया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ बैठीं ममता ने कहा, अगर सब एक हो जाएं तो राज्यसभा में भी भाजपा को हराने का मौका है।
ममता के शब्दों में, देश में लोकतंत्र नहीं है। सुप्रीम कोर्ट लोकतंत्र को बचा सकता है। यह सरकार तो सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं कर रही हैं। यह सरकार बुलडोज़रों की सरकार है, एजेंसियों की सरकार है, वे संविधान पर ही बुलडोजर चला रहे हैं।
मुख्यमंत्री को डर है कि भाजपा आने वाले दिनों में देश का नाम और संविधान बदल सकती है। ममता ने सभी विपक्षी दलों से भाजपा के खिलाफ लड़ाई में एकजुट होने की अपील की तृणमूल नेता का कहना है कि भाजपा को एक भी वोट नहीं दिया जा सकता है।
यहां तक कि भाजपा के भीतर भी कई ऐसे हैं जो इस सरकार से नाखुश हैं। ममता ने उनसे भाजपा दलों को समर्थन देने की अपील की। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मंगलवार को बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात करने कोलकाता आए थे।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, आप नेता राघव चड्ढा, संजय सिंह और आतिशी भी वहां मौजूद थीं। वे मंगलवार दोपहर कोलकाता हवाईअड्डे पर उतरे। उनके स्वागत के लिए तृणमूल राज्यसभा सांसद डोला सेन और राज्य मंत्री सुजीत बोस मौजूद थे।
माना जा रहा है कि केंद्र में भाजपा विरोधी एकता को शांत करने के लिए आप का शीर्ष नेतृत्व कोलकाता आया था। 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर नवान्नो की बैठक में विपक्षी गठबंधन पर चर्चा हुई होगी लेकिन किसी ने भी इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहा है।
इससे पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रविवार सुबह केजरीवाल के घर पहुंचे। इस मौके पर बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, जदयू नेता मनोज झा, ललन सिंह और संजय झा भी मौजूद रहे। केंद्र द्वारा दिल्ली अध्यादेश की घोषणा के खिलाफ नीतीश केजरीवाल के साथ खड़े थे।
शनिवार को आप नेता ने सभी विपक्षी दलों से उनके साथ खड़े होने का आह्वान किया था। ऐसे में मंगलवार को नबान्नो में केजरीवाल से मिलना राजनीतिक तौर पर एक महत्वपूर्ण घटना है। 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए विपक्ष धीरे-धीरे गठबंधन बनाने की ओर बढ़ रहा है। कुछ दिन पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी ने ममता से मुलाकात की थी।
नीतीश ने यह भी संकेत दिया कि ममता के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए बिहार की राजधानी पटना में विपक्षी दलों के साथ बैठक हो सकती है। इसके बाद कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे आए, जिसने भाजपा की हार के बाद विपक्षी गठबंधन की नमक चाल को और तेज कर दिया।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में सिद्धारमैया के शपथ ग्रहण समारोह में तृणमूल सहित विपक्षी दलों को आमंत्रित किया गया था। हालांकि कोई कॉल नहीं आई। कांग्रेस के एक सूत्र के मुताबिक, दिल्ली कांग्रेस की आपत्ति के चलते आप को शपथ ग्रहण समारोह में नहीं बुलाया गया। हालांकि तृणमूल और आप ने शुरू से ही कांग्रेस के विपक्षी गठबंधन में होने पर आपत्ति जताई थी।