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रघुवर सरकार ने भी की थी यही गलती
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बाहरी एजेंसियों ने पूरा नहीं किया लक्ष्य
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बाद में पता चलेगा कितना घाटा या लाभ
राष्ट्रीय खबर
रांचीः इस सरकार ने भी पिछली सरकार की गलतियों से सबक नहीं लिया अथवा पिछली सरकार में हावी किसी एक अधिकारी के निजी लाभ कमाने की कोशिश को आगे बढ़ाया। सरकार में शामिल लोगों के अलावा हर आम आदमी यह अच्छी तरह समझ रहा था कि यह दोबारा छत्तीसगढ़ के सिंडिकेट का खेल है, जिसमें सरकार को नहीं कुछ लोगों को लाभ होता है।
अब जाकर शराब से होने वाले राजस्व की आमदनी का आंकड़ा पूरा नहीं होने की सच्चाई सामने आ गयी है। वैसे इसमें अब भी आंकड़ों की बाजीगरी का खेल चल रहा है और सरकार को अपनी इस सिंडिकेट वाली व्यवस्था से अप्रैल माह में कितना घाटा हुआ है, वह कुल घाटे में शामिल नहीं है।
इसी वजह से फिर से हेमंत सोरेन की सरकार रघुवर दास की सरकार के जैसा पुरानी लीक पर लौट रही है। सरकार के अंदर से जो सूचनाएं बाहर आयी हैं, उसके अनुसार वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए राज्य में शराब की बिक्री के लिए जिन प्लेसमेंट एजेंसियों का चयन किया गया था उनका कार्यकाल 30 अप्रैल को खत्म हो गया।
बताया जाता है कि जिन प्लेसमेंट एजेंसियों को शराब बिक्री की जिम्मेदारी दी गई थी उन्होंने अपना लक्ष्य हासिल नहीं किया। संस्था ने उनकी बैंक गारंटी जब्त करने संबंधी जानकारी भी उत्पाद विभाग को दी है। बता दें कि झारखंड में वैसे भी विपक्ष लगातार हेमंत सोरेन सरकार पर शराब घोटाले का आरोप लगा रहा है।
मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी के नेताओं में खासतौर पर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ज्यादा हमलावर हैं। शराब बिक्री में राजस्व का नुकसान और उठते सवालों के बीच यह भी फैसला किया जा सकता है कि क्या शराब बिक्री का जिम्मा सौंपने के लिए लॉटरी व्यवस्था का इस्तेमाल होगा।
इससे पहले झारखंड सरकार ने आबकारी नीति की आलोचना करने वालों को जबाव दिया था। झारखंड सरकार के उत्पाद विभाग ने दावा किया है कि राज्य की नई शराब नीति की वजह से मई 2022 के दौरान राजस्व संग्रहण में 70 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गयी जो एक कीर्तिमान है।
विभाग ने कहा कि राज्य को 79 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हुआ। राज्य के आबकारी सचिव विनय चौबे ने कहा था कि नई शराब नीति लागू होने से पहले अप्रैल 2022 में सिर्फ 109 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्त हुआ था जबकि मई 2022 के दौरान 188 करोड़ रुपये की प्राप्ति हुई।
अब आने वाले समय में यह साफ हो जाएगा कि दरअसर आबकारी से झारखंड सरकार का राजस्व कितना बढ़ा या घटा। वैसे इस खेल में छत्तीसगढ़ के चंद लोगों के अलावा झारखंड में कौन कौन मालामाल हुआ, यह शायद ईडी की जांच के दस्तावेजों में दर्ज हो चुका है।