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एक महिने में चार भ्रष्टाचारियों पर की गई कार्रवाई
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1989 के बैच के आईपीएस अधिकारी रहे हैं आलोक
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बंगाल के नंदीग्राम में शांति स्थापना में काम किया
राष्ट्रीय खबर
भागलपुर: पुलिस तभी बेहतर कार्य कर सकती है,जब उसके कार्यों में पारदर्शिता और विश्वास दिखे। पुलिस पर जनता का बहुत सा भरोसा है। जनता के भरोसे पर खड़ा उतरने वाला पुलिस पदाधिकारी ही सम्मानित होता है। उक्त बातें निगरानी के डीजी आलोक राज ने एक विशेष भेंट में कही।
देखें आलोक राज ने इसमें क्या कहा
आलोक मूल रूप से बिहार के मुजफ्फरपुर के रहने वाले हैं। इनके स्वजन और पूर्व परिचित इन्हें बबलू के नाम से भी पुकारते हैं। बबलू के पिता पटना स्थित प्लानिंग विभाग में आफिसर के पद पर काबिज थे। जबकि इनकी माता मगध महिला कालेज में प्रोफेसर थी।
वह जब 1992 में एएसपी के पद पर पटना में तैनात थे। तब उसी समय इनकी माता का निधन सड़क दुर्घटना में हो गया। इनके शरीर पर दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा। इन्होंने किसी तरह अपने आप को संभाला। फिर इनकी पोस्टिंग सिटी एसपी पटना के पद पर हुई।
इन्होंने बीएमपी सहित कई जिलों में एसपी के रूप में कार्य किया। सात वर्षों के लिए ये केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भी गए। ये केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तब गए जब ये बेगुसराय में एसपी के पद पर तैनात थे।
केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के दौरान इन्होंने सात वर्षों तक सीआरपीएफ में सेवा दी। सीआरपीएफ में होते वक्त श्री राज ने पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम के हिंसाग्रस्त इलाकों में जोरदार काम किया। उनकी टीम के निरंतर प्रयासों का नतीजा था कि वहां चारी राजनीतिक हिंसा शांत हुई। वर्ष 2011 में यह बिहार लौटकर आए। बिहार सरकार ने इन्हें कई चुनौतीपूर्ण कार्यों में लगाया। बिहार के नए डीजीपी के नामों को लेकर जब अटकलों का बाजार गर्म था। उस समय आलोक राज के नाम की चर्चा भी खूब थी।
राज्य सरकार ने आलोक राज को निगरानी विभाग का डीजी बना दिया। पत्रकार के द्वारा बार-बार बिहार के सरदार पटेल भवन के डीजीपी बनने को चर्चा को लेकर लेकर सवाल पूछने और कुरेदने पर आलोक राज बताते हैं कि ट्रांसफर और पोस्टिंग राज्य सरकार के विवेक पर निर्भर है।
मुझे जो जिम्मवारी दी गई है। मै उससे संतुष्ट हूं। एक महिने के भीतर मैने चार भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई की। हाल के दो दिनों पूर्व निगरानी विभाग के द्वारा मुखिया सुनीता देवी, बेर पंचायत, प्रखंड कुशेश्वर स्थान, जिला दरभंगा के पुत्र राहुल कुमार को बीस हजार रुपए रिश्वत लेते पंचायत भवन बेर पंचायत दरभंगा से रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया बहुत कम लोगों को मालूम है कि आलोक राज जिस पद पर काबिज हैं वर्षों पूर्व इनके ससुर डीएन सहाय भी इसी पद पर कार्यरत थे।
आलोक राज नौकरी के दौरान चुनौतियों से कभी घबराए नहीं। गलत कार्य करने वालों को कभी प्रश्रय नहीं दिया। स्वच्छ छवि की वजह से वे पुलिस कर्मियों के बीच तो लोकप्रिय हैं ही,आम जनता की भी ये पसंद हैं। इनके पिता प्लानिंग अफसर रह चुके हैं।इसलिए सामान्य जीवन में भी हर काम प्लानिंग के आधार पर करते हैं।
क्रिकेट से भी इनका गहरा लगाव रहा है। ये बिहार क्रिकेट एसोसिएशन से भी लंबे समय तक जुड़े रहे।क्रिकेट को इन्होंने बिहार में बढ़ाया। बातचीत के दौरान इन्होंने कहा कि जो लोक सेवक अब भी नहीं सुधरे हैं। वे सुधर जाएं। अन्यथा निगरानी विभाग उन्हें सुधार देगी।
उन्होंनेआम लोगों से आह्वान किया कि अगर कोई लोक सेवक जायज काम के बदले रिश्वत मांगता है तो इसकी सूचना निगरानी को दें। ऐसे लोगों की जगह समाज में नहीं बल्कि जेल में है।