-
सभी निर्देश वरीय अफसरों के माध्यम से मिलेंगे
-
इन अफसरों को नहीं दिया अपना मोबाइल नंबर
-
राज्य सरकार के अनुमोदन के बिना ही लिये फैसले
दीपक नौरंगी
भागलपुरः बिहार के नए डीजीपी आर एस भट्टी को एक महीने दो दिन पूरे हो चुके हैं। डीजीपी आर एस भट्टी बिहार पुलिस में क्या कुछ बड़ा बदलाव करना चाहते हैं। ऐसे कई सवाल पुलिस महकमे में सुर्खियां बनी हुई हैं।
बिहार पुलिस के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि अब जिले एसएसपी और एसपी से डीजीपी सीधे बात करना संभव नहीं माना जा रहा है। बताया जाता है वर्तमान डीजीपी आर एस भट्टी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से रेंज सभी डीआईजी और आईजी के माध्यम से निर्देश का अनुपालन कराने के लिए निर्देश दिए गए हैं।
सच्चाई पर विश्वास करें तो नए डीजीपी भट्टी साहब ने किसी भी जिले के एसएसपी और एसपी को या रेंज के डीआईजी को या आईजी को अपना सरकारी नंबर नहीं दिया हैं। डीजीपी से सीधे तौर पर कोई भी जिले के एसएसपी और एसपी अब बात करना या किसी बड़े मामले में भी यह संभवत प्रतीत नहीं हो रहा है।
बिहार पुलिस के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है। इसका सीधा प्रभाव विधि व्यवस्था की स्थिति पर पड़ सकता है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपना भरोसा तो आर एस भट्टी पर जताया तो है लेकिन सरकार के भरोसे पर श्री भट्टी कितने फिट बैठते हैं यह तो आने वाला समय बताएगा।
डीजीपी जो निर्णय ले रहे हैं वह किसी राज्य सरकार के मुख्यमंत्री ही ऐसा निर्णय ले सकता है। सीधे तौर पर डीजीपी को ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए राज्य सरकार से अनुमोदन लेने की आवश्यकता पड़ती है। एक रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी की बात माने तो बिहार में वर्तमान डीजीपी जो भी कर रहे हैं वह नियमों अनुकूल नहीं है।
छह आईपीएस अधिकारी को दी अतिरिक्त जिम्मेदारी
बिहार डीजीपी आर एस भट्टी ने कुल छह आईपीएस अधिकारी को अतिरिक्त जिम्मेदारियां दे दी है। जिन आईपीएस अधिकारियों को राज्य सरकार ने जिम्मेदारियां दी है, उनके अतिरिक्त आधे दर्जन आईपीएस अधिकारी को अलग-अलग कार्यों का प्रभार दिया गया है।
यदि सूत्रों पर विश्वास करें तो डीजीपी ने बिना राज्य सरकार से अनुमोदन प्राप्त किए इन आधे दर्जन आईपीएस अधिकारियों को अतिरिक्त जिम्मेदारी दी है। अपर पुलिस महानिदेशक एमआर नायक की पोस्टिंग राज्य सरकार ने बिहार सशस्त्र पुलिस में की है तो डीजीपी आर एस भट्टी साहब ने इनको जनता दरबार और पुलिस वेलफेयर की एक अलग जिम्मेदारी दी है।
दूसरी तरफ डीआईजी दलजीत सिंह सीआईडी को मध निषेध में बिहार के डीजीपी ने अलग जिम्मेदारी दी है। तीसरी तरफ विशाल शर्मा जो बिहार शस्त्र पुलिस बल में कमांडेंट है उनको सोशल मीडिया की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है। डीआईजी एसटीएफ किम को भी सोशल मीडिया की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है।
डीआईजी जयकांत जो बिहार सशस्त्र पुलिस बल में है उनको एसटीएफ की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है। एसपी संजय सिंह जो एटीएस में है उनको अतिरिक्त एसटीएफ की जिम्मेदारी दी गई है। अब सवाल उठ रहे हैं कि डीआईजी जयकांत और संजय सिंह को एसटीएफ में अतिरिक्त जिम्मेदारी दिए जाने का औचित्य क्या है जबकि डीआईजी सुश्री किम एसटीएफ का कार्य देखने में एक सक्षम पुलिस पदाधिकारी है।
ऐसे में उनको सोशल मीडिया का अतिरिक्त प्रभार दे देना और एसटीएफ में दो अतिरिक्त आईपीएस अधिकारी को दे देना यह निर्देश और आदेश आईपीएस अधिकारियों की समझ से परे लग रहा हैं। डीजीपी आर एस भट्टी अपने द्वारा दिए गए निर्देशों को बेहतर और अच्छा मान रहे हैं।
वही राज सरकार के मुखिया नीतीश कुमार अपनी समाधान यात्रा में व्यस्त हैं। अंदरखाने में चर्चा है यह सब जो भी नए डीजीपी के द्वारा निर्देश का अनुपालन हो रहा है इसमें राज्य सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सहमति हैं।