कियेबः रूस के सैकड़ों टैंक फिर से यूक्रेन की तरफ बढ़ रहे हैं। रूस की सीमा से आगे बढ़ते इन टैंकों और अतिरिक्त सेना को सैटेलाइट के जरिए देखा गया है। इससे साफ है कि इस मौसम में रूसी सेना फिर से यूक्रेन पर हमला और तेज करने जा रही है। दरअसल रूसी सेना को खेरसोन, स्नैक आईलैंड और खारकोव में पीछे हटना पड़ा है।
उसके बाद से यूक्रेन ने डोनेस्क और लुहांस्क में भी कई इलाकों से रूसी सेना को भगा दिया है। इस वजह से अब रूस अब उन इलाकों पर फिर से अपना नियंत्रण कायम करना चाहता है, जिन्हें वह अपना इलाका घोषित कर चुका है। यह स्पष्ट है कि इन इलाकों में रूस समर्थक लोगों की भी एक आबादी है। उनमें से कुछ लोग हथियारबंद विद्रोही भी हैं, जो यूक्रेन के खिलाफ रूसी सेना की मदद कर रहे हैं। बुधवार को रूसी सेना ने खेरसोन पर 33 रॉकेट दागे हैं।
यूक्रेन का आरोप है कि आम नागरिकों को इसमें शिकार बनाया जा रहा है। खेरसोन के नाइपर नदी के दक्षिणी छोर पर मोर्टार से भी हमला हो रहा है। नये हथियार हाथ आने के बाद यूक्रेन की सेना ने इस इलाके से रूसी सेना को खदेड़ दिया था। उसके बाद से यह इलाका यूक्रेन के कब्जे में ही है।
अब समझा जा रहा है कड़ाके की ठंड को हथियार बनाकर रूसी सेना फिर से इन इलाकों पर अपना नियंत्रण कायम करना चाहती है। अब मौसम ही यूक्रेन की सेना के खिलाफ चला गया है। दरअसल अभी कियेब में भी तापमान शून्य से नीचे हैं। ऐसे में नलों का पानी भी जम गया है। लोगों को इस ठंड मे गरमी के लिए बिजली की जरूरत है।
इसी बिजली पर रूसी सेना बार बार निशाना साध रही है। इतिहास के जानकार याद दिला रहे हैं कि इसी ठंड के मौसम की वजह से प्रवल प्रतापी नेपोलियन को भी रूसी सेना के हाथों हारना पड़ा था। इसके बाद दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान नाजी सेना भी रूस के इसी चाल में फंस कर तबाह हो गयी थी। अब यूक्रेन को फिर से घेरने के लिए नई फौज और सैकड़ों टैंक भेजे जा रहे हैं। दूसरी तरफ कुछ लोगों को इस बात की भी आशंका है कि कभी भी वह अब बेलारूस की तरफ से भी कियेब पर हमला कर सकता है क्योंकि वहां से कियेब की दूरी बहुत कम है।