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हमला करने आयी थी पर मार खाकर भागने लगी चीन की सेना, देखें वीडियो

  • चीन की साजिश यहां पूरी तरह नाकाम हुई

  • युद्ध से भारत किसी से डरता नहीं:रक्षा मंत्रालय

  • चीन को पहली बार उसी की भाषा में जबाव दिया

भूपेन गोस्वामी

गुवाहाटी: भारतीय सेना के जवानों का पराक्रम, शौर्य एवं वीरता एक बार फिर तवांग सेक्टर के यांग्सी में दिखी है।  इस संघर्ष को तवांग झड़प में भारतीय जवानों की वीरता साफ झलक रही है। इस पूरे संधर्ष में भारतीय सेना चीन की सेना पीएलए के जवानों पर हावी है और डंडों से उनकी पिटाई कर रही है। भारतीय सेना की जांबाजी के आगे पीएलए ने घुटने टेक दिए और वहां से भागने के लिए मजबूर हो गए। दरअसल यहां पर दोनों पक्षों के सेना का कद भी भारी अंतर कर गया वहां तैनात भारी जवान लंबे कद के थे जबकि चीनी सेना के लोगों की ऊंचाई बहुत कम थी। भारतीय सेना ने हमले को भांपते हुए पहले ही लाठी जुटा लिये थे और पीएलए के आगे बढ़ते ही लाठियां बरसायी।

देखें घटना का वीडियो

भारतीय सेना ने कहा कि अब  भारत-चीन सीमा से लगी अरुणाचल तवांग सीमा पर आधुनिक हथियारों और गोला-बारूद के साथ 20,000 भारतीय सैनिक मौजूद रही है।  भारतीय सेना के एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि भारत-चीन सीमा तवांग के बारे में आज नई दिल्ली में रक्षा मंत्रालय की एक आपात बैठक हुई।  इस बैठक में सीमा की मौजूदा स्थिति पर चर्चा की गई है।

मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस बैठक में  रक्षा विभाग को भारत और रक्षा नीति सहित इसके हर हिस्से की रक्षा करने के लिए अनिवार्य किया गया है। अंतर-सेना संगठनों, रक्षा लेखा विभाग, कैंटीन स्टोर विभाग (सीएसडी), तटरक्षक बल, राष्ट्रीय कैडेट कोर, सीमा सड़क संगठन, रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान के साथ काम करने वालों ने भी इस तत्काल बैठक में भाग लिया है।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के साथ युद्ध के संकेत दिए हैं। भारतीय सेना को इस बार किसी भी तरह की स्थिति के लिए तैयार रहने को कहा गया है।रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने आज भारत चीन सीमा क्षेत्र तवांग के बारे में बताते हुए कहां की देश के सेना हमेशा युद्ध के लिए प्रस्तुत है ।भारतीय सेना किसी से डरता नहीं है।

भारतीय सेना के एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि चीन के सैनिक इसलिए भी भागने पर मजबूर हो गए क्योंकि जैसे ही चीन के अतिक्रमण का पता चला, अतिरिक्त भारतीय सैनिकों को तुरंत वहां रवाना कर दिया गया।

चीन की तुलना में पहले भारतीय सैनिक इसलिए कम थे, क्योंकि भारतीय सेना की वो यूनिट सिर्फ पेट्रोलिंग के लिए होती है। इसके अलावा एक क्विक रिएक्शन टीम होती है, जो  एलएसी पर जरूरत पड़ने पर चीन की ताकत के बराबर सैनिक तुरंत इकट्ठा करती है।अब इसकी टाइमिंग को समझिए कि चीन की सेना ने इसी वक्त यांग्सी में अतिक्रमण की कोशिश क्यों की।

इस इलाके में बर्फबारी शुरू होने की वजह से इस मौसम में अक्सर कुछ भारतीय टुकड़ियां अपनी पोजीशन से हटती रही हैं और दूसरी टुकड़ियां उनकी जगह लेती हैं। चीन ने इसी मौके का फायदा उठाने की कोशिश में अतिक्रमण की प्लानिंग की। जिससे वो इस इलाके में अतिक्रमण करके रणनीतिक लोकेशन पर आ जाएं और भारतीय सेना पर दबाव बना दें। लेकिन चीन की प्लानिंग तवांग में नाकाम हो गई। और चीन को उसी की भाषा में जवाब मिल गया।

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