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दिल्ली में अब एमसीडी पर एलजी वनाम सीएम की टक्कर होगी

  • पहले से ही है तनातनी की स्थिति

  • भाजपा ने पहले ही ठोंका है दावा

  • केंद्र सरकार के बहाने राजनीति

राष्ट्रीय खबर

नईदिल्लीः दिल्ली नगर निगम के मुद्दे पर भी भाजपा इतनी आसानी से मैदान छोड़ने नहीं जा रही है। वैसे ही कई भाजपा नेताओँ ने पहले ही यह दावा कर दिया है कि चुनाव कोई भी जीते लेकिन मेयर तो भाजपा का ही बनेगा। इसलिए आगे शेष पार्षदों के मनोनयन पर उपराज्यपाल का रवैया क्या होता है, इस पर सभी की नजर है।

तय है कि अगर मौजूदा परंपरा से इतर जाते हुए अगर उपराज्यपाल केंद्र सरकार की सिफारिश पर मनोनीत पार्षदों का नाम तय करते हैं तो उन्हें दिल्ली सरकार के हमले का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए यह माना जा रहा है कि अब दोनों के बीच तकरार की नई जमीन तैयार हो गई है। सियासी गलियारे में इस वक्त मनोनीत सदस्यों की चर्चा भी आम है। वर्ष 1997 में केंद्र में संयुक्त मोर्चा की सरकार थी और भाजपा मुख्य विपक्षी दल था। इस दौरान दिल्ली में भाजपा की सरकार थी। तब एमसीडी की कमान केंद्र सरकार के अधीन थी, लेकिन उपराज्यपाल ने दिल्ली की भाजपा सरकार की सिफारिश पर पार्षद मनोनीत किए थे।

वर्ष 1998 में दिल्ली में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद उसने भाजपा सरकार की सिफारिश पर 10 मनोनीत पार्षदों को हटाकर अपनी पसंद के पार्षद मनोनीत करने की सिफारिश की, लेकिन हाईकोर्ट ने उसके निर्णय पर रोक लगा दी थी। वर्ष 2002 में एमसीडी में कांग्रेस सरकार बन गई, लेकिन प्रदेश कांग्रेस व उसकी दिल्ली सरकार के बीच टकराव होने के कारण कई साल तक पार्षद मनोनीत नहीं हो सके, जबकि इस दौरान 2004 तक केंद्र में भाजपा की सरकार थी। 2012 में भी दिल्ली सरकार ने तीनों एमसीडी में पार्षद मनोनीत किए थे।

केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर काम करने वाले उपराज्यपाल दिल्ली सरकार के साथ एमसीडी के भी मुखिया हैं। दिल्ली की आप सरकार व उपराज्यपाल के बीच छत्तीस का आंकड़ा जगजाहिर है। उपराज्यपाल की ओर से दिल्ली सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप ही नहीं किया जाता, बल्कि वह दिल्ली सरकार के खिलाफ विभिन्न मामलों में आदेश भी देते रहते हैं। अब उनके बीच एमसीडी के संबंध में भी टकराव देखने को मिलने के आसार है। वे पहले से ही एमसीडी के मामलों में दिशा-निर्देश दे रहे है। इस कारण एमसीडी में आप की सरकार बनने के बाद भी उनका यह सिलसिला जारी रहने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

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