हॉंगकॉंगः चीन में अब सीधे राष्ट्रपति शी जिनपिंग के फैसलों को जनता चुनौती देने लगी है। सरकार द्वारा लॉकजाउन लगाने के नियम का विरोध देश के कई हिस्सों में हुआ है। इसमें छात्र भी शामिल हो चुके हैं। इस वजह से स्थिति सरकार के लिए भी गंभीर चुनौती बन चुकी है।
बीजिंग में इस सरकारी फैसले के विरोध में सड़कों पर उतरने वालों में तिसिंहुआ विश्वविद्यालय के छात्र भी शामिल है। इस विश्वविद्यालय को देश का सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय माना जाता है। कोरोना लॉकडाउन का विरोध करते हुए छात्रों ने लोकतंत्र बहाल करने तक की मांग कर सरकार को सतर्क कर दिया है। शी जिनपिंग के जीरो कोविड के नियमों से परेशान लोगों ने देश के कई हिस्सों में भी सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया। अनेक लोग आइसोलेशन सेंटर से जबरन निकलकर अपने घरों में चले गये। उनका आरोप है कि इन केंद्रों में कोई सुविधा नहीं दी जा रही है। इसलिए अगर अलग थलग ही रहना है तो वे अपने घरों में बेहतर तरीके से रह लेंगे।
चीन की सरकार की परेशानी यह है कि दशकों से कभी भी चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार को ऐसी चुनौतियों का सामना नहीं करना पड़ा था। पश्चिमी जिनजियांग प्रदेश में भी हजारों लोग सड़कों पर उतरे और कुछ नाराज लोगों ने सड़क पर आग भी लगा दी। कई स्थानों पर जनता के साथ सुरक्षा बलों की भिड़ंत हुई है, जिसमें काफी लोग घायल हुए हैं। कहा जा रहा है कि पुलिस के साथ हुए टकराव में कमसे कम दस लोग मारे गये हैं।
कोरोना लॉकडाउन को लेकर प्रारंभ हुआ यह आंदोलन अब उग्र होता जा रहा है। कई स्थानों पर नाराज लोगों ने शी जिनपिंग को ही गद्दा छोड़ने का नारा भी खुलेआम लगाना प्रारंभ कर दिया है। लोग बोलने की आजादी देने की भी मांग कर रहे हैं। वैसे सरकारी सूत्र इस किस्म के प्रदर्शनों को सरकार के लिए कोई खतरा नहीं मानते क्योंकि शी जिनपिंग ने हाल ही में पार्टी के सम्मेलन में तीसरी बार चुनाव जीता है।