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सरकार ने ही दायर की थी याचिका
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वकील ने कहा सरकार के निर्देश मिला
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पालघर मामले में हिंसा भड़काने का आरोप
राष्ट्रीय खबर
मुंबईः महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है। इसमें टीवी चैनल के प्रमुख पत्रकार अर्णव गोस्वामी के खिलाफ दायर मामले को वापस लेने की बात की गयी है। इसके पूर्व इस मामले में राज्य सरकार ने ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस मामले में उच्च न्यायालय द्वारा दायर स्थगनादेश को चुनौती दी थी।
महाराष्ट्र की राजनीति में सावरकर और छत्रपति शिवाजी पर बयानों को लेकर राजनीतिक दलों के बीच घमासान जारी है। एक तरफ भाजपा और शिवसेना के दोनों गुट राहुल गांधी के उस बयान का विरोध कर रहे हैं, जो उन्होंने अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान दिया था। इस पर महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष ने उल्टा सवाल उठा दिया है कि कोई यह बताये कि फिर सावरकर को ब्रिटिश सरकार से पेंशन किस बात की मिलती थी।
दूसरी तरफ राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने एक समारोह में छत्रपति शिवाजी को बीते दिनों की बात कहते हुए कहा कि आधुनिक जगत में नीतीन गडकरी हैं। इस पर दूसरे दलों के अलावा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष को कहना पड़ा है कि राज्यपाल को ऐसा नहीं कहना चाहिए था।
भाजपा के सहयोग एकनाथ शिंदे गुट ने राज्यपाल को अन्यत्र भेजने की मांग कर दी है। इन तमाम उठापटक के बीच ही अर्णव गोस्वामी के खिलाफ चल रही कार्रवाई को रोकने की यह पहल हुई है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की अदालत में है।
राज्य सरकार के वकील ने अदालत को यह सूचना दी है कि उन्हें राज्य सरकार की तरफ से यह याचिका वापस लेने के निर्देश मिले हैं। अर्णव गोस्वामी के खिलाफ पालघर की घटना के जरिए सांप्रदायिक तनाव फैलाने तथा लॉकडाउन के दौरान बांद्रा स्टेशन के बाहर मजदूरों की भीड़ को इससे जोड़ने का आरोप लगा है।
इससे पहले भी टीवी रेटिंग के मामलों तथा कई अति गोपनीय सुरक्षा सूचनाओँ की जानकारी उनके पास होने की वजह से उनके व्हाट्सएप को भी जांच के दायरे में लिया गया था। उस दौरान उनकी गिरफ्तारी भी बड़े ही नाटकीय ढंग से हुई थी और उनके जेल से रिहा होने का भी प्रसारण किया गया था।