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मनरेगा पर देशव्यापी अभियान पांच जनवरी से

कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में कई मुद्दों पर फैसला

  • मोदी सरकार के खिलाफ जंग का एलान

  • मनरेगा लोगों को दिया गया अधिकार था

  • बिना सोचे समझे ही इसे खारिज किया गया

राष्ट्रीय खबर

नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार द्वारा यूपीए शासनकाल के ऐतिहासिक ग्रामीण रोजगार कानून मनरेगा को निरस्त करने के फैसले के विरुद्ध एक निर्णायक जंग का एलान कर दिया है। आगामी 5 जनवरी से पार्टी पूरे देश में मनरेगा बचाओ अभियान का शंखनाद करेगी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस मुद्दे पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को कड़े लहजे में चेतावनी देते हुए कहा है कि इस जनविरोधी कदम से ग्रामीण भारत की जनता में भारी आक्रोश व्याप्त है और सरकार को भविष्य में इसके गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना होगा।

गौरतलब है कि हाल ही में संपन्न हुए संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्षी दलों के तीखे विरोध और हंगामे के बीच, सरकार ने 20 साल पुराने प्रतिष्ठित मनरेगा कानून को समाप्त कर उसके स्थान पर वीबी जी राम जी विधेयक पारित कराया है। हालाँकि नए अधिनियम में ग्रामीण श्रमिकों के लिए 125 दिनों के मजदूरी रोजगार का प्रावधान रखा गया है, लेकिन विपक्ष इसे मूल कानून की आत्मा को खत्म करने वाला बता रहा है।

शनिवार, 27 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली में आयोजित कांग्रेस कार्य समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक के उपरांत आयोजित संवाददाता सम्मेलन में श्री खड़गे ने अभियान की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने भावुक और आक्रामक स्वर में कहा कि मनरेगा केवल एक सरकारी योजना मात्र नहीं थी, बल्कि यह भारतीय संविधान की भावना के अनुरूप गरीबों को दिया गया काम का अधिकार था। खड़गे ने स्पष्ट किया, ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले इस कानून को खत्म करने से आम जनमानस व्यथित है। सरकार को जनता की इस नाराजगी का खामियाजा भुगतना ही पड़ेगा। सीडब्ल्यूसी की बैठक में सभी सदस्यों ने सामूहिक रूप से शपथ ली कि इस नए कानून के खिलाफ आंदोलन का केंद्र बिंदु मनरेगा की बहाली होगा।

नए कानून के तहत केंद्र और राज्य सरकारों के बीच लागत साझा करने की शर्त पर प्रहार करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि यह राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता पर हमला है। इससे राज्यों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ेगा, जिससे ग्रामीण विकास कार्य बाधित होंगे। उन्होंने इस निर्णय को अलोकतांत्रिक बताते हुए कहा कि बिना किसी पूर्व अध्ययन, मूल्यांकन या राज्यों और राजनीतिक दलों से संवाद किए यह एकतरफा फैसला थोपा गया है।

खड़गे ने इसे महात्मा गांधी के आदर्शों का अपमान करार देते हुए कहा, यह कानून केवल गरीबों के हकों को कुचलने के लिए लाया गया है। कांग्रेस इसके विरुद्ध संसद से लेकर सड़कों तक संघर्ष करेगी। उन्होंने ऐतिहासिक संदर्भ देते हुए याद दिलाया कि पूर्व में भी मोदी सरकार को भूमि अधिग्रहण संशोधन और तीन कृषि कानूनों जैसे फैसलों को जनशक्ति के आगे वापस लेना पड़ा था। इसके साथ ही, उन्होंने मतदाता सूची से दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के नाम जानबूझकर हटाए जाने का गंभीर आरोप लगाया और घोषणा की कि कांग्रेस के बूथ स्तर के एजेंट अब घर-घर जाकर इस वोट चोरी का पर्दाफाश करेंगे।