चीन की सीमा पर ढील देने को तैयार नहीं है भारतीय सेना
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः भारत और भूटान सैन्य समन्वय के माध्यम से संबंधों को मजबूत करना चाहते हैं। सेना सूत्रों के अनुसार, भूटानी सेना के मुख्य परिचालन अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल बाटू शेरिंग ने हाल ही में कोलकाता स्थित भारतीय सेना के पूर्वी मुख्यालय का दौरा किया।
विजय स्मारक पर औपचारिक श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद उन्होंने भारतीय सेना के पूर्वी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रामचंद्र तिवारी के साथ निजी चर्चा की। इस बात पर चर्चा हुई कि सैन्य समन्वय के माध्यम से दोनों देशों की सुरक्षा को कैसे मजबूत किया जाए। विशेष रूप से रक्षा के क्षेत्र में उन्नत प्रौद्योगिकी के उपयोग पर जोर दिया गया है।
सैन्य सूत्रों के अनुसार भारत और भूटान के बीच लंबे समय से मैत्रीपूर्ण संबंध हैं। इस संदर्भ में, भूटानी सैन्य नेता का आगमन और मुलाकात विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह बैठक दोनों देशों की सेनाओं के बीच संयुक्त अभ्यास और सुरक्षा समन्वय की दृष्टि से भी विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
कूटनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, एशिया में क्षेत्रीय शांति बनाए रखने में भारत की विशेष भूमिका है और इस संबंध में भूटान के साथ भारत की सैन्य भागीदारी विशेष उल्लेख की हकदार है। आकार में छोटा होने के बावजूद भूटान की भौगोलिक स्थिति और भूमिका भारत के लिए भी महत्वपूर्ण है। वर्तमान अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक माहौल के संदर्भ में भारत और भूटान के बीच समन्वय का विशेष महत्व है।
दरअसल गलवान घाटी की घटना के बाद से ही कूटनीतिक समाधान पर काम प्रगति पर होने के बाद भी भारतीय सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब सतर्क अवस्था में है। अरुणाचल प्रदेश के करीब भी इसी वजह से आधारभूत संरचनाओं का विकास किया जा रहा है ताकि कम समय में सेना को सीधे सीमा तक पहुंचाया जा सके। इसी क्रम में भूटान के साथ अपने बेहतर सैन्य संबंधों पर भारतीय सेना जोर दे रही है क्योंकि इस देश की सीमा भी चीन के साथ लगती है और पहले ही इस बात की शिकायत मिली है कि भूटान की कुछ जमीन पर चीनी सैनिक जमे हुए हैं।