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तमिलनाडु ने मनरेगा के फंड की मांग की

करोड़ों की जान बचाने वाली योजना केंद्रीय उपेक्षा की शिकार

  • निर्मला सीतारमण को पत्र सौंपा गया

  • कई अन्य राज्यों का पैसा भी बकाया

  • मोदी ने कभी उड़ाया था इसका मजाक

राष्ट्रीय खबर

चेन्नईः (एमजीएनआरईजीएस) को वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए अतिरिक्त बजट नहीं मिला है, जिसके परिणामस्वरूप श्रमिकों को वेतन देने में देरी हो रही है। तमिलनाडु के वित्त मंत्री थंगम थेनारासु ने सोमवार को नई दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की और केंद्र से मनरेगा के तहत 1,056 करोड़ रुपये का लंबित बकाया जारी करने का आग्रह किया।

थेनारासु के साथ डीएमके संसदीय दल की नेता कनिमोझी करुणानिधि और ग्रामीण विकास और पंचायत राज विभाग के अतिरिक्त सचिव गगनदीप सिंह बेदी भी थे। थेनारासु ने कहा, मुख्यमंत्री ने 13 जनवरी को प्रधानमंत्री से राज्य सरकार को 1,056 करोड़ रुपये तत्काल जारी करने का आग्रह किया था।

मंत्री ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय वित्त मंत्री से केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय से लंबित बकाया तुरंत जारी करने का आग्रह किया। निर्मला के कार्यालय ने राष्ट्रीय राजधानी में केंद्रीय मंत्री से मुलाकात करते तमिलनाडु के प्रतिनिधिमंडल की एक तस्वीर भी पोस्ट की।

इस औपचारिक मांग के साथ ही यह स्पष्ट हो गया है कि कई अन्य राज्यों को भी इसी मनरेगा के संदर्भ में पैसे आवंटित नहीं किये गये हैं। कई स्थानों पर इस देर की वजह से लाखों मजदूरों की मजदूरी कई महीनों से लंबित है।

दरअसल केंद्र सरकार भी इस मनरेगा की बार बार चर्चा होने से परेशान होती है। कोरोना के लॉकडाउन के दौरान इसी मनरेगा योजना की वजह से करोड़ों लोगों को अपने अपने गांव के करीब रोजगार मिला था। जिसकी वजह से उनकी जान बच गयी है। इस योजना की बदौलत वे सारे लोग दो वक्त की रोटी जुटा पाये थे, जिन्होंने लॉकडाउन के दौरान पैदल ही अपने कार्यस्थल से गांव तक का सफर पूरा किया था क्योंकि महानगरों अथवा दूसरे कार्यस्थलों पर उनके लिए रोजगार अथवा दो वक्त के भोजन का कोई इंतजाम नहीं था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पूर्व में मनरेगा का मजाक उड़ाये जाने की वजह से ही केंद्र सरकार मनरेगा की चर्चा से लगातार बचती रहती है।

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