जूनियर डाक्टरों की हड़ताल समाप्त कराने मुख्यमंत्री की पहल
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रोगी कल्याण संघ को भंग किया
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तीन दिनों तक वार्ता नहीं हो पायी
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काम पर लौट आने की फिर अपील की
राष्ट्रीय खबर
कोलकाताः आरजी कर अस्पताल घोटाले के संदर्भ में सरकारी मेडिकल कॉलेजों में भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। इस माहौल में शनिवार को स्वास्थ्य भवन के पास जूनियर डॉक्टरों के धरने में शामिल होने के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज के रोगी कल्याण संघ को भंग करने की घोषणा की।
उन्होंने राज्य के सभी अस्पतालों के रोगी कल्याण संघ को भंग करने की भी घोषणा की। जूनियर डॉक्टर पिछले मंगलवार से पांच सूत्री मांगों को लेकर स्वास्थ्य भवन के सामने डटे हुए हैं। मुख्यमंत्री के साथ तीन दिनों की बैठक निर्धारित थी, लेकिन वह विफल हो गयी। शनिवार को ममता खुद आंदोलनकारियों के मंच पर गईं।
जब वे वहां गए तो उन्होंने कहा, मैंने आरजी कर रोगी कल्याण संघ को भंग कर दिया। मैं राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों के रोगी कल्याण संघ को भंग कर रही हूं। उन्होंने रोगियों को हो रही परेशानियों का हवाला देते हुए आंदोलन को खत्म करने की अपील की। बता दें कि इस गतिरोध को खत्म कराने के लिए मुख्यमंत्री ने राज्य सचिवालय में आंदोलनकारियों को वार्ता के लिए आमंत्रित किया था।
वहां ममता बनर्जी के दो घंटे तक इंतजार के बाद भी जूनियर डाक्टर वहां नहीं आये थे। जिसके बाद से यह माहौल बनने लगा था कि दरअसल यह आंदोलन मुद्दों पर आधारित नहीं बल्कि राजनीतिक मकसद से चलाया जा रहा है। इससे पहले ममता ने 9 सितंबर को नवान्न में प्रशासनिक बैठक में इस रोगी कल्याण संघ के बारे में कुछ सुझाव दिये थे।
उन्होंने बताया कि प्रत्येक अस्पताल के मामले में संबंधित अस्पताल के प्राचार्य को रोगी कल्याण संघ का अध्यक्ष रखा जाना चाहिए। इस मामले में, स्थानीय विधायक या सांसद अस्पताल के रोगी कल्याण संघ के अध्यक्ष के रूप में बैठते हैं। श्रीरामपुर के तृणमूल विधायक सुदीप्त रॉय आरजी कर अस्पताल रोगी कल्याण संघ के अध्यक्ष थे।
हाल ही में उनके घर पर सीबीआई ने छापा मारा था। नबन्ना की प्रशासनिक बैठक में ममता ने यह भी प्रस्ताव रखा कि एसोसिएशन में प्रिंसिपल के साथ एक सीनियर डॉक्टर, एक जूनियर डॉक्टर, एक सिस्टर, स्थानीय विधायक और स्थानीय पुलिस स्टेशन के आईसी को रखा जाए।
इस बार उन्होंने रोगी कल्याण संघ को भंग कर दिया। 9 अगस्त को आरजी कर अस्पताल से एक महिला डॉक्टर का शव बरामद हुआ था। कथित तौर पर डॉक्टर के साथ बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई। उसी दिन से जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल कर दी। उन्होंने पीड़िता को न्याय के अलावा सरकारी अस्पताल में सुरक्षा की भी मांग की।
भ्रष्टाचार की शिकायत की। इस माहौल में आरजी कर मेडिकल कॉलेज समेत राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर आरजी कर अस्पताल में हुए भ्रष्टाचार की जांच सीबीआई कर रही है। उस घटना में मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को गिरफ्तार किया गया था।
आंदोलनकारियों ने अस्पताल पर ‘धमकाने’ का आरोप लगाया है। आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) ने दादागिरी के आरोपी डॉ अभिक डे, विरुपाक्ष बिस्वास को सस्पेंड कर दिया है। सरकारी अस्पतालों में रोगी कल्याण संघों की ओर भी उंगलियां उठाई गई हैं। इस बार ममता ने इसे भंग कर दिया।
रोगी कल्याण संघ सदस्य ट्रस्टी अस्पताल का प्रबंधन देखते हैं। संघ स्थानीय पंचायत सदस्यों, स्थानीय निर्वाचित प्रतिनिधियों (संसद या विधायकों), स्थानीय सरकारी अधिकारियों, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों, स्वैच्छिक संगठनों के सदस्यों, प्रतिष्ठित व्यक्तियों से बने होते हैं। एसोसिएशन में आईएमए के सदस्य भी रहते हैं।
यह एसोसिएशन तय करती है कि अस्पताल के उचित प्रबंधन के लिए धनराशि कहां और कैसे खर्च की जाएगी। इस एसोसिएशन के कामकाज को लेकर शिकायतें उठती रही हैं। इस संस्था की गतिविधियों को लेकर वामपंथी दौर में भी शिकायतें उठती रही थीं। अब आंदोलनकारियों का दावा है कि सरकारी अस्पतालों के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। रुपये हड़पने का भी आरोप लगाया गया है। इसके बाद शनिवार को मुख्यमंत्री ने इस एसोसिएशन को भंग करने की घोषणा कर दी।