मध्यम आय वर्ग की नाराजगी का एहसास है केंद्र को
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः जीएसटी का कर ढांचा अब चार के बदले तीन का होगा। लोकसभा चुनाव के परिणामों से केंद्र सरकार देश के मध्यम आय वर्ग की नाराजगी को गंभीरता से ले रही है, यह साफ संकेत मिलते हैं। इस बार जीएसटी में बड़े बदलाव की केंद्र की योजना है।
कैंसर की दवाओं से लेकर सोना-चांदी तक। चाहे वह मोबाइल फोन हो या चमड़े का सामान। मोदी 3।0 के पहले पूर्ण बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई वस्तुओं पर आयात शुल्क में बड़े बदलाव किए। कहने की जरूरत नहीं है कि आने वाले दिनों में इन सभी चीजों की कीमतें बदल जाएंगी।
सूत्रों के मुताबिक, ऐसे में सरकार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में बदलाव की योजना बना रही है।
अगर यह अंततः लागू हो जाता है, तो दैनिक उपयोग की कई चीजों की कीमत पर ध्यान दिया जाएगा।
वित्त मंत्रालय के नियंत्रण में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने एक बयान दिया। उन्होंने कहा, जीएसटी के कर ढांचे में बहुत सारे स्लैब हैं। जिसके कारण कुछ मामलों में लोगों को अधिक टैक्स देना पड़ता है। इसके अलावा स्लैब के बंटवारे में जो जटिलता पैदा होती दिख रही है, उसे दूर करने की जरूरत है। इसके बाद केंद्र के शीर्ष अधिकारी ने संकेत दिया कि जीएसटी में बदलाव लाने की योजना पर काम चल रहा है।
वस्तु एवं सेवा कर जुलाई 2017 में लागू किया गया था। तब से इसमें कई बदलाव हुए हैं। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने एक साक्षात्कार में कहा, इसने सरकार को जीएसटी के स्लैब की समीक्षा करने के लिए प्रोत्साहित किया है।
केंद्रीय अधिकारी ने यह भी कहा कि वर्तमान में जीएसटी के चार स्लैब को कम करने की योजना है। तीन तक।
वे स्लैब 5 फीसद, 12 फीसद, 18 फीसद और 28 फीसद हैं। अग्रवाल के शब्दों में, अगर ऐसा किया गया तो जीएसटी की संरचना को सरल बनाना संभव होगा। उन्होंने कहा कि इसका राजस्व संग्रह की राशि पर कोई असर नहीं पड़ेगा, यह कवायद अगले कुछ महीनों में शुरू हो जायेगी।