एक देसी कहावत है मूढ़ला बेल तरे आता है। यानी सर सफाचट होने के बाद जब कोई व्यक्ति बेल के पेड़ के नीचे आता है तो उसे पता होता है कि ऊपर से गोल बेल टपककर उसके सर पर आ गिरा तो क्या होगा। लोकसभा चुनाव के बाद अब नरेंद्र मोदी की भी कुछ वैसी ही हालत हो गयी है। पहली बार उनके शासन को अब भाजपा वाले ही आंख दिखाने का साहस कर पा रहे हैं।
वरना उत्तरप्रदेश में योगी आदित्यनाथ और केशव मौर्य के बीच की खटपट दिल्ली दरबार तक पहुंचने का कोई सवाल ही नहीं था। रही सही कसर को अपने मोहन भागवत जी ने निकाल दी और कहा कि इंसान को अपने अंदर में सुधार करने की चाह होनी चाहिए वरना वह खुद को सुपरमैन से ईश्वर समझने की तरफ बढ़ने लगता है। लोकसभा चुनाव से पहले कोई ऐसी बातों की उम्मीद भी नहीं कर सकता था।
लेकिन भाई अभी तो पार्टी शुरू हुई है। आगे देखिये क्या क्या होने लगता है। फिलहाल बजट की प्रतीक्षा है। भाई लोग अंदर से खबर लाये हैं कि किसान सम्मान निधि का वजन भी बढ़ने वाला है। ये वे लोग हैं, जो दिल्ली की सीमा पर करीब एक साल तक डेरा डाले रहे और आज भी हरियाणा सीमा पर रास्ता खाली होने के बाद आगे बढ़ने की तैयारियों में जुटे हैं।
शायद मोदी के किचन कैबिनेट के लोगों को यह बात समझ में आ गयी है कि इनलोगों का नाराज करना भारी पड़ गया है। लोकसभा में अपेक्षित सीटें नहीं मिली तो दूसरों के आसरे गाड़ी चलाना पड़ रहा है। अब इस गाड़ी को बाकी दो भारी पहिए कितने दिनों तक साथ चलेंगे, यह कहना मुश्किल है। जी हां मैं चंद्राबाबू नायडू और अपने नीतीश कुमार की बात कर रहा हूं।
वइसे कंफ्यूजन है कि दोनों के श्री मोदी के साथ होने का असली मकसद क्या है। दोनों को अपने अपने राज्य के लिए ज्यादा पैसा चाहिए या दोनों के करीबी अफसरों के खिलाफ जो जांच चल रही है, उसे खत्म कराना है। याद करा दूं कि जब बिहार पुलिस भागलपुर के सृजन घोटाले की जांच कर रही थी तो गाड़ी तेजी से आगे बढ़ रही थी। सीबीआई के पास यह मामला गया तो गाड़ी की स्पीड कम होती चली गयी। जिन आईएएस और आईपीएस अफसरों द्वारा बहती गंगा में हाथ धोने की चर्चा हुई थी, सारा मामला ठंडा पड़ गया।
इसी बात पर फिल्म आशिकी 2 का यह सुपरहिट गीत याद आने लगा है। इस गीत को लिखा और संगीत में ढाला था मिथुन ने जबकि इसे स्वर दिया था अरिजीत सिंह ने। गीत के बोल इस तरह हैं
हम तेरे बिन अब रह नहीं सकते
तेरे बिन क्या वजूद मेरा
हम तेरे बिन अब रह नहीं सकते
तेरे बिन क्या वजूद मेरा
तुझसे जुदा गर हो जाएंगे
तो ख़ुद से ही हो जाएंगे जुदा
क्यूंकि तुम ही हो
अब तुम ही हो
ज़िन्दगी अब तुम ही हो
चैन भी, मेरा दर्द भी
मेरी आशिक़ी अब तुम ही हो
तेरा मेरा रिश्ता है कैसा
एक पल दूर गवारा नहीं
तेरे लिए हर रोज़ हैं जीते
तुझ को दिया मेरा वक़्त सभी
कोई लम्हा मेरा ना हो तेरे बिना
हर सांस पे नाम तेरा..
क्यूंकि तुम ही हो
अब तुम ही हो
ज़िन्दगी अब तुम ही हो
चैन भी, मेरा दर्द भी
मेरी आशिक़ी अब तुम ही हो
तुम ही हो..
तुम ही हो..
तेरे लिए ही जिया मैं
खुदको जो यूँ दे दिया है
तेरी वफ़ा ने मुझको संभाला
सारे गमो को दिल से निकला
तेरे साथ मेरा है नसीब जुडा
तुझे पा के अधुरा ना रहा
हम्म..
क्यूंकि तुम ही हो
अब तुम ही हो
ज़िन्दगी अब तुम ही हो
चैन भी, मेरा दर्द भी
मेरी आशिक़ी अब तुम ही हो
क्यूंकि तुम ही हो
अब तुम ही हो
ज़िन्दगी अब तुम ही हो
चैन भी, मेरा दर्द भी
मेरी आशिक़ी अब तुम ही हो
तो क्या इसी वजह से हर कोई अपने अपने फायदे के लिए यह कह रहा है कि हम तेरे बिना अब रह नहीं सकते। लेकिन एक समानता दिखी कि सारे लोग मुंबई की एक शादी में जरूर नजर आये। यह होता है चांदी के जूते का कमाल। इसके पीछे हर किसी का अपना तर्क है लेकिन सभी एक परिवार के प्रति कितना सम्मान रखते हैं, यह तो दुनिया ने देखा।
सिर्फ एक शख्स इससे अलग रहा और वह देश में पैदल चल लेने के बाद बदला बदला सा इंसान दिख रहा है। मोदी जी को सदन के भीतर शायद यही राहुल गांधी सबसे अधिक परेशान कर रहे हैं। जिन नामों और शब्दों को सुनने में एलर्जी है, वही शब्द राहुल गांधी बार बार दोहरा रहे हैं। अब चार राज्यों के विधानसभा चुनाव से पता चलेगा कि कौन किसके बिना नहीं रह सकते।