औषधि मानक संगठन ने देश के लिए चेतावनी जारी की
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः देश में पैरासिटामोल सहित 52 किस्म की दवाएं निम्नस्तरीय पायी गयी है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन का कहना है कि इनमें से अधिकतर घटिया दवाएं हैं। इसलिए उन्होंने चेतावनी जारी की है। इन दवाइयों के इस्तेमाल से अपेक्षित लाभ नहीं होना है बल्कि कुछ के घटिया होने की वजह से शरीर पर उसका प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ सकता है।
हाल ही में लगभग 50 दवाओं के नमूनों का परीक्षण किया गया, जिनमें पेरासिटामोल और कई एंटीबायोटिक्स शामिल हैं। लेकिन वे उस परीक्षा में ‘असफल’ हो गये। देश की सर्वोच्च दवा नियामक एजेंसी ने कहा है कि इन दवाओं की गुणवत्ता बिल्कुल भी अच्छी नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, दवा बनाने वाली दवा कंपनियों को नोटिस भेजा गया है।
साथ ही जिन दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठाए गए हैं, उन्हें जल्द बाजार से वापस लेने का आदेश दिया गया है। वास्तव में किन दवाओं के बारे में चेतावनी दी गई है? केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने कहा कि दौरे और चिंता विकारों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली क्लोनाज़ेपम गोलियां, उच्च रक्तचाप रोधी दवा टेल्मिसर्टन सहित जीवाणु संक्रमण के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कई एंटीबायोटिक्स और कुछ मल्टीविटामिन और कैल्शियम की गोलियां खराब गुणवत्ता की थीं। इनका उपयोग करने से पहले सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
मिली जानकारी के मुताबिक इनमें से अधिकतर दवाएं हिमाचल प्रदेश में निर्मित होती हैं। इसके अलावा जयपुर, हैदराबाद, वडोदरा से कम गुणवत्ता वाली दवाओं के अधिक नमूने एकत्र किए गए। हिमाचल प्रदेश पहले भी दवा परीक्षणों में विफलता दर्ज कर चुका है। पिछले साल ही राज्य में निर्मित 120 दवाओं को घटिया के रूप में पहचाना गया था।
इससे पहले अफ्रीका में निर्यात किये गये कफ सीरप को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ था। उसके बाद कई अन्य देशों में भी ऐसी ही शिकायतें आयी थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी भारत को इस पर ध्यान देने को कहा था। उसके बाद से यह अंतर्राष्ट्रीय मामला भी ठंडे बस्ते में चला गया। अब राष्ट्रीय स्तर पर दवाइयों की गुणवत्ता घटिया होने के बाद भी क्या होता है, इस पर जनता की नजर रहेगी।