दलों को नोटिस जारी करने की चौतरफा आलोचना
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः आयोग ने आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए नोटिस भेजा, लेकिन मोदी का नाम नहीं लिया है। इस वजह से फिर से इस फैसले की आलोचना होने लगी है। लोगों की निगाहें इस बात पर टिकी थीं कि चुनाव प्रचार के दौरान कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषण और धार्मिक तनाव भड़काने के मामले में वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कार्रवाई करेंगे या नहीं।
चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के आरोपों पर आयोग ने गुरुवार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। लेकिन इसे भाजपा के अखिल भारतीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को भेजा गया। गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने उस दो पन्नों के पत्र में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नाम का भी उल्लेख नहीं किया था।
लेकिन सिर्फ भाजपा अध्यक्ष ही नहीं, चुनाव आयोग ने इसी मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भी पत्र लिखा है। भाजपा की ओर से कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर लगाए गए आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप पर। चुनाव आयोग ने उस पत्र में भी राहुल का नाम नहीं लिया। साथ ही पत्र में दोनों अध्यक्षों से कहा गया है कि वे पार्टी के स्टार प्रचारकों को आचार संहिता का सख्ती से पालन करने का निर्देश दें। उन्हें इस संबंध में एक उदाहरण स्थापित करने दीजिए।
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उन पर आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के कई आरोप लगे। यह पहली बार है जब चुनाव आयोग ने किसी शिकायत पर संज्ञान लिया है और नोटिस भेजा है। इससे पहले, चुनाव आयोग ने माना था कि 2019 के चुनावों के दौरान दर्ज की गई किसी भी शिकायत में नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया था। हालाँकि, उस समय के आयुक्तों में से एक, अशोक लवासा असहमत थे। तब उनके परिवार के सदस्यों की आयकर संबंधी मामलों में जांच की गई थी।
कई जनसभा में मोदी ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में कहा है कि अगर वह सत्ता में आई तो मेहनत से कमाई गई संपत्ति जब्त कर लेगी। देश के लोगों और मुसलमानों के बीच इसे वितरित करें। यह आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री ने मुसलमानों को घुसपैठिया कहा।
विरोधियों का मानना है कि यह रीढ़विहीन चुनाव आयोग का भी प्रमाण है। हालाँकि, कुछ दिन पहले चुनाव आयोग ने कांग्रेस की सुप्रिया श्रीनेत्र और भाजपा के दिलीप घोष को सीधे उल्लंघन का नोटिस भेजा था। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सूरजेवाला को 48 घंटे तक प्रचार नहीं करने की सजा दी गई।
कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने इस संदर्भ में चुनाव आयोग की आलोचना की और गुरुवार को कहा कि चुनाव आयोग गृह मंत्री (अमित शाह) के मामले में अति कर्तव्यनिष्ठ है। यानी बहुत सावधान। और प्रधानमंत्री के मामले में तो वे अति सावधान हैं।