लोक सभा चुनाव करीब हैं और जल्द ही आदर्श आचार संहिता भी लागू होगी, ऐसे में केंद्र के पास काफी कम वक्त बचा है जिसके चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते 2.3 लाख करोड़ रुपये की मेगा परियोजनाओं को हरी झंडी दिखाई। इन परियोजनाओं में राष्ट्रीय राजमार्ग, रेलवे, सहायक बुनियादी ढांचे, बिजली उत्पादन एवं ट्रांसमिशन, हवाईअड्डे और केंद्र के स्वामित्व वाले बंदरगाहों का विकास भी शामिल हैं।
हो सकता है कि नये चुनाव आयुक्तों के चयन में थोड़ा विलंब हो पर चुनाव सर पर है, इससे कोई इंकार नहीं कर सकता। इसका एलान होने के पहले करीब 38,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएं को मंजूरी दी जाएगी जबकि करीब 61,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का शिलान्यास किया जाएगा। प्रधानमंत्री द्वारा घोषित की जाने वाली ज्यादातर परियोजनाओं के शुरुआत होने में ही काफी लंबा वक्त लगेगा जैसे कि राष्ट्रीय राजमार्ग, जल विद्युत परियोजना, बिजली ट्रांसमिशन और बंदरगाह आदि।
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राजधानी में ही करीब 1 लाख करोड़ रुपये की राजमार्ग परियोजना को हरी झंडी दिखाएंगे जिसमें 19 किलोमीटर का द्वारका एक्सप्रेसवे शामिल है जिसे केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी मेगा परियोजना भारतमाला योजना के तहत बनाया जाना है। पिछले अगस्त में केंद्र के लिए यह परियोजना विवाद का सबब बनी जब नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने परियोजना की लागत बढ़ने पर मंत्रालय की आलोचना की थी जिसे ऑडिटर के मुताबिक 250 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से बनाया जा रहा है।
केंद्र मंगलवार को करीब एक दर्जन नई वंदे भारत ट्रेन लॉन्च करने की योजना बना रही है। अधिकारियों के मुताबिक प्रधानमंत्री अन्य रेल परियोजनाओं में गुजरात के अहमदाबाद में वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डब्ल्यूडीएफसी) के परिचालन नियंत्रण केंद्र का उद्घाटन भी कर सकते हैं। सरकारी अधिकारियों के मुताबिक बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की आखिरी बैठक हो सकती है और इस हफ्ते में मध्य में आदर्श आचार संहिता लागू हो सकती है।
कैबिनेट के एजेंडा में 76,000 करोड़ रुपये की विवादास्पद वधावन बंदरगाह परियोजना शामिल है और अधिकारियों का कहना है कि आदर्श आचार संहिता के लागू होने से पहले इस परियोजना के लिए मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के लिए कोशिश की जा रही है। इस बंदरगाह के चलते पारिस्थितिकी तंत्र और स्थानीय आजीविका के नुकसान को लेकर कई सक्रिय कार्यकर्ताओं की तरफ से एतराज जताया जा रहा है।
पिछले हफ्ते मोदी ने आजमगढ़ में करीब 34,000 करोड़ रुपये, अरुणाचल प्रदेश में 65,000 करोड़ रुपये (पीएम उन्नति योजना सहित), असम में 17,500 करोड़ रुपये, तेलंगाना में 62,800 करोड़ रुपये और कोलकाता से 15,000 करोड़ रुपये की विभिन्न रेल एवं शहरी परिवहन परियोजना को हरी झंडी दिखाई और शिलान्यास किया जिसमें दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) शामिल है। इसके अलावा कल ही उत्तरप्रदेश की परियोजनाएं चालू की गयी हैं।
मोदी ने ऊर्जा क्षेत्र से जुड़ी तेल एवं गैस क्षेत्र की परियोजनाओं का उद्घाटन 2 मार्च को किया जिसकी लागत करीब 1.62 लाख करोड़ रुपये है। ये परियोजनाएं बिहार, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब और कर्नाटक से जुड़ी हैं। इनमें से प्रमुख प्रधानमंत्री द्वारा कच्चे तेल के पहले टैंकर को हरी झंडी दिखाना है जो ओएनजीसी के कृष्णा गोदावरी (केजी) बेसिन के ब्लॉक से मिली है। उत्पादन बढ़ने के साथ ही इस परियोजना से देश के तेल एवं गैस उत्पादन में 7 फीसदी की बढ़ोतरी होगी।
इसी दिन मोदी ने आईओसीएल के बरौनी रिफाइनरी के विस्तार के लिए भी शिलान्यास किया जिसकी लागत 11,400 करोड़ रुपये से अधिक होगी। शनिवार को भी अपनी असम यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ने गुवाहाटी प्राकृतिक गैस को ले जाने वाली पाइपलाइन का उद्घाटन किया। हालांकि चुनाव से पहले की जाने वाली महत्त्वपूर्ण घोषणा शुक्रवार को ही कर दी गई जब प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर रसोई गैस सिलिंडर की कीमतों में 100 रुपये की छूट की घोषणा की।
बिजली के क्षेत्र में भी मोदी ने पिछले हफ्ते सोमवार को 32 परियोजनाओं का उद्घाटन किया। इनमें से ज्यादातर विभिन्न राज्यों में सौर बिजली परियोजना, ट्रांसमिशन परियोजना और कुछ ताप विद्युत परियोजना शामिल है। बिजली मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि इन विकास परियोजनाओं की लागत 56,000 करोड़ रुपये है।
प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर राज्यों को लक्षित करते हुए भी कई परियोजनाओं की आधारशिला रखी जिनमें मणिपुर, मेघालय, नगालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश की करीब 55,600 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजनाएं शामिल हैं। उन्होंने देश के लिए सेला टनल समर्पित करते हुए शनिवार को करीब 10,000 करोड़ रुपये की उन्नति योजना की शुरुआत की। प्रधानमंत्री ने जिन बड़ी परियोजनाओं की आधारशिला रखी है उनमें अरुणाचल में 28 गीगावॉट की दिबांग पनबिजली परियोजना है जिसकी अनुमानित लागत 31,875 करोड़ रुपये है। जाहिर है कि इनके जरिए भी मोदी मतदाताओं को रिझाने में जुटे हैं यानी अबकी बार चार सौ पार का नारा वास्तविकता से कोसों दूर है।