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युवाओं पर लाठी चार्ज के दूरगामी परिणाम होंगे

  • पारा शिक्षकों ने भाजपा का विरोध किया था

  • सरयू राय और विनोद सिंह घटना के खिलाफ

  • सत्ता पक्ष के लोग भी लाठीचार्ज को गलत मानते

राष्ट्रीय खबर

रांचीः नौकरी के सवाल पर युवाओं पर हुए लाठीचार्ज को सत्तारूढ़ गठबंधन के लोग भी बेहतर नहीं मानते हैं। दरअसल युवाओं की नाराजगी का क्या दूरगामी असर होता है, यह समझदार नेता अच्छी तरह जानते हैं। वैसे यह अलग बात है कि सिर्फ विधायक द्वय सरयू राय और विनोद सिंह ने इसकी स्पष्ट तौर पर आलोचना की है।

दूसरी तरफ भाजपा को फिर से यह मौका आजमाने का मौका भी मिल गया है। इस किस्म के लाठीचार्ज का क्या चुनावी परिणाम होता है, यह तो झारखंड ने रघुवर दास के शासनकाल में देखा था। उस दौरान मोरहाबादी मैदान में जिस तरीके से पारा शिक्षकों को पीटा गया था, वह भाजपा विरोधी माहौल बनाने में नींव का पत्थर बन गया।

बाद में राज्य भर के पारा शिक्षकों ने अपने प्रभाव का प्रयोग ग्रामीण इलाकों में किया और उसका परिणाम यह हुआ कि हेमंत सोरेन राज्य के मुख्यमंत्री बने है। मुख्यमंत्री बनने के पहले ही हेमंत सोरेन को युवाओं के समर्थन का यह एहसास था। अब बदली परिस्थितियों में हेमंत सोरेन सरकार में हैं और उनकी सरकार में इस किस्म का लाठी चार्ज निश्चित तौर पर युवाओं को नाराज करेगा, यह सामान्य सी बात है।

अपनी सरकार बनाने में जिन युवाओं का जबर्दस्त सहयोग रहा है, उसी वर्ग को नाराज करना कोई समझदारी वाला राजनीतिक फैसला नहीं है, इस बात को खुद हेमंत सोरेन भी अच्छी तरह जानते हैं। वैसे यह महत्वपूर्ण बात है कि समय समय पर भाजपा के हमले से हेमंत सोरेन के बचाने वाले जमशेदपुर के विधायक सरयू राय और वामपंथी विधायक विनोद सिंह ने इस घटना को अच्छी नजरों से नहीं देखा है। सत्ता के पक्ष में खड़े दूसरे विधायक भी इसे अच्छा नहीं मानते पर वे औपचारिक तौर पर इस पर राय देने से कतरा रहे हैं।

दरअसल रोजगार एक ऐसा सवाल है, जिसे विपक्ष ने मोदी सरकार के खिलाफ बतौर हथियार इस्तेमाल किया था। हर साल दो करोड़ रोजगार देने के वादे पर मोदी सरकार को घेरने वाले अब अपनी सरकार के रोजगार के नियमों के उधेड़बुन में फंस गये हैं। इस वजह से हर बार नियोजन नीति पर भी बवाल हो रहा है। ऐसे में लाठी चार्ज घाव में मिर्च छिड़कने जैसी कार्रवाई है। सत्ता पक्ष की ओर से नाराज युवाओं से वार्ता की पहल नहीं होना भी आने वाले दिनों के लिए चुनौतियों को और कठिन बनाता जा रहा है।

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