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अंतरिक्ष में उगाया गया टमाटर लौटा धरती पर

वाशिंगटनः अंतरिक्ष में चक्कर लगा रहे महाकाश यान में भी खेती हुई थी। इस खेती का परिणाम है कि वहां दो हजार किलो टमाटर उगा है। अब उसी टमाटर को लेकर एक अंतरिक्ष यान धरती पर लौट आया है। एलन मस्क की बहु प्रयोग वाली स्पेस एक्स सीआरएस 27 अंतरिक्ष यान से इन खास किस्म के टमाटरों को वापस लाया गया है।

बताया गया है कि अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर सब्जी की खेती का प्रयोग काफी समय से चल रहा था। इसके तहत तीन खेपों में टमाटर लगाये गये थे। इसी टमाटर को लेकर स्पेस एक्स का यान पंद्रह अप्रैल को वापस लौटा है। अब फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर में इस टमाटर को रखा गया है। दरअसल पहले खगोल वैज्ञानिक और उसके बाद कृषि वैज्ञानिक इसकी गहन जांच करेंगे। इन परीक्षणों का असली मकसद अंतरिक्ष में उगाये गये टमाटरों की उपयोगिता की परख करना है। नासा के मुताबिक इस खेप की जांच के बाद यह देखा जाएगा कि यह भोजन में इस्तेमाल करने के लायक हैं भी अथवा नहीं।

दरअसल महाकाश में यह प्रयोग एक साथ कई लक्ष्यों को हासिल करने के लिए किया जा रहा है। शून्य गुरुत्वाकर्षण में और धरती के वायुमंडल से बाहर इनकी खेती से उनकी गुणवत्ता पर क्या असर पड़ता है, यह जांच का पहला विषय है। इसके अलावा लंबी दूरी की महाकाश यात्रा के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को अपने यान पर ही भोजन के लिए खेती करने की तकनीक विकसित करने पर भी यह काम चल रहा है।

ताकि जब काफी लंबे समय तक अंतरिक्ष यात्री महाकाश में रहें तो उन्हें यान के अंदर की ऐसी खेती कर भोजन की जरूरतों को पूरा करने का मौका मिल सके। बता दें कि इससे पहले चीन ने भी चांद पर अपने यान के साथ छोटे कीट पतंग और पौधों के बीज भी भेजे थे। चीन का वह यान चांद के अंधेरे इलाके में उतरा था। इस यान में खास किस्म के बक्से में कीटों और पौधों को रखा गया था। बाद में वहां के कड़ाके की ठंड में कीट सबसे पहले मर गये। उसके बाद सिर्फ कपास का पौधा ही फूल दे पाया लेकिन वह भी जल्द ही मर गया। इससे पता चलता है कि पौधों के विकास में सूर्य की प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रोशनी का हाथ होता है। अब इन टमाटरों की गुणवत्ता की जांच होने के बाद असलियत का पता चल पायेगा।

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