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पुलिस निगम के गड़े मुर्दे भी उखड़े
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अभियंता सुरेश ठाकुर का भी नाम आया
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पत्र के साथ दस्तावेज भी उपलब्ध कराये
राष्ट्रीय खबर
रांचीः पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने राज्य के पूर्व गृह सचिव राजीव अरुण एक्का के खिलाफ कार्रवाई के लिए अब राज्य के मुख्य सचिव को भी पत्र लिखा है। इस पत्र की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी भेजी गयी है। इस पत्र में कई पुराने मुद्दों को भी उठाया गया है। उन्होंने लिखा है कि पुलिस भवन निर्माण निगम की अनियमितता में पूर्व गृह सचिव एवं उनके करीबी दलाल-बिचौलिया विशाल चौधरी एवं अभियंता सुरेश ठाकुर के संलिप्तता की जाँच एवं कार्रवाई हो।
मुख्य सचिव को प्रेषित पत्र में लिखा गया है कि कागजातों को देखने के स्पष्ट पता चलता है कि तात्कालीन गृह सचिव राजीव अरूण एक्का की विशेष कृपा से चर्चित दलाल विशाल चौधरी पुलिस भवन निर्माण निगम में भी बिचौलिया की भूमिका निभाता रहा है।
निगम में कार्यरत कार्यपालक अभियंता श्री सुरेश ठाकुर की सेवानिवृत्ति के बाद बिना विज्ञापन निकाले निगम ने पुनः कार्यपालक अभिंयता के पद पर अनुबंध के तौर पर बहाल कर लिया और इतना ही नहीं निगम में अधीक्षण अभियंता के रहते हुए भी कार्यपालक अभियंता सुरेश ठाकुर को मुख्य अभियंता का प्रभार सौंप दिया।
अनुबंध पर काम कर रहे सुरेश ठाकुर ने 2 फरवरी 2023 को पुनः अपने सेवा विस्तार का अनुरोध करते हुए गृह सचिव श्री एक्का को पत्र लिखा और गृह सचिव ने उसी दिन यानि 2 फरवरी 2023 को ही सेवा विस्तार देने के लिए कार्रवाई करने हेतु निगम के प्रबंध निदेशक को आदेश दे दिया।
श्री सुरेश ठाकुर का अनुरोध पत्र एवं तात्कालीन गृह सचिव राजीव अरूण एक्का का प्रबंध निदेश को लिखे आदेश पत्र की प्रति पत्र के साथ संलग्न है। यह श्री एक्का द्वारा किए गए भ्रष्टाचार का एक बड़ा नमूना है। ऐसे भ्रष्टाचार के कई मामले इनसे जुड़े है।
श्री मरांडी ने लिखा है, जहाँ तक मुझे जानकारी है कि इस काम के लिये अभियंता द्वारा सीधे गृह सचिव को पत्र लिखना और फिर गृह सचिव का इस विषय पर सीधे आदेश देना, दोनों ही काम नियम विरूद्ध है।
किसी अभियंता की नियुक्ति या सेवा विस्तार झारखण्ड पुलिस भवन निर्माण निगम की बोर्ड द्वारा ही किये जाने का नियम है वो भी विज्ञापन निकालकर लेकिन इसमें न तो विज्ञापन निकाला गया और न ही नियमों का अनुपालन किया गया।
हैरत की बात है कि एक ही दिन में अभियंता का सेवा विस्तार का अनुरोध पत्र एक्का साहब को मिल जाता है और वे सारी काग़ज़ी प्रक्रिया पूरी कर उसी दिन आदेश जारी कर देते हैं, ये अपने आप में षडयंत्र एवं विशेष कृपा के आरोप को पुष्ट करता है।
शायद श्री एक्का द्वारा किसी काम में इतनी तत्परता दिखाने का दूसरा उदाहरण नहीं होगा ? वजह क्या है ये तो गहन जाँच के बाद ही खुलासा होगा। चर्चा है कि बिचौलिया विशाल चौधरी ने इस काम में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। इस विशेष मेहरबानी के कई कारणों में से एक के बारे में मुझे जो काग़ज़ात उपलब्ध कराये गये हैं यह भी चौंकाने वाले हैं।
इसे भी यहाँ आपके संज्ञान के लिए संलग्न कर रहा हूँ। श्री मरांडी के मुताबिक मुझे बताया गया है कि विशाल चौधरी की कम्पनी रोलेक्स सोलुशन को ग़लत तरीक़े एवं फर्जी कागजातों के आधार पर सुरेश ठाकुर ने भवन निर्माण निगम में कई काम दिये थे।
24 मई 2022 को विशाल चौधरी के यहाँ ईडी का छापा पड़ने एवं उसके बिचौलियागिरी और दलाली के साथ ही अफ़सरों से उसकी अंतरंगता की खबरों के प्रकाश में आने के बाद डर के मारे आनन-फ़ानन में दिनांक 02-06-2022 को विशाल चौधरी की कम्पनी रोलेक्स सोलुशन को गोड्डा में आवंटित काम के ठेके का एकरारनामा रद्द कर दिया गया।
फिर वरीय अफ़सरों पर उसके प्रभाव के चलते आश्चर्यजनक तरीक़े से 12-07-2022 एवं 13-07-2022 को सिक्योरिटी मनी की राशि लौटाने का आदेश दे दिया गया (प्रतिलिपि संलग्न)। लेकिन जब प्रभारी मुख्य अभियंता को खुद के फँसने का एहसास हुआ तो विशाल चौधरी की कम्पनी रोलेक्स सोलुशन को लौटा दी गई जमानत राशि को फिर से निगम ने जमा करने का आदेश 31 जनवरी 2023 (प्रतिलिप संलग्न) में दिया गया।
(टेंडर रद्द की कॉपी, जमानत राशि विमुक्त करने की आदेश की प्रति एवं पुनः जमानत राशि वापस करने की आदेश प्रति अवलोकनार्थ संलग्न है।) कोई भी इस प्रकरण के सभी कागजातों को देखकर इन सबके पीछे बिचौलियागिरी, दलाली एवं उच्चाधिकारी के सांठगांठ की बात आसानी से समझ सकता है।
यह मामला राज्य के मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव सह गृह विभाग के प्रधान सचिव जैसे उच्च पद पर रहे पदाधिकारी से जुड़ा हुआ है, ऐसे में आपके सिवाय दूसरा इस मामले की निष्पक्ष जाँच कोई नहीं कर सकता है। यह सवाल अहम है। इसलिए अनुरोध है कि आप अपनी निगरानी में इस मामले की बिना विलम्ब किए निष्पक्ष जाँच करा कर कारवाई करने का कष्ट करें। जिन अधिकारियों ने ठेका रद्द करने के बाद सिक्योरिटी मनी लौटाने का ग़लत काम किया उन्हें पद से तुरन्त हटायें और उनपर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दें।