रांचीः मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट की मांग यहां के चिकित्सकों की पुरानी मांग है। कई बार सरकार की तरफ से इसे लागू करने का आश्वासन भी दिया गया है। इसके बाद भी अब तक इस पर कार्रवाई नहीं हो पायी है।
दूसरी तरफ झारखंड में हाल के दिनों में चिकित्सकों पर हो रहे हमले को लेकर माहौल गरमाया है। इसी मांग पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) और झारखंड स्वास्थ्य सेवा संघ (झासा) के संयुक्त आह्वान पर राज्य भर के चिकित्सकों ने स्वास्थ्य सेवाओं को ठप कर दिया।
हालांकि इमरजेंसी सेवा और इंडोर में भर्ती मरीजों के इलाज को हड़ताल से बाहर रखा गया है। एक दिवसीय कार्य बहिष्कार की शुरुआत आज सुबह छह बजे से शुरू हो गयी है जो गुरुवार की सुबह 6 बजे तक रहेगी। एसोसिएशन के सदस्यों ने रिम्स, सदर अस्पताल और निजी अस्पतालों में पहुंचकर ओपीडी को बंद कराया और रिमसोनियन हॉल के समक्ष धरने पर बैठ गये।
आईएमए विमेंस विंग की राष्ट्रीय सह अध्यक्ष डॉ भारती कश्यप ने कहा कि हमारी मांगों को वर्षों से सरकार अनुसना कर रही है। राजधानी रांची में चिकित्सक पर हमला हुआ है। ऐसे में समझा जा सकता है कि झारखंड की सुरक्षा व्यवस्था कैसी है। धनबाद के डॉक्टर दंपत्ति हाजरा और रिम्स के चिकित्सक डॉ सौरभ की मौत के बाद सरकार से आर्थिक सहयोग करने की भी मांग की गयी थी। लेकिन सरकार ने इस पर संज्ञान नहीं लिया है।
आईएमए के सचिव डॉ प्रदीप कुमार सिंह ने कहा कि चिकित्सकों पर हो रहे हमले को लेकर पूरे चिकित्सक समाज में आक्रोश है। राज्य में विकट परिस्थिति बन गयी है। हजारीबाग, पेटरवार, गोड्डा, लोहरदगा, गढ़वा और रांची में भी हाल के दिनों में चिकित्सकों के साथ मारपीट की घटनाओं को अंजाम दिया गया है।
हड़ताल करने की हमारी मंशा नहीं है। लेकिन जब सरकार ने चिकित्सकों का सुद नहीं लिया तब मजबूरन हमें ऐसा कदम उठाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि जब 23 राज्यों में मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू है तो फिर झारखंड में क्यों नहीं? डॉ प्रदीप ने कहा कि यदि ऐसी स्थिति बनी रही तो भविष्य में राज्य भर की चिकित्सा व्यवस्था ठप हो जायेगी।
बालूमाथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का ओपीडी सेवा ठप
बालूमाथ : झारखंड में इन दिनों चिकित्सकों पर हो रहे हमले के विरोध में एवं आईएमए एवं झांसा के आह्वान पर बुधवार को बालूमाथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का ओपीडी से ठप रही। झांसा के जिला सचिव डॉ सुरेश राम के नेतृत्व में बालूमाथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आए हुए मरीजों को वापस लौटना पड़ा
हालांकि चिकित्सकों ने मानवता का परिचय देते हुए मरर्जेंसी सेवा जारी रखें वही दूरदराज से आए हुए लोगों को भी इलाज किया। चिकित्सक डॉक्टर सुरेश राम ने बताया कि झारखंड में कुछ दिनों के अंदर कई चिकित्सकों पर हमले हुए हैं जबकि झांसा यह लगातार मांग कर रही है कि चिकित्सक सुरक्षा कानून लागू किया जाए ।
उन्होंने कहा कि चिकित्सकों पर हमले बंद नहीं होते हैं एवं हमलावरों की गिरफ्तारी शीघ्र नहीं होती है तो आने वाले दिनों में चिकित्सक संघ बड़ा आंदोलन करने को बाध्य होगी