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येदियुरप्पा की ताकत का एहसास मोदी को है
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राजस्थान में वसुंधरा राजे की अलग शक्ति है
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यूपी में योगी के बिगड़े बोल से अनेक हैरान
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः भारतीय जनता पार्टी में अब असंतोष के बुलबुले उठते नजर आ रहे हैं। यद्यपि खुले तौर पर किसी भी स्तर से अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को किसी ने चुनौती नहीं दी है लेकिन यह साफ होता जा रहा है कि क्षेत्रीय ताकतों वाले भाजपा नेता अपनी अपनी ताकत का एहसास केंद्रीय नेतृत्व को कराने में कामयाब हो रहे हैं।
इस दिशा में हाल में हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार का बयान गंभीर है। इसके पहले मेघालय के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने किसानों के मुद्दे पर मोदी पर सीधा सीधा निशाना साधा था।
हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री शांता कुमार ने कहा कि साफ सुधरी छवि और शानदार काम करने वाले दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया काफी प्रसिद्ध हुए, परंतु आज वह जेल में बंद है। शांता कुमार ने कहा कि श्री सिसोदिया के घर की तलाशी हुई, उनके बैंक लॉकर सब खंगाले गए, परंतु सीबीआई को कहीं कुछ नहीं मिला।
कुल मिला कर उन पर आरोप यही है कि उन्होंने ऐसी शराब नीति बनाई, जिससे व्यापारियों को लाभ हुआ। इसमें एक निष्कर्ष यह भी निकलता है कि श्री सिसोदिया व्यक्तिगत रूप से पूरी तरह ईमानदार हैं, परंतु शायद उन्होंने पार्टी और चुनाव के लिए धन इकट्ठा करने के उद्देश्य से यह सब कुछ किया होगा।
अब कर्नाटक में चुनावी राजनीति से अलग हटने का एलान कर चुके येदियुरप्पा क्या गुल खिलाने वाले हैं, यह भाजपा नेतृत्व के लिए चिंता का विषय बन रहा है। प्रधानमंत्री मोदी न केवल उनके 80वें जन्मदिन में शरीक होने गए, बल्कि 48 दिन में उनका यह पांचवां दौरा था। कर्नाटक के लिंगायत समाज में येदियुरप्पा का तोड़ नहीं है। मुख्यमंत्री बसावराज बोम्मई भी नहीं।
राजस्थान में कमोबेशी यही हाल वसुंधरा राजे की भी है। महारानी के करीबी गुलाब चंद कटारिया अब असम के राज्यपाल हैं। कटारिया के उत्तराधिकार की गणेश परिक्रमा जारी है।
राजस्थान के अधिकांश भाजपा विधायक राजे खेमे के हैं। लगे हाथ आठ मार्च की बजाय चार मार्च को वसुंधरा ने चूरू में जन्मदिन का कार्यक्रम रखा है। यह जन्मदिन समारोह कम, ताकत का प्रदर्शन ज्यादा है। दिल्ली से केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल समेत कई नेता चूरू पर निगाह गड़ाए हैं।
उत्तर प्रदेश विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नाराजगी भरे बोल ने भाजपा विधायकों को चौंका दिया है। अनौपचारिक तौर पर अनेक भाजपा विधायक किसी के पिता के खिलाफ ऐसी बयानबाजी को सही नहीं मानते हैं।
दूसरी तरफ यह चर्चा तेज होती जा रही है कि अब योगी आदित्यनाथ ही खुद को उत्तरप्रदेश के जरिए भाजपा का सबसे कद्दावर नेता साबित करने में जुट गये हैं। उन्होंने इस दौड़ में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पहले ही किनारे लगा रखा है।
इसलिए जो क्षेत्रीय बुलबुले उठते नजर आ रहे हैं, वे लोकसभा चुनाव आते तक किस आकार में होंगे और उनका केंद्रीय राजनीति में क्या असर होगा, यह भाजपा की सोच का विषय है।
ऐसा इसलिए भी है क्योंकि मोदी और शाह की जोड़ी ने पहले पार्टी के भीतर विद्यार्थी परिषद के ताकतवर नेताओं को किनारे लगाया था। बाद में मोदी ने अपना कद आरएसएस से भी बड़ा कर लिया है। ऐसे में संघ की सोच से विकसित लोग समय रहते अपनी पुरानी लीक पर वापस नहीं लौटेंगे, ऐसा असंभव भी नहीं है।